नए साल के पहले दिन दुनिया में इतने लाख बच्चे होंगे पैदा, यहां पढ़ें 5 साल का ब्यौरा

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने एक बयान में कहा कि आज जन्म लेने वाले बच्चे एक साल पहले की तुलना में बहुत अलग दुनिया में प्रवेश करेंगे।

Update:2021-01-01 19:16 IST
कुछ रिसर्चरों का ये भी मानना है कि मां बनने वाली महिला को बच्चे की पैदाइश की सही तारीख़ नहीं बतानी चाहिए।क्योंकि जैसे जैसे डिलीवरी की तारीख़ नज़दीक आती जाती है, मां की बेचैनी बढ़ती जाती है।

नई दिल्ली: नए साल के दिन एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में 3,71,504 बच्चे जन्म लेंगे। इनमें से भारत में तकरीबन 60 हजार बच्चों के जन्म लेने की बात कही जा रही है। ये जानकारी संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने दी है।

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में कुल अनुमानित 140 मिलियन (14 करोड़) बच्चे पैदा होंगे। उनकी औसत जीवन प्रत्याशा 84 वर्ष होने की उम्मीद है।

नये साल के पहले दिन दुनिया में सबसे पहला बच्चा फिजी में और सबसे आखिरी बच्चा अमेरिका में पैदा होगा। यूनिसेफ के अनुसार नए साल के पहले दिन दुनियाभर के आधे से अधिक बच्चों का जन्म 10 देशों में होने का अनुमान है।

नये साल के पहले दिन दुनिया में इतने लाख बच्चे होंगे पैदा, यहां पढ़ें 5 साल का ब्यौरा(फोटो:सोशल मीडिया)

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नये साल के पहले दिन कहां पर कितने बच्चे पैदा होंगे, यहां जानें

भारत - 59,995

चीन - 35,615

नाइजीरिया - 21,439

पाकिस्तान - 14,161

इंडोनेशिया - 12,336

इथियोपिया - 12,006

अमेरिका - 10,312

मिस्र - 9,455

बांग्लादेश - 9,236

रिपब्लिक ऑफ द कांगो - 8,640

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक ने कही ये बड़ी बात

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने एक बयान में कहा कि आज जन्म लेने वाले बच्चे एक साल पहले की तुलना में बहुत अलग दुनिया में प्रवेश करेंगे।

नया साल दुनिया को पुनः स्थापित करने का एक नया अवसर लेकर आता है। उन्होंने यह भी कहा कि आज पैदा हुए बच्चे को विरासत में वो दुनिया मिलेगी, जिसका हमने उनके लिए निर्माण किया है।

नये साल के पहले दिन दुनिया में इतने लाख बच्चे होंगे पैदा, यहां पढ़ें 5 साल का ब्यौरा(फोटो: सोशल मीडिया)

भारत में पैदा होने वाले बच्चों की जीवन प्रत्याशा 80.9 वर्ष होगी- यूनिसेफ

यूनिसेफ के अनुसार भारत में, शुक्रवार को पैदा होने वाले बच्चों की जीवन प्रत्याशा 80.9 वर्ष होगी। इंडिया न्यूबर्न एक्शन प्लान 2014-2020 की मदद से हर दिन एक अतिरिक्त हजार बच्चे जीवित रहते हैं।

यूनिसेफ में भारत के प्रतिनिधि यश्मीन अली हक ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण न केवल एक संकट की स्थिति में, बल्कि हर समय लोगों की सुरक्षा के लिए व्यवस्था और नीतियों की आवश्यकता के बारे में हमें पता चला है। इस साल संगठन के 75 साल पूरे हो जाएंगे।

2020 में सबसे ज्यादा बच्चे भारत में पैदा हुए थे

वहीं अगर हम साल 2020 की बात करें तो पहले दिन दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चे भारत में पैदा हुए थे। विश्व में करीब 4,00,000 बच्चों ने जन्म लिया था और सबसे अधिक 67,385 बच्चे भारत में जन्मे हैं।

यूनिसेफ के अनुसार नये साल के पहले दिन दुनियाभर में करीब 3,92,078 बच्चे पैदा हुए थे और इनमें से करीब 67,385 बच्चे भारत में पैदा जन्में थे। इसके बाद दूसरे नंबर पर चीन रहा। वहां पर नये साल पर 46,299 बच्चे पैदा हुए थे।

नये साल के पहले दिन दुनिया में इतने लाख बच्चे होंगे पैदा, यहां पढ़ें 5 साल का ब्यौरा(फोटो:सोशल मीडिया)

2020 में सबसे पहला बच्चा फिजी में पैदा हुआ था

वर्ष 2020 में सबसे पहला बच्चा फिजी में पैदा हुआ था, जबकि सबसे आखिरी बच्चे ने अमेरिका में जन्म लिया था। वैश्विक स्तर पर इनमें से आधे बच्चों का जन्म आठ देशों में हुआ था, जिसमें भारत (67,385), चीन (46,299), नाइजीरिया (46,299), पाकिस्तान (16,787), इंडोनेशिया (13,020), अमेरिका (10,452), कांगो (10,247) और इथियोपिया (8,493) शामिल थे।

