×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी के दिन क्यों नहीं खाते चावल

Ekadashi Vrat Niyam : एकादशी व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत है जो हर मासिक एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन अनेक लोग चावल नहीं खाते हैं। एकादशी पर चावल न खाने के पीछे कई कारण हैं। प्रमुखतः, यह व्रत आध्यात्मिक और शारीरिक पवित्रता का प्रतीक है और चावल को मानसिक और शारीरिक शुद्धता को भंग नहीं करने के लिए छोड़ा जाता है।

Newstrack
Published on: 5 Jun 2023 9:59 PM IST
Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी के दिन क्यों नहीं खाते चावल
X
Ekadashi Vrat Niyam (social media)

Ekadashi Vrat Niyam : पद्म पुराण के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा विधि-विधान से की जाती है। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा करने पर मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। साथ ही इस दिन दान करने से हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। इस दिन निर्जला व्रत रहा जाता है। जो लोग इस दिन व्रत नही रख पाते। वह लोग सात्विक का पालन करते हैं। यानी कि इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा नहीं खाएं और झूठ, ठगी आदि का त्याग कर दें। साथ ही इस दिन चावल और इससे बनी कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए।

हम पुराने जमाने से यह बात सुनते चले आ रहे कि एकादशी के दिन चावल और इससे बनी कोई भी चीज नही खाई जाती है। लेकिन इसके पीछे सच्चाई क्या है यह नहीं जानते हैं। जब भी हम यह बात सुनते होंगे कि आज एकादशी है और आज चावल नहीं खाए जाते है, तो हमारे दिमाग में एक ही बात है कि ऐसा क्यों है, जानिए इसके पीछे क्या रहस्य है।

शास्त्रों में चावल का संबंध जल से किया गया हैं और जल का संबंध चंद्रमा से है। पांचों ज्ञान इन्द्रियां और पांचों कर्म इन्द्रियों पर मन का ही अधिकार है। मन और श्वेत रंग के स्वामी भी चंद्रमा ही हैं, जो स्वयं जल, रस और भावना के कारक हैं, इसीलिए जलतत्त्व राशि के जातक भावना प्रधान होते हैं, जो अक्सर धोखा खाते हैं।

एकादशी के दिन शरीर में जल की मात्रा जितनी कम रहेगी, व्रत पूर्ण करने में उतनी ही अधिक सात्विकता रहेगी। आदिकाल में देवर्षि नारद ने एक हजार साल तक एकादशी का निर्जल व्रत करके नारायण भक्ति प्राप्त की थी। वैष्णव के लिए यह सर्वश्रेष्ठ व्रत है। चंद्रमा मन को अधिक चलायमान न कर पाएं, इसीलिए व्रती इस दिन चावल खाने से परहेज करते हैं।

शास्त्रों में एक पौराणिक कथा भी है। इसके अनुसार माता शक्ति के क्रोध से भागते-भागते भयभीत महर्षि मेधा ने अपने योग बल से शरीर छोड़ दिया और उनकी मेधा पृथ्वी में समा गई। वही मेधा जौ और चावल के रूप में उत्पन्न हुईं।

ऐसा माना गया है कि जिस दिन यह घटना हुई। उस दिन एकादशी का दिन था। यह जौ और चावल महर्षि की ही मेधा शक्ति है, जो जीव हैं। इस दिन चावल खाना महर्षि मेधा के शरीर के छोटे-छोटे मांस के टुकड़े खाने जैसा माना गया है, इसीलिए इस दिन से जौ और चावल को जीवधारी माना गया है।

एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछें वैज्ञानिक तथ्य भी है। इसके अनुसार चावल में जल की मात्रा अधिक होती है। जल पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का निग्रह और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजे खाना वर्जित कहा गया है।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story