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नवरात्रि में हवन का है विशेष महत्व, विधि-विधान से करें इसका पालन

नवरात्रि में हवन-पूजन का बहुत महत्व है। हवन पूजन से ही मां भगवती की पूजा सफल होती है। कोई भी पूजा और मंत्र का जप बिना हवन के अपूर्ण  है। किसी भी वैदिक पूजा में विधि-विधान से हवन करना आवश्यक है। ग्रहों के बीज मंत्र की निश्चित संख्या होती है। 

suman
Published on: 18 July 2023 7:03 AM GMT (Updated on: 18 July 2023 11:24 AM GMT)
नवरात्रि में हवन का है विशेष महत्व, विधि-विधान से करें इसका पालन
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जयपुर:नवरात्रि में हवन-पूजन का बहुत महत्व है। हवन पूजन से ही मां भगवती की पूजा सफल होती है। कोई भी पूजा और मंत्र का जप बिना हवन के अपूर्ण है। किसी भी वैदिक पूजा में विधि-विधान से हवन करना आवश्यक है। ग्रहों के बीज मंत्र की निश्चित संख्या होती है। नवरात्र में माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गासप्तशती के विभिन्न मंत्रों से माता को प्रसन्न करने के लिए हवन करते हैं। नवरात्रि में नौदुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा होती है। अंत में कन्या पूजन और हवन के साथ नवरात्रि समाप्त हो जाते हैं। इसलिए हवन करने में पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।हवन करने का एक पूरा विधि-विधान है।

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हवन पूजन विधि देवी स्थापना या माता की चौकी के पास हवन कुण्ड बनाना चाहिए। नौदिनों माता के व्रती रहने वाले श्रद्धालुओं को पूजन सामग्री के साथ उपासना करनी चाहिए। देवी की मूर्ति रखकर हवन शुरू करवाना चाहिए। आम की लकड़ी आमतौर पर हवन हेतु प्रयोग की जाती है। हवन की सम्पूर्ण सामाग्री होनी चाहिए। जौ का प्रयोग नवरात्र के हवन में अवश्य करना चाहिए। तिल के प्रयोग से आध्यात्मिक उत्कर्ष एवं कष्टों का शमन होता है। गुड़ का प्रयोग मंगल और सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए है। चीनी चंद्रमा और शुक्र के लिए है। गाय के ही घी का प्रयोग करें। घी अग्नि का मित्र और शुक्र का प्रतीक है। सूखे हवन वाले नारियल का प्रयोग अंत में करते हैं। इस पर घी का लेपन करके अग्नि को समर्पित करते हैं। हवन नवरात्रि पूजा की परिपूर्णता है। माना जाता है कि इससे माता प्रसन्न होती हैं और ग्रहों को भोजन मिलता है। एक विशेष बात, तांत्रिक पूजा के हवन की विधि और द्रव्य वैदिक पूजा से अलग होते हैं। दुर्गासप्तशती में सप्तश्लोकी दुर्गा में वर्णित मंत्रों से हवन अवश्य करें।

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हवन करते हुए बीज मंत्र- ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः को जोर-जोर से उच्चारण करें...।

इस मंंत्र से मां से सौभाग्य प्राप्ति की उपासना करें-

देहि सौभाग्य मारोग्यम देहिमें परमम सुखम, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि। इस महामंत्र में सभी मनोकामनाएं सन्निहित हैं। श्री रामचरितमानस के किसी भी मंत्र से भी हवन कर सकते हैं। नवरात्र में ब्रह्ममुहूर्त में श्री राम रक्षा स्तोत्र में वर्णित किसी भी मंत्र से हवन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की स्तुति करें। इन नौ दिनों में सौ गुना फल की प्राप्ति होती है।

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