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बच्चे का रक्षा कवच ज्योतिष के ये उपाय, बार-बार लगती है चोट, तो ऐसे बचाएं
माना जाता है कि 12 वर्ष की आयु तक बच्चा चन्द्रमा के प्रभाव में होता है। चन्द्रमा की स्थिति अनुकूल नहीं होने पर बच्चा अपनी चंचलता के कारण अक्सर स्वयं को चोट लगा बैठता है।
जयपुर : किसी भी तरह की दुर्घटना के लिए सबसे पहले चन्द्रमा को देखें। इसके बाद राहु केतु की स्थिति को समझना होगा।अगर इसमें सूर्य या मंगल की भूमिका हो तो व्यक्ति चोट का शिकार हो जाता है। शनि मंगल से ये दुर्घटना काफी ज्यादा हो जाती है। चोट के समय जिस राशि का प्रभाव ज्यादा होता है, शरीर के उसी हिस्से में चोट ज्यादा आ जाती है।
बच्चे पर चन्द्रमा का प्रभाव
माना जाता है कि 12 वर्ष की आयु तक बच्चा चन्द्रमा के प्रभाव में होता है। चन्द्रमा की स्थिति अनुकूल नहीं होने पर बच्चा अपनी चंचलता के कारण अक्सर स्वयं को चोट लगा बैठता है। ऐसे में वास्तु में कुछ आसान से उपायों को अपनाकर बच्चों को चोट लगने से बचाया जा सकता है।
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जानते हैं इन आसान से उपायों के बारे में...
बच्चे को रोज स्नान करवाएं,स्नान के जल में जरा सा गुलाब जल मिलाएं। बच्चे के गले में हनुमान जी को स्पर्श करके एक लाल धागा पहनाएं बच्चे के लिए माता या पिता सोमवार को सफ़ेद वस्तु का दान करें। बच्चे को सलाह लेकर एक ओपल या मोती धारण करवाएं।
चमेली के तेल का दीपक
अर्धचन्द्र का लॉकेट बच्चों को पहनाने से उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और चोट एवं दुर्घटना में भी कमी आती है। बच्चे या बड़े भी दुर्घटनाओं से बचाव के लिए मंगलवार को हनुमान मंदिर में जाकर मिट्टी के दीये में चमेली के तेल का दीपक अवश्य जलाएं।
हादसों से बचाव
पक्षियों को लाल मसूर खिलाने से भी हादसों से बचाव होता है। हनुमान मंदिर से जाएं तो बच्चों की कलाई पर मौली अवश्य बंधवाएं। हनुमानजी के मंदिर में गुड़-चने का प्रसाद बांटें।
दुर्घटनाओं से बचाव
घर की छत पर लाल पताका लगाने से भी दुर्घटनाओं से बचाव होता है। माना जाता है कि दुर्घटना से बचाव के लिए घर से निकलते समय मुंह मीठा कर कभी न निकलें।
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बेड के सिरहाने
बच्चों के सोते समय ध्यान रखें कि उनके बेड के सिरहाने जूते या चप्पल न रखे हों। न ही जल को सिरहाने रखकर सोएं।
मारुती यंत्र
बच्चे को मोती धारण कराने से भी हादसों से बचाव होता है। पिरामिड सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत होता है। इसे कार या फिर किसी भी वाहन में रखने से सकारात्मक ऊर्जा और एकाग्रता का प्रभाव बढ़ता है। मारुती यंत्र को भी वाहन में स्थापित किया जा सकता है।