×

Ganesh chaturthi: इन बातों का रखें ख्याल, नहीं तो भगवान गणेश होंगे नाराज

जहां भगवान गणेश हमारी पूजा से प्रसन्न होकर हमारे जीवन की सारी बाधाओं को दूर कर हमारी हर इच्छा को पूरी करते हैं वहीं अगर उनकी पूजा में किसी तरह की कोई गलती हो जाए तो वे नाराज भी होते हैं तो गणेश पूजा के दौरान सावधानी भी बरतनी चाहिए

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 20 Aug 2020 8:28 PM IST
lord ganesh
X

लखनऊ: जहां भगवान गणेश हमारी पूजा से प्रसन्न होकर हमारे जीवन की सारी बाधाओं को दूर कर हमारी हर इच्छा को पूरी करते हैं वहीं अगर उनकी पूजा में किसी तरह की कोई गलती हो जाए तो वे नाराज भी होते हैं तो गणेश पूजा के दौरान सावधानी भी बरतनी चाहिए कि कुछ गलतियां न हो वरना हमें लेने के देने भी पड़ सकते हैं। 22 अगस्त से पूरे देश भर में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। गणेशजी को तुलसी छोड़कर सभी चीज प्रिय हैं। पर इन सब चीजों में गणपतिजी को दूर्वा अधिक पसंद है। सफेद या हरी दूर्वा चढ़ानी चाहिए। जानें गणेश पूजा की विशेष बातें….

यह पढ़ें...सुशांत ने सुसाइड किया या हुआ मर्डर? सबसे पहले इन सवालों के जवाब खोजेगी CBI

दूः+अवम्‌, इन शब्दों से दूर्वा शब्द बना है। ‘दूः’ यानी दूरस्थ व ‘अवम्‌’ यानी वह जो पास लाता है। दूर्वा वह है, जो गणेश के दूरस्थ पवित्रकों को पास लाती है।गणपति को अर्पित की जाने वाली दूर्वा कोमल होनी चाहिए। ऐसी दूर्वा को बालतृणम्‌ कहते हैं। सूख जाने पर यह आम घास जैसी हो जाती है। दूर्वा की पत्तियां विषम संख्या में (जैसे 3, 5, 7) अर्पित करनी चाहिए।

*पूर्वकाल में गणपति की मूर्ति की ऊंचाई लगभग एक मीटर होती थी, इसलिए समिधा की लंबाई जितनी लंबी दूर्वा अर्पण करते थे। मूर्ति यदि समिधा जितनी लंबी हो, तो लघु आकार की दूर्वा अर्पण करें, परंतु मूर्ति बहुत बड़ी हो, तो समिधा के आकार की ही दूर्वा चढ़ाएं।

*जैसे समिधा एकत्र बांधते हैं, उसी प्रकार दूर्वा को भी बांधते हैं। ऐसे बांधने से उनकी सुगंध अधिक समय टिकी रहती है। उसे अधिक समय ताजा रखने के लिए पानी में भिगोकर चढ़ाते हैं। इन दोनों कारणों से गणपति के पवित्रक बहुत समय तक मूर्ति में रहते हैं।

*भगवान गणेश को गुड़हल का लाल फूल विशेष रूप से प्रिय है। इसके अलावा चांदनी, चमेली या पारिजात के फूलों की माला बनाकर पहनाने से भी गणेश जी प्रसन्न होते हैं। गणपति का वर्ण लाल है, उनकी पूजा में लाल वस्त्र, लाल फूल और रक्तचंदन का प्रयोग किया जाता है।

यह पढ़ें...अब हारेगा चीन: भारत से कांप उठेगा हर चीनी सैनिक, नाकाम होंगी सारी कोशिशें

ganesh bhagwan

गणेश की पूजा गलतियों से बचें

* जी का पूजन करते समय हमें गलती से भी नीले और काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। ऐसा करने से भगवान गणेश को क्रोध आता है।

*अगर विघ्नहर्ता की मूर्ति के पास अंधेरा है तो उनकी मूर्ति को स्पर्श न करें। अंधरे में भगवान की मूर्ति को छूना महापाप माना जाता है।

*जानन को पूजा में कभी भी तुलसी का पत्र अर्पित नहीं करना चाहिए। तुलसी जी ने उन्हें लम्बोदर तथा गजमुख कहा था और उनको शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उनको श्राप दे दिया था।

* गणेश जी की पीठ का दर्शन भूलकर भी न करें, इससे दरिद्रता आती है।

* घर में बप्पा की नई मूर्ति पूजा में इस्तेमाल करना है तो पुरानी को विसर्जित कर दें। एक साथ दो मूर्ति घर में न रखें।

यह पढ़ें...आप सांसद संजय सिंह ने बताया जान का ख़तरा, योगी सरकार को दिया ये खुला चैलेंज

ganesh

*गजानन को दूर्वा चढ़ाना शुभ और फलदायी होता है। पूजा के समय 21 दूर्वा अर्पित करें। आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।

*भगवान गणेश मोदक प्रिय है। दरअसल मोदक एक मुलायम लड्डू है, जो एकदंत गणेश जी प्रेम से खाते हैं। आप इनकी पूजा में मोदक जरूर चढाएं।

* गजानन को लाल रंग के सिंदूर से चोला चढ़ाएं। ऐसा करने से बप्पा प्रसन्न होते हैं। सिंदूर में गौ माता का शुद्ध घी प्रयोग करें। लाल रंग के फूल चढाएं तो अच्छा रहता है।

* भौतिक लाभ और समृद्धि की कामना है तो आपको गणेश जी की बाईं सूंड वाली मूर्ति अपने घर में स्थापति करें।

*गणेश जी को जनेऊ पहनाएं। उनकी पूजा तीनों समय की जाती है। यदि ऐसा संभव न हो तो सुबह ही विधि-विधान से उनकी पूजा कर लें। दोपहर और शाम को केवल पुष्प अर्पित कर पूजा कर लें।



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story