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Akshay Navami: सौभाग्य का प्रतीक है आंवला नवमी, जानें पूजा विधि और मुहूर्त
आज यानी 23 नवंबर को आंवली नवमी मनाया जा रहा है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। आवंला नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन दान-धर्म का बहुत अधिक महत्व होता है
लखनऊ: आज यानी 23 नवंबर को आंवली नवमी मनाया जा रहा है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। आवंला नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन दान-धर्म का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि आवंला नवमी के दिन जो भी दान किया जाता है, उसका लाभ सिर्फ वर्तमान में ही नहीं अगले जन्म में भी मिलता है।
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आंवली नवमी के दिन महिलाएं परिवार की सुख और शांत के लिए आंवला के वृक्ष की परिक्रमा लगाकर पूजा करती है। साथ ही आंवला के वृक्ष के नीचे पकवान बनाये जाते हैं और उन्हीं पकवानों से महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है।
बता दें कि अक्षय नवमी देव उठनी एकादशी से दो दिन पहले मनाई जाती है। हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का महत्व बहुत ज्यादा है। इस पर्व को बेहद ही श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। तो चलिए आज जानते हैं अक्षय नवमी महत्व, शुभ मुहूर्त, आंवले के पेड़ की पूजन विधि...
पूजा विधि
आंवला नवमी के दिन आवंला की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। फिर आंवले की पेड़ की पूजा करनी चाहिए। महिलाएं आंवला वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती है। आंवला पेड़ पर कच्चा दूध, हल्दी, रौली लगाया जाता है। इसके बाद आंवला पेड़ की परिक्रमा कर व्रती महिलाएं मौली बांधती है।
हिन्दू धर्म की मान्यता है कि अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा आंवले के रूप में की गयी थी और इसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण किया था। अगर आप किसी भी कारणवश आप इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा नहीं कर पा रहे हैं या उसके नीचे बैठकर भोजन ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं तो इस दिन आंवला जरूर खाएं।
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शुभ मुहूर्त
आज के दिन पूजा सूर्योदय के बाद किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बज कर 6 मिनट से 7 बज कर 26 मिनट तक, दिवा 09:01 से 10:09 बजे तक, दिवा 11:11 से 11:52 बजे तक एवं दिवा 12: 54 से संध्या 04:57 बजे तक पूजा की शुभ मुहूर्त है।
आवंला पूजन से लाभ
हिंदू मान्यता के अनुसार आज के दिन दान और पूजा से शुभ फल मिलता है। पुराणों में आवंला वृक्ष को विष्णु प्रिय माना गया है। साथ ही यह कहा जाता है कि अगर आंवले के वृक्ष को स्पर्श मात्र से ही दोगुना तथा फल सेवन पर तीन गुणा फल प्राप्त होता है।