×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

यहां सुहागिन महिलाएं रहती है सुनी मांग, नहीं कर सकती श्रृंगार, जानिए क्यों है ऐसी परंपरा?

जब भी भारतीज रिवाजों में शादी-विवाह की बात आती है, तो सबसे पहले दुल्हन के लिए लाल जोड़े की मांग की जाती है क्योंकि लाल जोड़ा सुहागिन होने की निशानी है। हमारे देश में शादीशुदा महिलाओं को हमेशा पूरे साज-श्रृंगार में देखा जाता है।

suman
Published on: 27 July 2019 11:52 AM IST
यहां सुहागिन महिलाएं रहती है सुनी मांग, नहीं कर सकती श्रृंगार, जानिए क्यों है ऐसी परंपरा?
X

जयपुर: जब भी भारतीज रिवाजों में शादी-विवाह की बात आती है, तो सबसे पहले दुल्हन के लिए लाल जोड़े की मांग की जाती है क्योंकि लाल जोड़ा सुहागिन होने की निशानी है। हमारे देश में शादीशुदा महिलाओं को हमेशा पूरे साज-श्रृंगार में देखा जाता है। उनकी मांग में सिंदूर होना तो सबसे ज्यादा जरूरी है। लेकिन, वहीं हमारे देश में ही एक जगह ऐसी भी है, जहां सुहागिन महिलाएं, विधवाओं की तरह रहती हैं। ये महिलाएं न तो मांग में सिंदूर सजाती हैं, न ही माथे पर बिंदिया कपड़े भी हमेशा सफेद ही पहनती हैं।

4 साल के परिश्रम का परिणाम,यहां समुद्र में मिला है तीसरी व चौथी शताब्दी के मंदिर का अवशेष

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के कोसमी गांव में एक ऐसा परिवार रहता है, जिसकी सुहागिन महिलाएं पिछली 10 पीढ़ियों से विधवाओं की तरह रहती आ रही हैं। यह उनका शौक नहीं मजबूरी है। इसे उनके परिवार में परंपरा का नाम दिया गया है।गरियाबंद जिला से 22 किमी दूर कोसमी नाम का गांव है, जहां के पुजारी परिवार में कुल 14 महिलाएं हैं। इन 14 महिलाओं में 3 विधवा और 11 सुहागिन हैं। पर ये सभी की सभी महिलाएं सफेद रंग की साड़ी पहनती हैं। घर से बाहर बाजार जाना हो या घर में कोई फंक्शन हो, सभी सफेद रंग की साड़ी में ही नजर आती हैं। वहीं इस परिवार में रहने वाली बहू बरजमंत बाई कहती हैं कि इस परिवार की सुहागिन बहुएं भी मांग में सिंदूर नहीं लगाती हैं। न तो किसी तरह का मेकअप करती हैं। वैसे कौन विधवा है, कौन सुहागिन है, इस बात का पता महिलाओं की चूड़ियों को देखकर लगा सकते हैं। विधवा महिलाएं चांदी की चूड़ियां और सुहागिन महिलाएं कांसे की चूड़ियां पहनती हैं।

मर्द हो! ‘वर्जिन’ और वर्जिनिटी के बारे में ये ’8 बातें’ नोट कर लो

बिना साज-श्रंगार के रहने की यह परंपरा इस परिवार में पिछले 10 सालों से है,तब से इस परिवार की सुहागिन महिलाएं विधवाओं की तरह जिंदगी जी रही हैं। बता दें कि इस परिवार की बेटियां रंगीन कपड़े पहन सकती हैं और साज-श्रृंगार भी कर सकती हैं। उनके ऊपर इस परंपरा की कोई पाबंदी नहीं है। यह परंपरा केवल बहुओं के लिए ही है। बहुओं के लिए इतनी कठिन परंपरा होने के बावजूद लोग अपनी बेटियों को इस परिवार की बहू बनाना अपना सौभाग्य समझते हैं। मां-बाप खुशी-खुशी अपनी बेटियों को सफेद कपड़ों में दुल्हन बनाकर इस परिवार में विदा करते हैं। परिवार में आई नई बहू फिरंतन बाई ने पढ़ाई में ग्रेजुएशन पूरा किया है। लेकिन फिर भी इस परिवार में वह बिना साज-श्रृंगार के रह रही हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं है।

पुजारी परिवार में सभी महिलाओं के सफेद साड़ी पहनने के पीछे एक बड़ी ही इंट्रेस्टिंग कहानी है। परिवार के मुखिया तीरथराम के अनुसार उनके परिवार की महिलाओं को सफेद कपड़ों में रहने का श्राप मिला है। अगर उनके खानदान की महिलाएं रंगीन कपड़े पहनती हैं, तो उनके शरीर में तरह-तरह की दिक्कतें शुरू हो जाती हैं और परिवार पर विपत्तोयों का पहाड़ सा टूट पड़ता है। उनका मानना है कि उनके परिवार को यह श्राप खुद देवी मां ने दिया था। तभी से उनके परिवार की सभी महिलाएं इसका पालन कर रही हैं।

बिस्तर पर 54 करोड़ महिलाओं को पति से है खतरा, इस सर्वे को देख हिल जाएंगे

बता दें कि भले ही यह परिवार गांव में रहता है लेकिन इस परिवार के लोग पढ़े-लिखे और सभ्य हैं। उन्होंने कभी भी इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश नहीं की। इस परिवार के सदस्य तीर्थराम का कहना है कि 1995 में इसी परिवार की एक बहू ने इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की थी। उसने मांग में सिंदूर भरना शुरू कर दिया था, जिसकी वजह से उसे भयंकर परिणाम भुगतने पड़े थे। दो साल में ही उसकी दोनों बेटियों एक बेटे, पति और खुद उस महिला की भी मौत हो गई। कोसमी के इस पुजारी परिवार को गांव में बहुत सम्मान है। पूरे गांव में अगर किसी भी घर में कोई फंक्शन होता है, तो लोग इन्हें बुलाना नहीं भूलते।



\
suman

suman

Next Story