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चंद्रग्रहण 2020 शुरूः लेकिन पंचांग में तो इसे गिना ही नहीं गया, नहीं है कोई असर
चंद्र ग्रहण अपराह्न 1:04 बजे से लेकर शाम 5:22 बजे तक चलेगा। लेकिन इस ग्रहण का कोई धार्मिक महत्व नहीं है इसी लिए काशी पंचांग में इस ग्रहण का कोई जिक्र ही नहीं किया गया है। ज्योतिष में भी ऐसे ग्रहण का कोई महत्व नहीं होता है। इसका कोई असर नहीं होता
प. रामकृष्ण वाजपेयी
चंद्रग्रहण 2020 शुरूः 2020 साल का अंतिम चंद्र ग्रहण शुरू हो चुका है। यह ग्रहण कुल चार घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक रहेगा। आज कार्तिक पूर्णिमा थी। लेकिन छाया चंद्र ग्रहण होने के नाते ज्योतिष या आस्था के दृष्टिकोण से इसकी कोई मान्यता नहीं है। इसलिए इस ग्रहण का कोई सूतक काल भी नहीं है। ज्योतिषियों के विचार में इस ग्रहण का अव्वल तो किसी पर कोई असर होगा नहीं अगर हुआ भी तो अत्यंत सूक्ष्म होगा।
चंद्र ग्रहण अपराह्न 1:04 बजे से लेकर शाम 5:22 बजे तक चलेगा। लेकिन इस ग्रहण का कोई धार्मिक महत्व नहीं है इसी लिए काशी पंचांग में इस ग्रहण का कोई जिक्र ही नहीं किया गया है। ज्योतिष में भी ऐसे ग्रहण का कोई महत्व नहीं होता है।
चंद्र ग्रहण अपराह्न 3:13 बजे अपने चरम पर रहेगा। यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और एशिया में दिखाई देने की संभावना है। भारत में यह बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं पश्चिम बंगाल में दिखाई दे सकता है।
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उपछाया ग्रहण वह होता है जब चांद और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है और सूर्य के प्रकाश को चांद तक पहुंचने से रोक देती है। इसे उपछाया चंद्रग्रहण कह जाता है। चूंकि चांद इस अवधि में पृथ्वी की छाया में चला जाता है। इस स्थिति में चांद पर धुंधली परत बन जाती है। ऐसे ग्रहण का धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कोई मतलब नहीं होता इसलिए सूतक काल भी नहीं होता। और कोई नियम भी लागू नहीं होते हैं।
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फिर भी चंद्रग्रहण को नंगी आँखों से नहीं देखना चाहिए इसे देखने के इच्छुक लोगों को टेलीस्कोप की मदद लेनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी खुले में निकलने से परहेज करना चाहिए। ऐसे ग्रहण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्व होता है। इसी वजह से इसे लेकर अध्ययन किये जाते हैं।