2019 से 2050 के बीच भारत की आबादी 27.3 करोड़ बढ़ने का अनुमान

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2019 से 2050 के बीच भारत की आबादी 27.3 करोड़ बढ़ने की संभावना व्यक्त की है। इसी अवधि में नाइजीरिया की आबादी में 20 करोड़ की वृद्धि होने की बात कही गई है।

यदि ऐसा होता है तो इन दोनों देशों की कुल आबादी 2050 में वैश्विक आबादी में वृद्धि का 23 फीसदी होगी। बताते चलें कि वर्ष 2019 में चीन की आबादी 1.43 अरब और भारत की आबादी 1.37 अरब रही।

सर्वाधिक आबादी वाले इन दोनों देशों ने 2019 में वैश्विक जनसंख्या में क्रमश: 19 और 18 फीसदी की हिस्सेदारी दर्ज कराई थी।

2019 को भारत में करीब 70 हजार बच्चे पैदा हुए थे

2019 में नए साल के पहले दिन दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चे भारत में पैदा हुए थे। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ के अनुसार 1 जनवरी, 2019 को भारत में करीब 70 हजार बच्चे पैदा होने का अनुमान है।

यूनिसेफ के अनुमान के अनुसार, नए साल के पहले दुनिया दुनिया में कुल बच्चों के जन्म का 18 फीसदी हिस्सा भारत का रहा। यूनिसेफ के अनुसार, 1 जनवरी को दुनिया भर में 3,95,072 बच्चे पैदा हुए और भारत में 69,944 बच्चों का जन्म हुआ था।

यूनिसेफ के अनुसार, दुनिया में बच्चों के जन्म की आधी से ज्यादा संख्या सिर्फ सात देशों में हुई। इनमें भारत के अलावा चीन (44,940), नाईजीरिया (25,685), पाकिस्तान (15,112), इंडोनेशिया (13,256), अमेरिका (11,086), डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (10,053) और बांग्लादेश (8,428) शामिल हैं. यूनिसेफ के अनुसार, 2019 का पहले दिन का पहला बच्चा संभवत: फिजी में और अमेरिका में अंतिम बच्चा पैदा हुआ।

नये साल के पहले दिन दुनिया में इतने लाख बच्चे होंगे पैदा, यहां पढ़ें 5 साल का ब्यौरा(फोटो:सोशल मीडिया)

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साल 2017-18 में नए साल के दिन करीब 3,86,000 बच्चों ने लिया था जन्म

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में नए साल के दिन करीब 3,86,000 बच्चे पैदा हुए और 69,070 बच्चों के साथ भारत सूची में पहले स्थान पर रहा।

नब्बे प्रतिशत से ज्यादा नवजात दुनिया के कम विकसित क्षेत्रों में पैदा हुए। यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर आधे से ज्यादा बच्चों का जन्म इन नौ देशों में हुआ।

भारत में 69,070, चीन में 44,760, नाइजीरिया में 20,210, पाकिस्तान में 14,910, इंडोनेशिया में 13,370, अमेरिका में 11,280, कांगो में 9,400, इथियोपिया में 9,020 और 8,370 बच्चे बांग्लादेश में पैदा हुए। हालांकि इनमें से कुछ बच्चे चल बसे। एक अनुमान के मुताबिक, हर साल के पहले 24 घंटों में ही 2600 बच्चों की मौत हो जाती है।

नये साल के पहले दिन दुनिया में इतने लाख बच्चे होंगे पैदा, यहां पढ़ें 5 साल का ब्यौरा (फोटो:सोशल मीडिया)

दुनिया में सिर्फ़ चार फ़ीसद बच्चे ही अपने सही वक़्त पर पैदा होते हैं

दुनिया में सिर्फ़ चार फ़ीसद बच्चे ही अपने सही वक़्त पर पैदा होते हैं।बाक़ी के 96 फ़ीसद में से कुछ बच्चे तय वक़्त से पहले, तो कुछ देर से दुनिया में आते हैं।

2002 में अमरीका के ओलिन कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग ने इस बात पर एक सर्वे कराया था।जिससे पता चलता है कि दूसरे या तीसरे बच्चे की पैदाइश के मुक़ाबले पहले बच्चे का जन्म अक्सर तय वक़्त से देर से होता है।समय पर पैदा होने वाले बच्चों से अगर तुलना की जाए, तो ये देरी महज़ कुछ घंटों की होती है।ज़्यादा से ज़्यादा 16 घंटे या उससे थोड़ा ज़्यादा।

मोटे तौर पर देखा जाए तो ये देरी कोई बहुत लंबा समय नहीं है।लिहाज़ा ये कहना ग़लत होगा कि पहले बच्चे की पैदाइश देर से होती है।इस मामले में यक़ीनी तौर पर कुछ भी कह पाना मुश्किल है।हरेक बच्चे के जन्म की कहानी अलग हो सकती है।

कुछ रिसर्चरों का ये भी मानना है कि मां बनने वाली महिला को बच्चे की पैदाइश की सही तारीख़ नहीं बतानी चाहिए।क्योंकि जैसे जैसे डिलीवरी की तारीख़ नज़दीक आती जाती है, मां की बेचैनी बढ़ती जाती है।

जब तक बच्चा पैदा नहीं हो जाता वो बेचैनी के आलम में रहती है।लिहाज़ा सही तारीख़ और वक़्त ना बताकर मां को इस ज़हनी तनाव से बचाया जा सकता है।

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