×

चमत्कारी है ये वृक्ष: मां पार्वती से है इसका गहरा संबंध, जानें कैसा बदलता है किस्मत

पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि माता पार्वती ने धरती पर कई वृक्ष कई स्थानों पर लगाए थे जिनमें से कुछ वृक्ष आज भी सुरक्षित है। जानते हैं उन्हीं में से एक वृक्ष के बारे

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 3 Oct 2020 7:29 AM IST
चमत्कारी है ये वृक्ष: मां पार्वती से है इसका गहरा संबंध, जानें कैसा बदलता है किस्मत
X
स्कंद पुराण अनुसार पार्वती माता के लगाए गए इस वट की शिव के रूप में पूजा होती है।

उज्जैन : हमारे देश में बहुत सी धार्मिक मान्यताए है और धर्म कर्म से जुड़ी बहुत सी बातें है। धर्म शास्त्रों में देवी-देवताओं के द्वारा बहुत से काम किए गए है जिनका उल्लेख है। प्रमाण भी कई जगहों पर है कि वहां भगवान का प्रादुर्भाव हुआ था। पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि माता पार्वती ने कई वृक्ष कई स्थानों पर लगाए थे जिनमें से कुछ वृक्ष आज भी सुरक्षित है। जानते हैं उन्हीं में से एक वृक्ष के बारे

स्कंद पुराण अनुसार

कहते हैं कि माता पार्वती ने उज्जैन में क्षिप्रा के तट पर एक बरगद लगाया था जिसे सिद्धवट कहा जाता है। स्कंद पुराण अनुसार पार्वती माता के लगाए गए इस वट की शिव के रूप में पूजा होती है। उज्जैन के भैरवगढ़ के पूर्व में शिप्रा के तट पर प्रचीन सिद्धवट का स्थान है। इसे शक्तिभेद तीर्थ के नाम से जाना जाता है।

यह पढ़ें....भविष्यफल 3 Oct: इन 4 राशियों का दिन बनेगा यादगार, जानें बाकी का कैसा रहेगा हाल

तारकासुर का वध

हिंदू मान्यता अनुसार यह चार पुराने वट वृक्षों में से एक है। संसार में केवल चार ही पवित्र वट वृक्ष हैं। प्रयाग (इलाहाबाद) में अक्षयवट, मथुरा-वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट जिसे बौधवट भी कहा जाता है और यहां उज्जैन में पवित्र सिद्धवट हैं।

कहते हैं कि पार्वती के पुत्र कार्तिक स्वामी को सिद्धवट के स्थान पर ही सेनापति नियुक्त किया गया था। यहीं उन्होंने तारकासुर का वध किया था।

goddess parvati सोशल मीडिया से फोटो

संतति, संपत्ति और सद्‍गति

यहां तीन तरह की सिद्धि होती है संतति, संपत्ति और सद्‍गति। तीनों की प्राप्ति के लिए यहां पूजन किया जाता है। सद्‍गति अर्थात पितरों के लिए अनुष्ठान किया जाता है। संपत्ति अर्थात लक्ष्मी के लिए वृक्ष पर रक्षा सूत्र बांधा जाता है और संतति अर्थात पुत्र की प्राप्ति के लिए उल्टा सातिया (स्वस्तिक) बनाया जाता है। यह वृक्ष तीनों प्रकार की सिद्धि देता है इसीलिए इसे सिद्धवट कहा जाता है।

यह पढ़ें....शारदीय नवरात्रि 2020: देवी दुर्गा की उपासना के नौ दिन, मां का वाहन दें रहा ऐसा संकेत

vat vriksh सोशल मीडिया से फोटो

खासियत

यहां पर नागबलि, नारायण बलि-विधान का विशेष महत्व है। संपत्ति, संतित और सद्‍गति के काम के लिए यहां पर कालसर्प शांति का विशेष महत्व है, इसीलिए कालसर्प दोष की भी पूजा होती है। वर्तमान में इस सिद्धवट को कर्मकांड, मोक्षकर्म, पिंडदान, कालसर्प दोष पूजा एवं अंत्येष्टि के लिए प्रमुख स्थान माना जाता है।

नासिक के पंचववटी क्षेत्र में सीता माता की गुफा के पास पांच प्राचीन वृक्ष है जिन्हें पंचवट के नाम से जाना जाता है। वनवानस के दौरान राम, लक्ष्मण और सीता ने यहां कुछ समय बिताया था।मुगल काल में इन सभी वृक्षों को खत्म करने की कई कोशिशे हुई।



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story