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अवध कैसे बन गया अयोध्‍या, जानिए कौन था मीर बाकी

कालांतर में इस कौशल प्रदेश के दो हिस्‍से हो गए। उत्‍तर कौशल और दक्षिण कौशल। इन दोनों प्रदेशों को सरयू नदी बांटती थी। रामायण ग्रंथ के अनुसार में अयोध्‍या का उल्‍लेख कौशल प्रदेश की राजधानी के रूप में किया गया था। हालांकि पुराणों में इस नगर के बारे में कोई खास विवरण नहीं मिलता। साक्ष्‍यों के मुताबिक राम के जन्‍म के वक्‍त यह नगर अवध नाम से जाना जाता है। मौजूदा समय में यह अयोध्‍या से नाम जाना जाता है।

SK Gautam
Published on: 9 Nov 2019 6:58 AM GMT
अवध कैसे बन गया अयोध्‍या, जानिए कौन था मीर बाकी
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नई दिल्‍ली: देश दुनिया की निगाह आज सुप्रीम कोर्ट पर ही टिकी थी। फैसला भी आ चुका है फैसले में यह साफ़ हो गया कि विवादित जमीन पर ही राम मंदिर बनेगा। अयोध्‍या विवाद का आज शीर्ष अदालत में का ऐतिहासिक फैसला आ गया है। आखिर क्‍या थी इस फसाद की जड़। क्‍या है इसका ऐतिहासिक महत्‍व।

आज हम आपको इस नगर के प्राचीन, मध्‍यकालीन और आधुनिक कड़ियों से जोड़ते हैं और देखते हैं कि कैसे और कब यह ऐतिहासिक नगर अवध से अयोध्‍या बन गया। राम की नगरी से बाबर की नगरी तक का पूरा सफरनामा।

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कौशल प्रदेश की राजधानी थी अवध

बता दें कि ऐति‍हासिक साक्ष्‍यों के अनुसार अयोध्‍या कौशल प्रदेश की राजधानी थी। कालांतर में इस कौशल प्रदेश के दो हिस्‍से हो गए। उत्‍तर कौशल और दक्षिण कौशल। इन दोनों प्रदेशों को सरयू नदी बांटती थी। रामायण ग्रंथ के अनुसार में अयोध्‍या का उल्‍लेख कौशल प्रदेश की राजधानी के रूप में किया गया था। हालांकि पुराणों में इस नगर के बारे में कोई खास विवरण नहीं मिलता। साक्ष्‍यों के मुताबिक राम के जन्‍म के वक्‍त यह नगर अवध नाम से जाना जाता है। मौजूदा समय में यह अयोध्‍या से नाम जाना जाता है।

मनु ने की थी अयोध्‍या की स्‍थापना

अयोध्‍या हिंदुओं का प्राचीन और पवित्रस्‍थल है। रामायण के मुताबिक अयोध्‍या की स्‍थापना मनु ने की थी। मनु का जिक्र पौराणिक साक्ष्‍यों में उपलब्‍ध है। हिंदुओं के तीर्थस्‍थलों में अयोध्‍या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची अवंतिका और द्वारका शामिल है। ऐसी मान्‍यता है कि हिंदुओं के इष्‍ट श्रीराम का जन्‍म अयोध्‍या में हुआ था। राम के पिता दशरथ का यहां साम्राज्‍य था।

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बौद्ध साहित्‍य में अयोध्‍या बनाम साकेत

बौद्ध साहित्‍य में भी अवध प्रांत का जिक्र है। इसके मुताबिक बौद्ध काल में अयोध्‍या के साथ-साथ साकेत का भी जिक्र मिलता है। साक्ष्‍य बताते हैं कि अयोध्‍या के निकट साकेत नामक एक नई बस्‍ती बसाई गई थी। बौद्ध साहित्‍य में साकेत और अयोध्‍या का नाम साथ-साथ मिलता है। इसके कारण कई इतिहासकार और विद्वान साकेत और अयोध्‍या को एक ही मानते हैं। कालीदास ने भी अपने रघुवंश में दोनों नगरों को एक ही माना है। जैन साहित्‍य में में भी इसका जिक्र है। वहीं वाल्मीकि रामायण में अयोध्या को कौशल की राजधानी बताया गया है। इसके बाद संस्कृत ग्रंथों में साकेत से मिला दिया गया।

मीर बाकी ने अवध प्रदेश पर किया कब्‍जा

15वीं सदी में मुगल साम्राट बाबर की भारत पर नजर थी। सोने की चीडि़या कहे जाने वाला भारत उसको हर पल बेचैन करता था। 1526 में वह भारत कूच पर निकला। 1528 तक उसके साम्राज्‍य का विस्‍तार अवध तक हो चुका था। हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि बाबर का सेनापति मीर बाकी ने मंदिर का ध्वस्तीकरण करवाया था। कालांतर में यह मस्जिद बाबरी मस्जिद के नाम से जानी जाती है।

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जानिए कौन था मीर बाकी?

मीर बाकी मुगल बादशाह बाबर का एक प्रमुख कमांडर था और मूल रूप से ताशकंद (मौजूदा समय में उज्बेकिस्तान का एक शहर) का निवासी था। माना जाता था कि बाबर ने उसे अवध प्रदेश का शासक यानि गवर्नर बनाया था। बाबरनामा में मीर बाकी को बाकी ताशकंदी के नाम से भी बुलाया गया है। इसके अलावा उसे बाकी शाघावाल, बाकी बेग और बाकी मिंगबाशी नामों से भी जाना गया। लेकिन बाबरनामा में उसे मीर नाम से नहीं पुकारा गया है।

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