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ब्रह्मा, विष्णु व रुद्र तीनों का समावेश है अयोध्या, इन पुराणों में है वर्णन
हिन्दूओं के धर्मग्रंथों में अयोध्या का वर्णन है। वेदों, पुराणों और उपनिषदों सहित अन्य ग्रंथों में इस महान नगरी कीर्ति का यशगान है। रामायण के अनुसार , मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की ये जन्मभूमि है। इस नगर को स्वयं मनु ने बसाया था, ऐसा महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण में लिखा है।
जयपुर: हिन्दूओं के धर्मग्रंथों में अयोध्या का वर्णन है। वेदों, पुराणों और उपनिषदों सहित अन्य ग्रंथों में इस महान नगरी कीर्ति का यशगान है। रामायण के अनुसार , मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की ये जन्मभूमि है। इस नगर को स्वयं मनु ने बसाया था, ऐसा महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण में लिखा है।
एक मान्यतानुसार, एक बार ब्रह्माजी के पास पहुंचकर मनु ने सृष्टिलीला के लिए उपयुक्त स्थान बताने का आग्रह किया। तो ब्रह्माजी उन्हें लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने मनु को आश्वासन दिया कि समस्त ऐश्वर्यसंपूर्ण साकेतधाम अयोध्यापुरी भूलोक में है।
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भगवान विष्णु ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा जी तथा मनु के साथ देवशिल्पी विश्वकर्मा को भेज दिया। इसके अलावा अपने रामावतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढ़ने के लिए महर्षि वसिष्ठ को भी उनके साथ भेजा। वसिष्ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीलाभूमि का चयन किया गया जहां विश्वकर्मा ने नगर का निर्माण किया। स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है। इसी पुराण अनुसार इसमें इस्तेमाल अयोध्या 'अ' कार ब्रह्मा, 'य' कार विष्णु और 'ध' कार रुद्र का ही रूप है।
अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर कहते हैं और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। स्कंदपुराण के अनुसार, भगवान राम का जन्म 5114 ईस्वी पूर्व हुआ था। चैत्र मास की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।अयोध्या ही कोशलपुरी थी।
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महाभारत, ब्रह्माण्ड पुराण, भागवत पुराण ,भागवत पुराण में भी अयोध्या के संकेत मिलता है कि कृष्ण के मथुरा-गमन के समय उनके दर्शन लाभ हेतु कोशल की जनता भी मार्ग में करबद्ध खड़ी थी।
महाभारत में कथा मिलती है कि एक बार पांडव सहदेव ने भी इस प्रदेश को जीत लिया था। महाभारत काल में कोशल का राजा क्षेमदर्शी था जो कुरुक्षेत्र युद्ध में दुर्योधन की तरफ से लड़ रहा था। अभिमन्यु के द्वारा वह मारा गया।
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भगवान श्रीराम के बाद लव ने श्रावस्ती बसाई और इसका 800 वर्षों तक का उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था।