Russia-Ukraine War: यूक्रेन को मिसाइलें भेज कर मुसीबत में आया अमेरिका, सेना के भंडार में आई कमी

Russia-Ukraine War: अमेरिकी रक्षा विभाग अपनी सफलता का खुद ही शिकार हो रहा है। यूक्रेन को इतने सारे हथियार बांटने के बाद अमेरिकी सेना के अपने युद्धकालीन भंडार में कमी आ गयी है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-05-17 20:38 IST

अमेरिका सेना के भंडार में आई कमी। (Social Media)

Russia-Ukraine War: यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के आक्रमण पर अमेरिका (America) की प्रतिक्रिया तेज और नॉनस्टॉप रही है। इस क्रम में अमेरिका ने हजारों रॉकेट, मिसाइल, छोटे हथियार और हॉवित्जर तोपें यूक्रेन को दे डाली हैं। अब पेंटागन (pentagon) यानी अमेरिकी रक्षा विभाग (US Department of Defense) अपनी सफलता का खुद ही शिकार हो रहा है क्योंकि यूक्रेन को इतने सारे हथियार बांटने के बाद अमेरिकी सेना (America Army) के अपने युद्धकालीन भंडार में कमी आ गयी है। जिन हथियारों का अब प्रोडक्शन नहीं होता है उनको फिर से बनाना शुरू करना आसान नहीं होगा।

अमेरिका ने यूक्रेन को समर्थन देने के लिए 3.8 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता

विदेश विभाग के अनुसार, युद्ध की शुरुआत के बाद से अमेरिका ने यूक्रेन को समर्थन देने के लिए 3.8 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान की है। यह पोलैंड में सैन्य ठिकानों के लिए अटलांटिक के पार एयर मोबिलिटी कमांड परिवहन विमानों के माध्यम से हथियारों और आपूर्ति को जहाज करता है। वहां से, उपकरण ट्रक और ट्रेन द्वारा यूक्रेन भेजे जाते हैं। इन हथियारों के इस्तेमाल से रूस के लिए परिणाम विनाशकारी रहा है। अमेरिकी जेवलिन मिसाइलों के चलते रूस ने कम से कम 342 टैंक और 1,000 से अधिक बख्तरबंद वाहनों को खो दिया है।

ये हथियार यूक्रेन के भेजे

अब तक, रक्षा विभाग (Department of Defense) ने कम से कम 5,500 एफजीएम-148 जेवलिन एंटी टैंक मिसाइलें और 1,400 एफआईएम-92 ई स्टिंगर एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें यूक्रेन को भेजी हैं। ये पेंटागन के मानकों के हिसाब से भी बड़ी संख्या हैं। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (Center for Strategic and International Studies) के एक वरिष्ठ सलाहकार मार्क कैनशियन (Senior Advisor Mark Cancian) का अनुमान है कि अमेरिका ने यूक्रेन को जेवलिन मिसाइलों के कुल स्टॉक का लगभग एक-तिहाई और स्टिंगर मिसाइलों के अपने भंडार का एक-चौथाई हिस्सा भेजा है। हथियारों का भण्डार इसलिए बना कर रखा जाता है ताकि किसी भी आपात स्थिति में सशस्त्र बल जवाब दे सकें।

अमेरिका सहित इन देशों ने दी यूक्रेन को जेवलिन मिसाइल

यूक्रेन को जेवलिन मिसाइल अमेरिका, पोलैंड और एस्टोनिया ने भेजी हैं। यह ऐसा हथियार है जिन्हें तीनों देशों को अंततः रिप्लेस करने की आवश्यकता होगी। पहली बार 1990 के दशक के मध्य में जारी की गई जेवलिन मिसाइल अभी भी उत्पादन में है। स्टॉक को फिर से भरने के लिए, लॉकहीड मार्टिन जेवलिन के उत्पादन को 2,100 प्रति वर्ष से बढ़ाकर 4,000 मिसाइल प्रति वर्ष करने के लिए तैयार है। हालाँकि, फिर भी अमेरिका को जेवलिन का स्टॉक वापस भरने में दो साल लगेंगे। कंपनी को मिसाइलों के लिए पुर्जे प्रदान करने के लिए सप्लाई चेन स्थापित करने के लिए अतिरिक्त समय की भी आवश्यकता होगी। जेवलिन मिसाइल की मार्ग दर्शन प्रणाली सेमी कंडक्टर पर निर्भर होती है और इस पुर्जे की इस समय ग्लोबल कमी बनी हुई है।

शेड्यूल में एक और अंतराल एक लंबी डिलीवरी का समय है, जो वर्तमान में 32 महीने है- यानी मिसाइलों के लिए आर्डर देने के 32 महीने बाद मिसाइलों को वितरित किया जाता है। जब तक उत्पादन को बढ़ावा देकर इस अवधी को घटाया नहीं जाता तब तक पहली नई मिसाइलों को मैदान में सैनिकों तक पहुंचने में लगभग तीन साल लगेंगे।

इसी तरह स्टिंगर मिसाइलों का अधिक उत्पादन करना भी मुश्किल होगा। स्टिंगर को पहली बार 1980 के दशक में पेश किया गया था, और अमेरिका ने 2003 में मिसाइलों को खरीदना बंद कर दिया था। रेथियॉन कम्पनी ने अपनी स्टिंगर प्रोडक्शन लाइन को विदेशी आदेशों पर 17 वर्षों तक बनाए रखा गया था, लेकिन अंत में दिसंबर 2020 में इसे बंद कर दिया गया। स्टिंगर की डिजाईन दशकों पुरानी है जो मॉडर्न स्टैण्डर्ड के हिसाब से बेकार हो चुकी है। माइक्रोचिप्स सहित इसके कई घटक अब उत्पादन में नहीं हैं। रेथियॉन के सीईओ का कहना है कि उत्पादन लाइन को फिर से शुरू करने में छह से 12 महीने लगेंगे, और यह मिसाइल के एक पुर्जे को फिर से डिजाइन करेगा।

स्टिंगर्स और जेवलिन की आपूर्ति करने में काफी समय

स्टिंगर्स और जेवलिन की आपूर्ति को फिर से भरने में महीनों से लेकर सालों तक का समय लगेगा। लेकिन अच्छी बात ये है कि इनकी मांग अब कम हो गई है। अमेरिका के लिए सप्लाई का मसला और भी बदतर हो सकता था यदि उसकी सेना और मरीन खुद को कई मोर्चों पर युद्ध लड़ते हुए पाती। यूक्रेन युद्ध पेंटागन को इस मुद्दे का सामना करने के लिए मजबूर करेगा कि आपात स्थिति में हथियारों पर उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए, जिससे सरकार को महीनों या वर्षों में नहीं, बल्कि हफ्तों में नए-नए हथियार प्राप्त करने की अनुमति मिल सके। भविष्य का संघर्ष सरकार और उद्योग दोनों को यह अधिकार मिलने पर निर्भर हो सकता है।

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