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शुरू हो गई फाल्गुन की बयार, जानिए इस पवित्र माह के व्रत और त्योहार
फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। फाल्गुन मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। इस माह शीतल जल से स्नान करना लाभदायक होता है।
जयपुर: एक साल में 12 महीने होते हैं, अंग्रेजी पंचांग में जनवरी से शुरू होकर दिसंबर में खत्म होता है वहीं हिंदू पंचांग में साल चैत्र के महीने से शुरू होता है और फाल्गुन के महीने के साथ खत्म होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल का अंतिम 12वां माह फाल्गुन होता है।
जानें कब से कब तक..
इस बार फाल्गुन का महीना 28 फरवरी से शुरू हो रहा है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, फाल्गुन के महीने को उर्जा और यौवन का महीना माना गया है। कहा जाता है कि फाल्गुन के महीने में वातावरण खुशनुमा हो जाता है और हर जगह नई उमंग छा जाती है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी फाल्गुन का महीना बहुत शुभ माना जाता है। फाल्गुन महीना 2021 प्रारंभ: - 28 फरवरी 2021, रविवार,फाल्गुन महीना 2021 समाप्त: - 28 मार्च 2021, रविवार।
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मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्व
फाल्गुन मास का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं है इसका मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्व भी है। यह महीना हमें सीखाता है कि हमेशा सकारात्मक सोचें चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो। इस मास के व्रत, त्योहारों में भी यही भाव छिपा है। इस मास से जुड़ी कुछ रोचक बातें इस प्रकार हैं- फाल्गुन को प्यार, आनंद व उल्लास का महीना कहा जाता है। फाल्गुन में चंद्र देव का जन्म माना जाता है। मन की चंचलता पर रोक लगाने के लिए इस माह चंद्र देव को जल अर्पित किया जाता है और शायद
यही वजह है कि प्यार का महीना भी इसे कहा जाता है। अंग्रेजी सभ्यता का वेलेनटाइन डे भी इस माह में पड़ता है। इस माह में बहुत सी ऐसी तिथियां है जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से फाल्गुन के महीने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि फाल्गुन के महीने में दान, पुण्य और तर्पण करना बहुत शुभ होता है। घर की सुख शांति के लिए किए गए पूजा-पाठ अवश्य सफल होते हैं और भगवान का वरदान प्राप्त होता है।
इस माह अनाज का प्रयोग कम
फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी को जानकी नवमी पर माता सीता का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां जानकी का जन्म हुआ था। इस माह कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। इस माह होली से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक आरंभ हो जाता है और इन दिनों में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
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तामसिक भोजन से परहेज
फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। फाल्गुन मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। इस माह शीतल जल से स्नान करना लाभदायक होता है। इस माह अनाज का प्रयोग कम करना चाहिए और अधिक से अधिक फलों का सेवन करना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। इस माह रंगीन और सुंदर कपड़े धारण करना चाहिए।
इस माह के त्योहार
2 मार्च, मंगलवार – संकष्टी चतुर्थी, 6 मार्च, शनिवार – जानकी जयंती, 8 मार्च, सोमवार – महर्षि सरस्वती जयंती, 9 मार्च, मंगलवार – विजया एकादशी,10 मार्च, बुधवार – प्रदोष व्रत, 11 मार्च, बृहस्पतिवार – महाशिवरात्रि, 13 मार्च, शनिवार – फाल्गुन अमावस्या, 14 मार्च, रविवार – मीन संक्रांति, 15 मार्च, सोमवार – फूलेरा दूज,17 मार्च, बुधवार – विनायक चतुर्थी,21 मार्च से 28 मार्च – होलास्टक प्रारंभ,25 मार्च, बृहस्पतिवार – आमली एकादशी, 26 मार्च, शुक्रवार – प्रदोष व्रत,28 मार्च, रविवार – होलिका दहन, फाल्गुन पूर्णिमा
ऐसी है इसकी महिमा
इस माह ऐसी मान्यता है कि इस माह की विजया एकादशी का महत्व भगवान राम से जुड़ा है। सीता हरण के बाद लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए जाते समय जब समुद्र बाधा बना। तब श्रीराम ने विजया एकादशी का व्रत कर सागर पार करने में सफलता पाई और युद्ध में विजयी हुए। इसलिए इस दिन भगवान वासुदेव की पूजा की जाती है।
*इस माह की अंतिम तिथि को मनाए जाने वाला होली उत्सव का अत्यंत धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक महत्व है। यह आनंद, प्रेम, सद्भावना का पर्व है। यह भावनाओं के स्तर पर एक दूसरे के रंग में रंग जाने का अवसर है।
*लिंगपुराण में होलीका उत्सव को फल्गुनिका के नाम से जाना जाता है। जिसे बालकों की क्रीड़ाओं से पूर्ण और सुख समृद्धि देने वाला बताया गया है।
* इसी प्रकार वराहपुराण में भी इस उत्सव को पटवास विलासीनी अर्थात् चूर्णयुक्त खेल और लोक कल्याण करने वाली बताया गया है।
*फाल्गुन माह और इसके पर्व, उत्सव का सामूहिक संदेश यही है कि जीवन में कर्मठता और सही दिशा को चुनें। हम आशा और आकांक्षा पैदा करें। हमारे अंदर आगे बढऩे और ऊपर उठने की जो भावना है, उसे मरने न दें।