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मकर संक्रांति को लेकर है कन्फयूजन तो यहां जानिए कब, क्यों और कैसे मनाएं

मकर संक्रांति हिन्दुओं का एक मुख्य पर्व है। इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस पर्व की सही तारीख को लेकर लोगों के बीच असमंजसहै लेकिन धर्मानुसार यदि किसी साल मकर संक्रांति का पर्व शाम को पड़ता है तो इसे अगले दिन मनाया जाता है।

suman
Published on: 12 Jan 2020 12:58 AM GMT
मकर संक्रांति को लेकर है कन्फयूजन तो यहां जानिए कब, क्यों और कैसे मनाएं
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लखनऊ: मकर संक्रांति हिन्दुओं का एक मुख्य पर्व है। इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस पर्व की सही तारीख को लेकर लोगों के बीच असमंजसहै लेकिन धर्मानुसार यदि किसी साल मकर संक्रांति का पर्व शाम को पड़ता है तो इसे अगले दिन मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान करने से व्यक्ति को उसका अभीष्ट फल मिलता है। तो जानते स्नानदान का मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त और महत्व।

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मुहूर्त-

मकर संक्रांति 2020- 15 जनवरी

संक्रांति काल- 07:19 बजे (15 जनवरी)

पुण्यकाल-07:19 से 12:31 बजे तक

महापुण्य काल- 07:19 से 09: 03 बजे तक

संक्रांति स्नान- प्रात: काल, 15 जनवरी 2020

मकर संक्रांति के दिन शुरू के छह घंटे के भीतर यदि कोई व्यक्ति दान पुण्य करता है तो उसका विशेष महत्व होता है। इसका मतलब इस साल 14 जनवरी, शाम 7.50 के बाद छह घंटे तक किए गए दान का अभीष्ट लाभ मिलेगा। इसका मतलब यह नहीं है कि 15 जनवरी को मकर संक्रांति से जुड़े दान-पुण्य के कार्य नहीं किए जाएंगे। इस दिन भी पूरे दिन दान पुण्य के काम होगा।

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महत्व

इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव के घर गए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है। इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है। इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना पुण्यकारी है। इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी है। इस दिन से सभी शुभ काम शुरु हो जाता है।

मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे−पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। साथ ही महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए इस दिन तर्पण किया था। यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में हर साल मेला लगता है।

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