9/11 Attacks: घटना के 20 साल बाद भी जारी है साजिशकर्ताओं पर मुकदमा, जानें अब तक क्या क्या हुआ

9/11 Attacks: अमेरिकी नौसेना के ठिकाने में बनी स्पेशल जेलों में बंद 9/11 के कई कथित साजिशकर्ता के ऊपर मुकदमा अभी तक शुरू ही नहीं हो सका है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2021-09-08 11:17 IST

डिजाइन फोटो- न्यूजट्रैक

9/11 Attacks: अमेरिका में 11 सितम्बर, 2001 को हुए भयानक आतंकी हमले (Terrorist Attacks) ने दुनिया की तस्वीर बदल कर रख दी। इस स्याह तारीख के पहले की दुनिया और इस तारीख के बाद की दुनिया ठीक उसी तरह अलग है जिस तरह कोरोना के पहले और बाद की दुनिया। दो दिनों बाद इस हमले की बरसी (20th Anniversary Of 9/11 Attacks) मनाई जायेगी। याद किया जाएगा कि किस तरह न्यूयॉर्क (New York) के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Center) पर विमानों से हमला किया गया था।

लेकिन इस हमले के साजिशकर्ताओं का क्या हुआ? लोग अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden) के बारे में जानते हैं कि हमले की पूरी प्लानिंग के पीछे उसी का हाथ था। लेकिन ओसामा एकमात्र साजिशकर्ता नहीं था, उसके साथ कई अन्य लोग भी शामिल थे। 9/11 के हमले के तुरंत बाद अमेरिका ने आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ ग्लोबल युद्ध (Global War) शुरू किया था जिसके तहत अफगानिस्तान पर धावा बोल कर अल कायदा के ढेरों आतंकियों को ढूंढ ढूंढ कर मार गिराया गया।

9/11 के कई साजिशकर्ता पकड़े गए जिनको अमेरिका ने क्यूबा के पास गुआंतानामो खाड़ी में स्थित अमेरिकी नौसेना के ठिकाने में बनी स्पेशल जेलों में बंद कर दिया। इस जेल में बंद कई कथित आतंकी एक-एक कर के छूट गए क्योंकि उनके खिलाफ कोई ठोस मामला नहीं बन रहा था। लेकिन इस जेल में 9/11 के कई कथित साजिशकर्ता बंद हैं जिनके ऊपर मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हो सका है।  

खालिद शेख मोहम्मद (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

ये हैं 9/11 हमले के मास्टरमाइंड

आरोप है कि 15 साल से जेल में बंद खालिद शेख मोहम्मद (Khalid Sheikh Mohammed) और चार अन्य लोग 9/11 के मास्टरमाइंड हैं। इन पर आरोप लगे हैं, मुकदमे की सुनवाई के पूर्व की प्रक्रिया चल रही थी लेकिन कोरोना वायरस (Coronavirus) आने की वजह से बीते 17 महीनों से कार्यवाही स्थगित है। अब इन सबको एक बार फिर 7 सितम्बर को मिलिट्री ट्रिब्यूनल (Military Tribunal) के सामने पेश किया गया।

इन कथित आतंकियों के खिलाफ मामला इसलिए लटका हुआ है क्योंकि उनके वकीलों ने आरोप लगाया है कि सभी पांच बंदियों को सीआईए (CIA) ने अपनी कस्टडी (Custody) के दौरान भयंकर यातनाएं दी हैं। बचाव पक्ष के वकील यातनाओं को आधार बना कर सरकारी सबूतों को रद्द करने की कोशिशें करते रहे हैं। अब तक इस केस से मिलिट्री के सात जज रूबरू हो चुके हैं। आठवें जज एयरफोर्स कर्नल मैथ्यू मैकाल ने 5 सितम्बर को सुनवाई फिर शुरू करने की घोषणा की।

बचाव पक्ष ने अपना दांव तैयार करके रखा हुआ है। वे सुनवाई के दौरान मिलिट्री अभियोजकों से एक बार फिर सबूत देने की मांग करेंगे। अभियोजकों ने अभी तक हर बार बचाव पक्ष को सबूत सौंपने से इनकार किया है। बचाव पक्ष के वकीलों का कहना है कि असल सुनवाई शुरू होने में अभी साल भर का और समय लग सकता है। उसके बाद सुनवाई शुरू होगी। इन सबके बाद जूरी तथा फैसले का समय कब आयेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। 

