काबुल में भारत अपनी राजनयिक मौजूदगी रखे बरकरार, तालिबान का प्रस्ताव

अफगानिस्तान पर काबिज होने के बाद तालिबान ने भारत को काबुल में अपनी राजनयिक मौजूदगी बनाए रखने का प्रस्ताव दिया है।

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2021-08-20 11:32 GMT

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर व तालिबान का प्रवक्ता सुहैल शाहीन। (social media)

Afghanistan: अफगानिस्तान पर तालिबान के काबिज होने के बाद भारत काबुल में अपने राजनयिक कर्मचारियों को लेकर चिंतित है और उनकी सुरक्षा के मद्देनजर तमाम कदम उठा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अफगानिस्तान में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा की प्राथमिकता पर जोर दे चुके हैं। लेकिन, इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान चाहता है कि भारत काबुल में अपनी राजनयिक मौजूदगी बनाए रखे। इस सप्ताह की शुरुआत में नई दिल्ली ने काबुल से अपने अधिकारियों को वापस लाना शुरू कर दिया। भारत ने सोमवार और मंगलवार को अपने राजदूत, राजनयिकों, सुरक्षा कर्मियों और नागरिकों सहित कुछ 200 लोगों को निकाला था।


सूत्रों के मुताबिक, तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने भारतीय पक्ष से संपर्क साधा और कहा कि भारत-अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति बनाए रखे। तालिबान नेता ने भारतीय पक्ष से यह अनुरोध अनौपचारिक रूप से किया था। वह कतर की राजधानी दोहा में वार्ता करने वाले तालिबान गुट का हिस्सा हैं।

काबुल में सुरक्षा स्थिति के बारे में भारतीय चिंताओं से अवगत

सूत्रों के हवाले से बताया कि तालिबान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वार्ता करने वाली टीम में दूसरे सबसे अहम नेता स्टेनकजई अतीत में अफगानिस्तान में भारत की भूमिका के आलोचक रहे हैं। लिहाजा उनके संदेश ने नई दिल्ली और काबुल में भारतीय अधिकारियों को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने अपने अनौपचारिक संदेश में भारतीय पक्ष को बताया कि तालिबान काबुल में सुरक्षा स्थिति के बारे में भारतीय चिंताओं से अवगत है, लेकिन भारत को अपने मिशन और राजनयिकों की सुरक्षा के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. हालांकि इस संबंध में भारत ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है।


भारत को तालिबान पर नहीं भरोसा

तालिबान नेता के इस अनुरोध के बावजूद भारत उस पर भरोसा नहीं कर रहा है। भारत ने तय किया है सुरक्षा का आश्वासन दिए जाने के बावजूद भारतीय राजनयिक कर्मियों को पहले से तयशुदा प्लान के मुताबिक निकालना जारी रखना चाहिए।

इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारतीय समकक्ष एस जयशंकर ने इस हफ्ते में दूसरी बार अफगानिस्तान के हालात पर दूसरी बार चर्चा की। दोनों नेता गुरुवार को इस मामले पर करीबी समन्वय जारी रखने पर सहमत हैं। काबुल एयरपोर्ट से अमेरिका और अन्य सहयोगी देश अपने हजारों नागरिकों और सहयोगियों को वहां से सुरक्षित बाहर निकलने की कोशिश में हैं। भारत मंगलवार को अपने राजदूत रुद्रेंद्र टंडन और दूतावास के अपने कर्मियों को काबुल से सेना के विमान से वापस ले आया।

युद्धग्रस्त देश में स्थिति पर की थी चर्चा

बातचीत के बाद ब्लिंकन ने ट्वीट किया कि डॉ. जयशंकर के साथ गुरुवार को अफगानिस्तान के बारे में सार्थक बातचीत की। हम करीबी समन्वय जारी रखने पर सहमत हुए। ब्लिंकन और जयशंकर ने इससे पहले सोमवार को बातचीत की थी और युद्धग्रस्त देश में स्थिति पर चर्चा की थी। उस समय जयशंकर ने काबुल में एयरपोर्ट का संचालन बनाए रखने की तात्कालिक जरूरत पर जोर दिया था।

भारतीय नागरिकों को वापस लाने में अमेरिका के साथ कर रहे काम

जयशंकर ने गुरुवार को कहा था कि भारत अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारों, खासतौर से अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, अभी हमारे सामने अपने नागरिकों को स्वदेश लाने का मुद्दा है. भारत के मामले में भारत के नागरिकों, अन्य देशों की अपनी चिंताएं हैं. हम इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय साझेदारों, खासतौर से अमेरिका के साथ काम कर रहे हैं क्योंकि उनके पास काबुल हवाईअड्डे का नियंत्रण है।

तालिबान प्रवक्ता ने अंतरराष्ट्रीय दूतावास को नुकसान न पहुंचाने का दिया था भरोसा

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने मंगलवार को भरोसा दिया था कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय दूतावास या संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। उनका कहना था कि तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से मान्यता दी जानी चाहिए। पड़ोसी देशों को हम भरोसा देते हैं कि हमारी धरती का इस्तेमाल गलत कामों के लिए नहीं होगा। हम आशा करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमको मान्यता देगा। विदेशी दूतावासों की सुरक्षा जरूरी है और तालिबान यह सुनिश्चित करेगा।


भारत को अफगान में अपने प्रोजेक्ट्स को कर सकता है पूराइससे पहले, काबुल पर काबिज हो चुके तालिबान ने कहा था कि भारत को अफगान में अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करना चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक, भारत ने अफगानिस्तान में 3 अरब डॉलर की विकास परियोजनाओं पर निवेश किया है। तालिबान के नेता और प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने अफगानिस्तान की धरती का दूसरे देशों के खिलाफ इस्तेमाल न करने का आश्वासन दिया और कहा कि भारत को अपनी परियोजनाओं को पूरा करना चाहिए। उनका कहना था कि किसी भी देश को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ नहीं करने दिया जाएगा। भारत अफगानिस्तान में अपनी अधूरी पुनर्निर्माण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा कर सकता है।

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