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अयोध्या: राम मंदिर पर SC का बड़ा फैसला, विवादित जमीन रामलला की
वहीं, फैसले को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में धारा 144 लागू है। साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। अयोध्या में अर्धसैनिक बलों के 4000 जवानों को तैनात किया गया। लोगों से संयम बरतने की अपील की गई है।
नई दिल्ली: देश के सबसे पुराने केस में आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। अयोध्या के रामजन्मभूमि विवाद केस में सबसे बड़ा और अंतिम फैसला आया है कि विवादित स्थल पर ही मंदिर बनेगा। कोर्ट ने राम लला के पक्ष में फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कुल 38 दिनों तक चली सुनवाई के बाद आज (9 नवंबर) को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
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बता दें, फैसले से पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देस्ध्वासियों से पहले शांति की अपील की थी। वहीं, दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम ने भी मुसलमानों से शांति बनाये रखने की अपील की थी। कोर्ट ने अयोध्या मामले पर चार सूट पर फैसला सुनाया।
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई में पांच जजों की विशेष पीठ चार सूट पर फैसला सुनाया था। सूट नंबर 1 गोपाल सिंह विशारद से जुड़ा था, दूसरा निर्मोही अखाड़ा, तीसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और चौथा सूट रामलला विराजमान से जुड़ा था।
कोर्ट में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने सुबह 10.30 पर इस मामले पर अपना फैसला सुनाना शुरू कर दिया था, जबकि फैसले के लिए सुबह करीब 9.30 बजे के बाद सभी जजों ने कोर्ट पहुंचना शुरू कर दिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत बेंच के बाकी जज भी वहां टाइम से पहुंचे। इसके बाद कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया और कहा कि विवादित स्थल पर राम लला का मालिकाना हक है।
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केंद्र सरकार 3 महीने में मंदिर बनाने के लिए स्कीम बनाए। इस बात के सबूत नहीं हैं कि मुस्लिमों ने मस्जिद का त्याग कर दिया था। हिंदू हमेशा से मानते रहे हैं कि मस्जिद का भीतरी हिस्सा ही भगवान राम की जन्मभूमि है। यह साबित हुआ है कि मुस्लिम ढांचे के भीतर इबादत करते थे और मुस्लिम उसके बाहर पूजा करते थे।
कोर्ट में फैसले के दौरान क्या कहा?
- इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे। रेकॉर्ड्स के सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से में हिंदुओं का कब्जा था: सुप्रीम कोर्ट
- ASI यह स्थापित नहीं कर पाया कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को ध्वस्त कर किया गया था: सुप्रीम कोर्ट
- बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर हुआ था, जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। ASI के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था: सुप्रीम कोर्ट
- हिंदुओं की आस्था है कि भगवान राम की जन्म गुंबद के नीचे हुआ था। आस्था वैयक्तिक विश्वास का विषय है: सुप्रीम कोर्ट
- हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, यह निर्विवाद है: सुप्रीम कोर्ट
- केस का फैसला महज ASI के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता। जमीन पर मालिकाना हक का फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
- सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
- बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। ASI ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर होने की बात कही है।
- सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज किया। उसने देरी से याचिका दायर की थी।
अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
वहीं, फैसले को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में धारा 144 लागू है। साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। अयोध्या में अर्धसैनिक बलों के 4000 जवानों को तैनात किया गया। लोगों से संयम बरतने की अपील की गई है। सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा पीएम मोदी समेत कई दिग्गज नेताओं ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की थी।