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Sawan Ka Pahla Pradosh Vrat kab hai: सावन का पहला प्रदोष व्रत कब है, दो माह के सावन मे कितने और कब-कब है प्रदोष व्रत

Sawan Ka Pahla Pradosh Vrat kab hai: साल 2023 मेें सावन मास में 4 प्रदोष का व्रत पड़ रहा है। एक शनि और सोम और दो रवि प्रदोष का व्रत है। जानते हैं कब कब है 4 प्रदोष का का व्रत...

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 22 Jun 2023 3:19 PM IST
Sawan Ka Pahla Pradosh Vrat kab hai: सावन का पहला प्रदोष व्रत कब है, दो माह के सावन मे कितने और कब-कब है प्रदोष व्रत
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सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Sawan Ka Pahla Pradosh Vrat kab hai

सावन का पहला प्रदोष व्रत (15 जुलाई 2023) कब है?

इस साल अधिक मास की वजह से 2 माह तक सावन मास रहेगा। जिसमें 4 प्रदोष व्रत पड़ेंगे। 4 जुलाई से शुरू हो रहे सावन मास का पहला प्रदोष व्रत 15 जुलाई शनिवार को है। शिव को प्रसन्न करने का सरल मार्ग है प्रदोष व्रत। एकादशी की तरह ही साल में 24 प्रदोष पड़ते हैं जो भगवान शिव को अति प्रिय है। शिव की भक्ति और कृपा के लिए हर माह प्रदोष व्रत कर प्राप्त की जा सकती है। हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष में 2 प्रदोष पड़ते हैं। इस बार सावन माह में 4 प्रदोष व्रत पड़ रहा है। प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा कर व्रत धारण किया जाता है। प्रदोष व्रत जिस दिन होता है उसके अनुसार उनका नाम होता है।

प्रदोष व्रत जिस दिन होता है उसके अनुसार उसका नाम निर्धारित होता है। 15 जुलाई को पड़ने वाला प्रदोष व्रत के दिन शनिवार है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष कहते हैं। जो सावन का पहला व्रत हैं।शिव ही आदि है और शिव ही अंत है। निराकार निरब्रह्म शिव (lord shiva) की पूजा कर ही समस्त सृष्टि को प्रसन्न किया जा सकता है।

सावन में कब कब है प्रदोष व्रत

इस बार 2023 में सावन मास में 4 प्रदोष के व्रत है।

15 जुलाई, शनिवार प्रदोष व्रत

30 जुलाई, रविवार मासिक शिवरात्रि

13 जुलाई, रविवार कर्क संक्रांति

17 जुलाई, सोमवार श्रावण अमावस्या

धर्मशास्त्रों के अनुसार प्रदोष का व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित इस व्रत को लोग लंबी आयु, संतान और समृद्धि के लिए करते हैं।आने वाले इस व्रत शुभ मुहूर्त...


शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त...

सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शनि प्रदोष व्रत पड़ा रहा है। प्रदोष की पूरी तिथि :15 जुलाई शनिवार को त्रयोदशी तिथि 08:32 PM तक उपरांत चतुर्दशी

  • ब्रह्म मुहूर्त : 04:22 AM से 05:09 AM
  • अमृत काल :-03:10 PM से 04:58 PM
  • अभिजीत मुहूर्त :12:06 PM से 12:59 PM
    प्रदोष की पूजा : चारों प्रदोष में प्रदोष काल शाम :06:38 PM से 07:02 PM,में ही करना चाहिए और निशित काल-11:43 PM से 12:25 AM, 16 जुलाई, निशित काल-11:43 PM से 12:25 AM, 31 जुलाई, निशित काल-11:43 PM से 12:25 AM, 14 अगस्त, निशित काल-11:43 PM से 12:25 AM, 18 अगस्त

प्रदोष व्रत की महिमा

प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है इस व्रत को करने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। दक्षिण भारत में लोग इसे प्रदोषम व्रत के नाम से जाना जाता है।

मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। पुराणों अनुसार प्रदोष व्रत करने से 2 गायों के दान के बराबर फल प्राप्त होता है। इस व्रत का महत्व बताते हुए महाज्ञानी सूत जी कहते हैं, ‘जब कलयुग में अधर्म बढ़ जाएगा, लोग सच बोलना छोड़ देंगे उस समय प्रदोष व्रत अंधेरे में एक लौ की तरह उभरेगा जिससे लोग भगवान शिव की आराधना कर अपने पापों का प्रायश्चित करेंगे’।शनि प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा की जाती है। भगवान भोलनाथ की पूजा गंगाजल, गाय के दूध, चंदन, भस्म, फूल, माला, धूप, दीप, चंदन, बेलपत्र, मदार के फूल, धतूरा, भांग आदि से की जाती है। शिव वंदना के साथ शनि प्रदोष व्रत कथा सुनने के बाद शिव आरती की जाती है। अगले दिन सुबह पारण करके व्रत पूरा किया जाता है।



Suman Mishra। Astrologer

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