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Paap Ka Prayaschit Kaise Karen: कृतघ्नता का कोई प्रायश्चित नहीं
Paap Ka Prayaschit Kaise Karen: कृतघ्नता एक ऐसा गंभीर अपराध है जिसमें व्यक्ति अपने कर्तव्यों के प्रति आभारहीन और नाकारात्मक बनता है। इस प्रकार की नकारात्मकता और आभारहीनता न केवल उस व्यक्ति के धार्मिक और नैतिक मूल्यों को हानि पहुंचाती है, बल्कि उसके सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों पर भी बुरा प्रभाव डालती है।
Paap Ka Prayaschit Kaise Karen: शास्त्रों में यदि किसी पाप के प्रायश्चित का विधान नहीं है। तो वो एक मात्र पाप है कृतघ्नता। किसी के किये उपकार को न मानकर उसके साथ विश्वासघात करना इसे ही कृतघ्नता कहा जाता है। ज्ञानीजनों के अनुसार यह इतना बड़ा पाप है कि इसके लिए किसी प्रायश्चित तक का कोई विधान किसी शास्त्र में प्राप्त नही होता है।
ब्रह्मघ्ने च सुरापे च चौरे भग्नव्रते तथा ।
निष्कृतिर्विहिता राजन् कृतघ्ने नास्ति निष्कृति ।।
ब्राह्मण के हत्यारे, सुरापान करने वाले, चोरी करने वाले तथा व्रत खंडित करनेवाले प्राणी के लिए भी शास्त्रों में प्रायश्चित का विधान है किन्तु कृतघ्न के लिए कदापि नहीं।
मित्रद्रोही नृशंसश्च कृतघ्नश्च नराधमः ।
क्रव्यादै:कृमिभिश्चैव न भुज्यन्ते हि तादृशाः'।।
मित्र से द्रोह करने वाले, क्रूर प्राणी और कृतघ्न इन नीच मनुष्यों का मांसभक्षण भी मांसभक्षी जीव और कृमि नहीं करते हैं। अर्थात् ये इतने पापी होते हैं कि सड़ा हुआ मांसभक्षण करनेवाले कृमि भी इनको खाना नहीं चाहते हैं।
'कुतः कृतघ्नस्य यशः कुतः स्थानं कुतः सुखम्।
अश्रद्धेय: कृतघ्नो हि कृतघ्ने नास्ति निष्कृतिः'।।
कृतघ्न प्राणी के लिए कहाँ यश है ,कहाँ सुख है , कहाँ स्थान है एवं कहाँ उसके लिए श्रद्धा है अर्थात् कहीं भी उसे कुछ भी प्राप्त नहीं है यहाँ तक कि शास्त्रों द्वारा बताया गया प्रायश्चित भी उसके लिए नहीं है । शास्त्रों में कृतघ्न को महापापी ठहराते हुए ऐसे नराधम प्राणी की घोर निंदा की गयी है। इसीलिए कभी भी किसी के अनजाने में भी किये गए उपकार को भूलकर इस जघन्य पाप का भागी नहीं बनना चाहिए।