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सात फेरों के वो सातों वचन: जिसको आजकल नहीं पूरा कर पाते पति-पत्नी
शादी में दिए गए इन सात वचनों का दांपत्य जीवन में काफी महत्व होता है। आज भी यदि इनके महत्व को समझा जाय तो वैवाहिक जीवन में आने वाली कई समस्याओं से निजात पाई जा सकती है।
लखनऊ: हिंदू धर्म में विवाह की विधि अन्य धर्मों की अपेक्षा थोड़ा हटकर है। आजकल भागदौड़ भरी इस जिंदगी में लोग पूरे विधि विधान से विवाह तो नहीं करा पाते हैं। लेकिन विवाह के समय पति-पत्नी अग्नि को साक्षी मानकर एक-दूसरे को सात वचन देते हैं, आज हम आपको इन्हीं सात वचनों के बारे में बताने जा रहे हैं। हलांकि इन वचनों को शादी के बाद न तो पत्नियां ही पूरा कर पाती हैं और न ही पति। तो आइए जानते हैं इसके बारे में...
शादी में दिए गए इन सात वचनों का दांपत्य जीवन में काफी महत्व होता है। आज भी यदि इनके महत्व को समझा जाय तो वैवाहिक जीवन में आने वाली कई समस्याओं से निजात पाई जा सकती है।
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विवाह समय पति द्वारा पत्नी को दिए जाने वाले सात वचन
1. पहले वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना। कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य आप करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान देंगे।
2. पहले वचन में कन्या वर से कहती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें तथा कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बने रहेंगे।
3. तीसरे वचन में कन्या कहती है कि आप मुझे यह वचन दें कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे।
4. कन्या चौथे वचन में कहती है कि अब तक आप घर-परिवार की चिंता से पूर्णत: मुक्त थे। अब जब कि आप विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं तो भविष्य में परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का दायित्व आपके कंधों पर है। यदि आप इस भार को वहन करने की प्रतिज्ञा करें तो ही मैं आपके वामांग में आ सकती हूं|
पाचवें वचन में कन्या कहती कहती है कि
5. पाचवें वचन में कन्या कहती कहती है कि अपने घर के कार्यों में, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मंत्रणा लिया करेंगे।
6. छठें वचन में कन्या कहती है कि यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्त्रियों के बीच बैठी हूं, तब आप वहां सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे। यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यसन से अपने आपको दूर रखेंगे।
7. अंतिम वचन के रूप में कन्या यह वर मांगती है कि आप पराई स्त्रियों को माता के समान समझेंगे और पति-पत्नी के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाएंगे।
अंत में कन्या कहती है कि यदि आप इन वचनों को निभाएंगे तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं, यानि आपकी पत्नी बनने को तैयार हूं।
कन्या द्वारा दिया गया सात वचन
कुछ वचनों में समानता है तो कुछ में भिन्नता लेकिन लड़के की ओर से भी सात ही वचन वधु से भी मांगे जाते हैं।
1. पहला वचन देते हुए कन्या कहती है कि तीर्थ, व्रत, यज्ञ, दान आदि किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्यों में मैं आपके वामांग रहूंगी।
2. दूसरा वचन देती है कि आपके परिवार के बच्चे से लेकर बड़े बुजूर्गों तक सभी परिजनों की देखभाल करूंगी और जो भी जैसा भी मिलेगा उससे संतुष्ट रहूंगी।
3. तीसरे वचन में कन्या कहती है मैं प्रतिदिन आपकी आज्ञा का पालन करूंगी और समय पर आपको आपके पसंदीदा व्यजन तैयार करके आपको दिया करुंगी।
4. मैं स्वच्छता पूर्वक अर्थात स्नानादि कर सभी श्रृंगारों धारण कर मन, वचन और कर्म से शरीर की क्रिया द्वारा क्रीडा में आपका साथ दूंगी। यह कन्या वर को चौथा वचन देती है।
अपने पांचवे वचन में वह वर से कहती है कि
5. अपने पांचवे वचन में वह वर से कहती है कि मैं आपके दुख में धीरज और सुख में प्रसन्नता के साथ रहूंगी और तमाम सुख- दु:ख में आपकी साथी बनूंगी और कभी भी पर पुरुष की ओर गमन नहीं करुंगी।
6. छठा वचन देते हुए कन्या कहती है कि मैं सास-ससुर की सेवा, सगे संबंधियों और अतिथियों का सत्कार और अन्य सभी काम सुख पूर्वक करूंगी। जहां आप रहेंगे मैं आपके साथ रहूंगी और कभी भी आपके साथ किसी प्रकार का धोखा नहीं करुंगी अर्थात आपके विश्वास को नहीं तोड़ूंगी।
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7. सातवें वचन में कन्या कहती है कि धर्म, अर्थ और काम संबंधी मामलों में मैं आपकी इच्छा का पालन करुंगी। अग्नि, ब्राह्मण और माता-पिता सहित समस्त संबधियों की मौजूदगी में मैं आपको अपना स्वामी मानते हुए अपना तन आपको अपर्ण कर रही हूं।