9/11 के मास्टरमाइंड (फोटो साभार- सोशल मीडिया)  

यातनाओं का पड़ा गहरा असर

बचाव पक्ष के वकीलों का कहना है कि खालिद शेख मोहम्मद, अम्मार अल-बलूची, वालिद बिन अत्ताश, रामजी बिन अल शिभ और मुस्तफा अल-हवसावी – ये सब सीआईए के गुप्त ठिकानों पर 2002 से 2006 के बीच रखे गए जहाँ इनको भयानक यातनाएं दी गईं जिसका इन पर जबर्दस्त असर पड़ा है। ये सभी बहुत कमजोर हो चुके हैं। वकीलों का कहना है कि यातना के अलावा 15 साल से कठोर जेलों में अकेले बंद रहने से भी इन पर बहुत असर पड़ा है।

कौन कर रहा है बचाव

अदालत में कथित आतंकियों का बचाव करने वाले वकीलों में कई मिलिट्री द्वारा उपलब्ध कराये गए हैं। कुछ वकील प्राइवेट सेक्टर तथा एनजीओ के हैं जो खुद ही केस से जुड़ गए हैं। इन सभी को जोड़ दें तो हर अभियुक्त के पीछे वकीलों की लम्बी चौड़ी टीम है।

इस केस की शुरुआत से ही अभियोजकों का कहना था कि यह बहुत मजबूत मामला है जिसमें आरोपितों को दोषी करार किये जाने में कोई संदेह नहीं है। अभियोजकों का कहना है कि 2007 में एफबीआई की पूछताछ के दौरान अभियुक्तों ने 9/11 हमले में अपनी संलिप्तता के बारे में ठोस सबूत दिए थे। ऐसे में सीआईए द्वारा यातना के जरिये जुटाई गयी जानकारी को यदि दरकिनार कर भी दिया जाये तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

लेकिन बचाव पक्ष के वकीलों का कहना है कि 2007 की पूछताछ भी साफ़ सुथरी नहीं थी क्योंकि एफबीआई ने सीआईए के यातना प्रोग्राम में सहयोग किया था। जब एफबीआई ने अलग से पूछताछ की उस वक्त सभी आरोपी यातना के प्रभाव से गुजर रहे थे। ऐसे में आरोपियों ने दहशत में आ कर एफबीआई के सवालों के जवाब दिए। 

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले का दृश्य (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

क्यों हुआ विलम्ब

अपना पक्ष साबित करने के लिए बचाव पक्ष के वकील सरकार से केस से जुडी गोपनीय सामग्री मांगते रहे हैं। सरकार ने हर बार ये सामग्री देने से इनकार किया है। इसके अलावा बचाव पक्ष के वकील अदलत में पेश हो चुके 12 गवाहों के अतिरिक्त दर्जनों अन्य गवाहों से बात करना चाहते हैं। इन मांगों की वजह से केस लटकता चला गया है। वैसे बचाव पक्ष के वकीलों का कहना है कि सरकार द्वारा केस से सम्बंधित सामग्री को छिपाए जाने के चलते विलम्ब हो रहा है।

क्या हुआ पहले दिन की सुनवाई में

560 दिन के विलम्ब के बाद 7 सितम्बर को गुआंतानामो के युद्ध अपराध ट्रिब्यूनल में मुकदमे की प्रक्रिया अत्यंत कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुई। पहले दिन सभी अभियुक्त कोर्ट में पेश किये गए। ये सब अपने वकीलों के साथ बैठे थे। पाँचों पर 9/11 के हमले में जिन 2,976 लोगों की हत्या का आरोप है। सभी अभियुक्तों से सुनवाई के दौरान पूछा गया कि क्या वे अपने अधिकार जानते हैं, इसके जवाब में सभी ने हाँ कहा।

चूंकि जज कर्नल मैथ्यू मैकाल का ये पहला दिन था सो प्रक्रिया के तहत दोनों पक्षों के वकीलों ने उनसे भी सवाल जवाब किया। बचाव पक्ष ने जहां जज की नियुक्ति पर सवाल उठाये वहीं अभियोजन पक्ष ने जज की नियुक्ति में प्रक्रिया का पालन होने की बात कही। पहले दिन जज को ले कर ही ज्यादा बहस होने पर सुनवाई कई घंटे पहले ही टाल दी गयी। 

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