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इस तरह करें दुर्गा सप्तशती का पाठ, तभी मिलेगा शेरावाली मां का आशीर्वाद
चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है। घर में पूजा पाठ व मां का आगमन हो चुका है। लोग अपने- अपने तरीके से देवी मां को प्रसन्न कर रहें। नवरात्रि के दौरान ज्यादातर घरों में साधक दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं । कहते हैं कि इस पाठ को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, लेकिन इसको करने के कुछ विशेष नियम है,
जयपुर :चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है। घर में पूजा पाठ व मां का आगमन हो चुका है। लोग अपने- अपने तरीके से देवी मां को प्रसन्न कर रहें। नवरात्रि के दौरान ज्यादातर घरों में साधक दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं । कहते हैं कि इस पाठ को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, लेकिन इसको करने के कुछ विशेष नियम है, जिनका पालन करने से पाठ का पूरा फल प्राप्त होता है और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
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दुर्गा सप्तशती के तीन खंड
दुर्गा सप्तशती में तीन चरित्र यानी खण्ड हैं। जो प्रथम चरित्र, मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र है। प्रथम चरित्र में पहला अध्याय आता है। मध्यम चरित्र में दूसरे से चौथा अध्याय और उत्तम चरित्र में 5 से लेकर 13 अध्याय आते हैं। साधक, जो पाठ करता है उसको एक पाठ पूरा जरूर करना चाहिए। एक बार में तीनों चरित्र का पूरा पाठ करना उत्तम माना गया है। मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती के सभी मंत्र ब्रह्माजी, महर्षि वशिष्ठ और ब्रहर्षि विश्वामित्र के द्वारा शापित किए गए हैं। इसलिए पाठ करने से पहले शापोद्धार करना आवश्यक है। नहीं तो पाठ का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है।
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बीज मंत्र
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले प्रथम पूज्यनीय श्रीगणेश और दुर्गा सप्तशती की पूजा के साथ कलश और नवग्रह की पूजा करें और अखंड दीप जलाएं। कवच, कीलक, अर्गलास्त्रोत, नर्वाण मंत्र और देवी सूक्त का पाठ करना चाहिए। इससे पाठ का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। संपूर्ण पाठ करने का यदि समय नहीं है तो सिर्फ कुंजिका स्त्रोत का पाठ कर देवी से प्रार्थना करने पर भी माता आपकी पूजा को स्वीकार कर लेती है। हर दिन पाठ के अंत में माता से किसी भी प्रकार की गलती या भूल के लिए क्षमायाचना करना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले और बाद में नवारण मंत्र ‘ओम एं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये नम:’ का जाप अवश्य करना चाहिए। इस मंत्र में देवी सरस्वती, लक्ष्मी और मां काली के बीज मंत्र संग्रहित है।