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Baisakhi Kab Aur Kyu Manaya Jata Hai बैसाखी क्यों मनाया जाता है?, जानिए इसका धार्मिक महत्व और इस का शुभ काल

Baisakhi Kab Aur Kyu Manaya Jata Hai बैसाखी का पर्व 13-14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस समय खेतों में रबी की फसल की कटाई होती है। यह त्योहार पूरे देश में खासकर पंजाब के साथ-साथ उत्तर भारत में मनाया जाता है

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 5 April 2023 8:37 PM IST (Updated on: 14 April 2023 4:26 PM IST)
Baisakhi Kab Aur Kyu Manaya Jata Hai बैसाखी क्यों मनाया जाता है?, जानिए इसका धार्मिक महत्व और इस का शुभ काल
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सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Baisakhi Kab Aur Kyu Manaya Jata Hai

बैसाखी कब और क्यों मनाया जाता है?

यह बैसाखी एक हिंदू उत्सव है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है। इस उत्सव को सबसे ज्यादा पंजाब राज्य में मनाया जाता है और यहां पर इसे बैसाखी दा त्यौहार के नाम से जाना जाता है। इस उत्सव को खेती के नए साल के रूप में मनाया जाता है, जब खेती में उत्पादकता और खुशहाली की उम्मीद होती है। इस दिन किसान अपने खेतों में जाकर अपनी फसल को काटते हैं और इसे महानतम सम्मान देकर धन्यवाद करते हैं। इस दिन खाने-पीने का विशेष महत्व होता है और खेती से संबंधित नृत्य और गीत भी गाए जाते हैं।

बैसाखी का पर्व 13-14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस समय खेतों में रबी की फसल की कटाई होती है। यह त्योहार पूरे देश में खासकर पंजाब के साथ-साथ उत्तर भारत में मनाया जाता है। केरल में यह त्योहार 'विशु' कहलाता है। बंगाल में इसे नववर्ष, असम में इसे रोंगाली बिहू, तमिलनाडु में पुथंडू और बिहार में इसे बैसाख के नाम से जाना जाता है।

बैसाखी का महत्व

इस दिन धर्म की रक्षा करना और समाज की भलाई करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। यह मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इतना ही नहीं बैसाखी बंगाली कैलेंडर का पहला दिन है इसलिए बंगाल में भी इस दिन को शुभ माना जाता है। यह दिन सिख समुदाय के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सभी सिख लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं। आग के चारो ओर घूमते हैं। और नई फल की खुशियां मनाते हैं। इस दिन पंजाब में भांगड़ा और गिद्द किया जाता है।

बता दें कि इस दिन सभी लोग गुरु ग्रंथ साहिब को दूध और जल से स्नान करते हैं और तख्त पर बैठाकर पंचबानी गाते हैं। गुरु को कड़ा प्रसाद भोग लगाया जाता है। प्रसाद लेने के बाद लोग गुरु के लंगर में शामिल होते हैं। दिनभर गुरु गोविंदसिंह के लिए शबद् और कीर्तन गाए जाते हैं।

बैसाखी से जुड़ी अनेक प्रसिद्ध कथाएं हैं,

बैसाखी का दिन सिख धर्म के पंथकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। सिख धर्म के पंथक गुरु गोबिंद सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 में खालसा पंथ की स्थापना किया था। इसलिए यह दिन सिख लोगों के लिए सबसे खास होता है। उन्होंने अपने पंथीओं को समर्पित करने के लिए पांच योद्धा चुने थे, जो पंच प्यारे कहलाए। साथ ही उनके ही निर्देश पर सिखों के लिए खालसा पंथ के प्रतीक के तौर पर 5 ककार यानि केश, कंघा, कृपाण, कच्छ और कड़ा को अनिवार्य किया गया था।

बैसाखी के दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान शहीद, भगत सिंह की शहादत का भी स्मरण किया जाता है। भगत सिंह ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई की थी। उन्होंने ब्रिटिश राज्यपाल की हत्या के लिए फांसी पर चढ़ने से पहले बैसाखी के उत्सव में भाग लिया था।

एक कथा के अनुसार, बैसाखी त्यौहार की मूल उत्पत्ति खेती से जुड़ी है। यह त्यौहार वैसाख महीने में उत्तर भारत के किसानों के लिए खेती के समय का महत्वपूर्ण दिन होता है। वैसे तो इस दिन के अनेक इतिहास हैं। लेकिन सबसे विस्तृत और महत्वपूर्ण कथा अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब से जुड़ी है।

बैसाखी 2023 शुभ काल और महत्व

बैसाखी संक्रान्ति का क्षण मेष संक्रान्ति- 15:12 pm

बैसाखी का दिन किसानों के लिए महत्‍वपूर्ण है क्योंकि यह दिन रबी फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। इसी दिन गेहूं की पक्की फसल को काटने की शुरूआत होती है। इस दिन किसान सुबह उठकर नहा धोकर मंदिरों और गुरुद्वारे में जाकर भगवान से खुशियों के पालन के लिए प्रार्थना करते हैं।

इस दिन देवी दुर्गा और भगवान शंकर की पूजा होती है। इस दिन व्यापारी नये कपड़े धारण कर अपने नए कामों का आरम्भ करते हैं।

बैसाखी रखें विशेष ध्यान

बैसाखी के दिन लोग धन, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद पाने के लिए प्रार्थना करते हैं।

बैसाखी क्या करें

  • बैसाखी के दिन गुरुद्वारे में जाकर प्रार्थना करें और सभी लोगों को बैसाखी की बधाई दें।
  • अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिठाई बांटें और उन्हें बैसाखी की बधाई दें।
  • बैसाखी की परंपराओं को समझें और उन्हें सम्मान दें।
  • समाज सेवा करें, जैसे कि दान दें या जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
  • बैसाखी पर रंग-बिरंगे कपड़े पहनें और खुशहाली मनाएं।

बैसाखी पर नहीं करें

  • अनुचित तरीके से शराब पीना या अन्य नशीली पदार्थ नहीं पीने चाहिए।
  • किसी भी तरह की हिंसा करना या अन्य लोगों को तंग नहीं करना चाहिए।
  • पूर्वाग्रह करना या किसी भी तरह की भ्रमात्मक गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए।

बैसाखी का धार्मिक महत्व

बैसाखी एक पंजाबी त्यौहार है, जो सभी समुदायों में मनाया जाता है। यह त्यौहार नए मौसम के आगमन को बताता है और समूचे उत्तर भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है। धर्म के अनुसार, बैसाखी के दिन सूर्य ग्रह मेष राशि में प्रवेश करता है। यही कारण है कि इस पर्व को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस दिन कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान करने से जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिती मजबूत हो जाती है और जातक को हानिकारक प्रभावों से छुटकारा मिल जाता है। इससे बैसाखी का ज्योतिषीय महत्व बढ़ जाता है।इस दिन सूर्य का उदय सबसे पहले दिखाई देता है और इसलिए यह एक बहुत ही पवित्र पर्व माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, बैसाखी का दिन एक शुभ समय होता है, जब नए कार्य शुरू किए जा सकते हैं। इस दिन नए संबंध, नए व्यापार और अन्य नए परियोजनाओं को भी आरंभ किया जा सकता है। इस दिन ज्योतिषीय दृष्टि से यह महत्वपूर्ण होता है कि एक व्यक्ति के जीवन में एक नया अध्याय शुरू हो। यह एक शुभ समय होता है, जब नई संभावनाएं उभरती हैं और नए सपने और उद्देश्यों की शुरुआत होती है।



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Suman Mishra। Astrologer

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