×

नवग्रहों की शांति के लिए महाउपाय: ; चैत्र नवरात्रि के आने वाले 4 दिन होंगे बहुत खास...

नवरात्रि में भी जिस ग्रह की शांति के लिये पूजा की जा रही है। उसके बीज मंत्रों का जाप कर संबंधित ग्रह के कवच एवं अष्टोत्तरशतनाम का पाठ भी करें। नवरात्रि के पश्चात दशमी के दिन यंत्र की पूजा कर इसे पूजा स्थल में स्थापित करना चाहिये व नियमित रूप से इसकी पूजा करनी चाहिये। ग्रहों की शांति के लिए  यह विशेष पूजा किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य से ही करवानी चाहिए।

suman
Published on: 30 March 2020 1:48 AM GMT
नवग्रहों की शांति के लिए महाउपाय: ; चैत्र नवरात्रि के आने वाले 4 दिन होंगे बहुत खास...
X

जयपुर: चैत्र नवरात्रि शुरू हो चुका हैं।नवरात्रि का महत्व केवल दुर्गा पूजा तक सीमित नहीं है। बल्कि नवरात्रि को ज्योतिषीय दृष्टि से भी खास माना जाता है।

नवदुर्गा और नवग्रह नवरात्रि में शक्ति का रूप मानी जानी वाली मां दुर्गा के नौ रूपों की साधना की जाती है। इनमें पहले नवरात्रि पर मां शैलपुत्री तो दूसरे नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे में माता चंद्रघंटा तो चौथे नवरात्र पर मां कुष्मांडा, पांचवें नवरात्रि में स्कंदमाता तो छठे नवरात्रि पर कात्यायनी माता की पूजा की जाती है। सातवें, आठवें और नवें नवरात्रि में क्रमश मां कालरात्रि, मां महागौरी एवं माता सिद्धिदात्रि का पूजन किया जाता है। जब नवग्रह शांति के लिये पूजन किया जाता है तो इस क्रम में बदलाव हो जाता है। प्रत्येक ग्रह की माता अलग होती है। किस नवरात्रि को होती है किस ग्रह की पूजा होगी ।नव दुर्गा शक्ति के नौ रूपों का ही नाम है। इनकी साधना से ग्रह पीड़ा से भी निजात मिलती है लेकिन इसके लिये यह अवश्य जानना चाहिये कि किस दिन कौनसे ग्रह की शांति के लिये पूजा होनी चाहिए।

यह पढ़ें...ASTRO: कोरोना का इन राशियों पर पड़ेगा असर, रहें सतर्क, करें ये सारे उपाय..

पूजा विधि... पहला नवरात्रि मंगल की शांति पूजा –नवरात्रि के पहले दिन यानि प्रतिपदा को मंगल ग्रह की शांति के लिये पूजा की जाती है। मंगल की शांति के लिये प्रतिपदा को स्कंदमाता के स्वरूप की पूजा करनी चाहिये।

दूसरानवरात्रि राहू की शांति पूजा – द्वितीया तिथि को दूसरा नवरात्रि होता है इस दिन राहू शांति के लिये पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से राहू ग्रह की शांति होती है।

तीसरा नवरात्रि बृहस्पति की शांति पूजा – तृतीया को तीसरे नवरात्रि में मां महागौरी के स्वरूप की पूजा बृहस्पति की शांति के लिये होती है।

चौथा नवरात्रि शनि की शांति पूजा – चतुर्थी तिथि को शनि की शांति के लिये मां कालरात्रि के स्वरूप की पूजा करनी चाहिये। पंचम नवरात्रि बुध की शांति पूजा – पांचवें नवरात्रि में पंचमी तिथि को बुध की शांति के लिये पूजा की जाती है इस दिन मां कात्यायनी के स्वरूप की पूजा करनी चाहिये।

छठा नवरात्रिकेतु की शांति पूजा – षष्ठी तिथि को छठा नवरात्रि होता है जिसमें केतु की शांति के लिये पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा की पूजा इस दिन कर केतु की शांति की जा सकती है सातवां नवरात्रि शुक्र की शांति पूजा – शुक्र की शांति के लिये सप्तमी तिथि को सातवें नवरात्रि में माता सिद्धिदात्रि के स्वरूप का पूजन करना चाहिए।

यह पढ़ें...लॉकडाउन में यहां कर सकते हैं मां दुर्गा के इन मंदिरों का दर्शन, मिलेगा पूरा आशीर्वाद…

आठवां नवरात्रि सूर्य की शांति पूजा – अष्टमी तिथि को आठवें नवरात्रि पर माता शैलपुत्री के स्वरूप की पूजा करने से सूर्य की शांति होती है। नवां नवरात्रि चंद्रमा की शांति पूजा – नवमी के दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करने से चंद्रमा की शांति होती है।

विधि नवरात्रि में नवग्रह की शांति के लिये जैसा कि ऊपर बताया भी गया है कि सर्वप्रथम कलश स्थापना करनी चाहिये उसके पश्चाता मां दुर्गा की पूजा। पूजा के पश्चात लाल रंग के वस्त्र पर यंत्र का निर्माण करना चाहिये। इसके लिये वर्गाकार रूप में 3-3-3 कुल 9 खानें बनाने चाहिये। ऊपर के तीन खानों में बुध, शुक्र व चंद्रमा की स्थापना करें। मध्य के तीन खानों में गुरु, सूर्य व मंगल को स्थापित करें। नीचे के तीन खानों में केतु, शनि व राहू को स्थापित करें। इस प्रकार यंत्र का निर्माण कर नवग्रह बीज मंत्र का जाप कर इस यंत्र की पूजा करके नवग्रहों की शांति का संकल्प करें। पहले मंगल की शांति के लिये पूजा के पश्चात पंचमुखी रूद्राक्ष या फिर मूंगा या लाल अकीक की माला से मंगल के बीज मंत्र का 108 बार जप करना चाहिये। जप के पश्चात मंगल कवच एवं अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करना चाहिये।नवरात्रि में भी जिस ग्रह की शांति के लिये पूजा की जा रही है। उसके बीज मंत्रों का जाप कर संबंधित ग्रह के कवच एवं अष्टोत्तरशतनाम का पाठ भी करें। नवरात्रि के पश्चात दशमी के दिन यंत्र की पूजा कर इसे पूजा स्थल में स्थापित करना चाहिये व नियमित रूप से इसकी पूजा करनी चाहिये। ग्रहों की शांति के लिए यह विशेष पूजा किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य से ही करवानी चाहिए।

suman

suman

Next Story