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Mala Jap Karne Ki Vidhi: जप माला के नियम और सावधानियाँ

Mala Jap Karne Ki Vidhi: साधना में जप माला बहुत ही महत्वपूर्ण वस्तु है। जब जप अधिक संख्या में करना हो तो जप माला रखना अनिवार्य है। भगवान का स्मरण और नाम-जप की गिनती करने के कारण साधक को इसे अपने प्राणों के समान प्रिय मानना चाहिए।

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Published on: 29 March 2023 9:35 PM GMT (Updated on: 29 March 2023 9:42 PM GMT)
Mala Jap Karne Ki Vidhi: जप माला के नियम और सावधानियाँ
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Mala Jap Karne Ki Vidhi (Photo - Social Media)

Mala Jap Karne Ki Vidhi: माला शब्द दो अक्षरों से बना है - मा + ला । ‘मा’ माने लक्ष्मी, प्रभा, शोभा और ज्ञान। ‘ला’ माने जिसमें लीन रहे; इसलिए ‘लक्ष्मी, प्रभा, शोभा और ज्ञान जिसमें लीन रहते हैं वह है माला। साधना में जप माला बहुत ही महत्वपूर्ण वस्तु है। जब जप अधिक संख्या में करना हो तो जप माला रखना अनिवार्य है। भगवान का स्मरण और नाम-जप की गिनती करने के कारण साधक को इसे अपने प्राणों के समान प्रिय मानना चाहिए। एक बार वृन्दावन में दो संतों में लड़ाई हो गयी। एक संत ने दूसरे के लिए कहा—‘इसने मेरा हीरा चुरा लिया है।’ दूसरे ने कहा—‘इन्होंने मेरा पारस चुरा लिया है।’ मामला अदालत में गया। दोनों ने अपनी-अपनी बात कही। जज ने पूछा—‘तुमको हीरा कहां से मिला ?’ पहले संत ने उत्तर दिया—‘हमको हमारे गुरु ने दिया था।’ जज ने पूछा—‘कहां रखते थे ?’ संत ने ने कहा—‘अपने कण्ठ में बांध कर रखता था।’ (तुलसी के मनके को वैष्णव संत ‘हीरा’ कहते हैं )

दूसरे संत से जज ने पूछा—‘तुमको पारस कहां से मिला जो इसने चुरा लिया ?’ (भगवान के प्रसाद को संत ‘पारस’ कहते हैं) । दूसरे संत ने उत्तर दिया—‘मुझको मन्दिर से रोज ‘पारस’ मिलता था, इसने बंद करा दिया।’ इस प्रकार संतों में भगवान का प्रसाद ‘पारस’ और माला ‘मणि’ मानी जाती है। जप माला में मणि, मनिया या दाने पिरोये जाने के कारण इसे ‘मणि माला’ कहते हैं। पर आजकल लोग जप माला को लटकाये-लटकाये फिरते हैं, जूठे हाथों से छू लेते हैं या जेब में रख लेते हैं।

दूसरे की माला से जप क्यों नहीं करना चाहिए

व्यक्ति को अपनी जप माला अलग रखनी चाहिए। दूसरे की माला पर जप नहीं करना चाहिए। जप की माला पर जब एक ही मन्त्र जपा जाता है, तो उसमें उस देवता की प्राण-प्रतिष्ठा हो जाती है, माला चैतन्य हो जाती है। फिर उस माला पर एक ही मन्त्र का जप किया जाए तो धीरे-धीरे मन्त्र की चैतन्य शक्ति साधक के शरीर में प्रवेश करने लगती है। तब वह माला साधक का कल्याण करने वाली हो जाती है। इसलिए अपनी जप माला न किसी दूसरे को देनी चाहिए और न ही किसी दूसरे की माला पर जप करना चाहिए। लेना-देना तो क्या दूसरों को अपनी माला दिखानी भी नहीं चाहिए। माला की पवित्रता की जितनी रक्षा आप करेंगे, उतनी ही पवित्रता आपके जीवन में आयेगी।

जप माला के साथ न करें ये काम

  • माला लोगों को दिखाने की चीज नहीं है बल्कि धन की भांति साधक को इसे गुप्त रखना चाहिए।
  • माला की पवित्रता का साधक को पूरा ध्यान रखना चाहिए।
  • जप माला को केवल जप की गिनती करने वाला साधन न समझ कर उसका पूरा आदर करना चाहिए।
  • अशुद्ध अवस्था में उसे नहीं छूना चाहिए ।
  • बायें हाथ से जप माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
  • माला को पैर तक लटका कर नहीं रखना चाहिए।
  • माला को जहां कहीं भी ऐसे ही नहीं रखना चाहिए। या तो उसे जपमाली में या किसी डिब्बी में रखकर शुद्ध स्थान पर रखें ।

माला जप करते समय रखें इन बातों का ध्यान ?

  • जप के लिये माला को हृदय के सामने अनामिका अंगुली पर रखकर अंगूठे से स्पर्श करते हुए मध्यमा अंगुली से फेरना चाहिए। सुमेरु का उल्लंघन न करें, तर्जनी अंगुली न लगावें। सुमेरु के पास से माला को घुमाकर दूसरी बार जपें ।
  • जप करते समय माला ढकी हुई होनी चाहिए।
  • जब तक एक माला पूरी न हो, बीच में बोलना नहीं चाहिए, दूसरों की ओर देखना नहीं चाहिए, इशारे नहीं करना चाहिए।
  • यदि जप करते समय किसी कारण बीच में उठना पड़े तो माला पूरी करके ही उठना चाहिए और दुबारा जप के लिए बैठना हो तो आचमन करके ही जप शुरु करना चाहिए।
  • विभिन्न कामनाओं और देवताओं के अनुसार माला में भेद होता है।

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