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Sawan Somvar Vrat Katha : सोमवार के व्रत से जुड़ी महादेव की यह कथा जरूर पढ़ें, हर लेंगे हर कष्ट, मिलेगा मनवाँछित फल

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 30 Jun 2023 1:09 PM IST
Sawan Somvar Vrat Katha : सोमवार के व्रत से जुड़ी महादेव की यह कथा जरूर पढ़ें, हर लेंगे हर कष्ट, मिलेगा मनवाँछित फल
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सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Sawan Somvar Ki Katha: सावन मास 4 जुलाई से शुरू हो रहा है, और सावन महीना 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। इस महीने में सावन सोमवार, मंगला गौरी व्रत समेत कई शुभ योग बनते हैं। इस साल के सावन महीने में 8 सोमवार है। सावन का सोमवार भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और उन्हें प्रसन्न करने के लिए खास माना जाता है। सावन सोमवार शिवजी और माता पार्वती की पूजा कभी व्यर्थ नहीं जाती है।

सावन सोमवार व्रत की कथा (Sawan Somvar Vrat Katha)

पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार किसी नगर में एक साहूकार रहता था। वह भगवान शिव का बहुत ही बड़ा भक्त था। नगरवासी उसका सम्मान करते थे। उसका जीवन बहुत सुखी संपन्न था। लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। इस वजह से वह हमेशा दुखी रहता था। पुत्र प्राप्ति के लिए साहूकार हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा अर्चना किया करता था। साहूकार के भक्ति को देखकर एक बार माता पार्वती ने शिवजी से कहा कि यह साहूकार आपका बहुत बड़ा भक्त है। यह हर सोमवार को पूरी श्रद्धा के साथ आपका व्रत और पूजा करता हैं। लेकिन फिर भी आप इसकी इच्छा क्यों पूरी नहीं करते हैं? यह सुनकर भोलेनाथ ने माता पार्वती से कहा हे पार्वती इसे कोई संतान नहीं है, इसलिए मैं इस विषय में कुछ नहीं कर सकता।

यह सुनकर माता पार्वती ने शिवजी से विनती करते हुए कहा कि वह किसी भी तरह उस साहूकार को संतान होने का वरदान दें। यह सुनकर भोलेनाथ ने व्यापारी को संतान प्राप्ति का वरदान दिया और उन्होंने कहा कि यह पुत्र तुम्हारा केवल 12 वर्ष तक जीवित रहेगा। कुछ समय बाद साहूकार की पत्नी गर्भवती हुई और उसने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। साहूकार को भोलेनाथ की कहीं गई हुई बातें याद थी, इसलिए पुत्र होने के बाद भी वह बहुत दुखी रहता था।

यह बात उसने अपनी पत्नी को नहीं बताई थी। जब साहूकार का बेटा 11 वर्ष का हो गया, तो साहूकार की पत्नी नें अपने बेटे का बाल विवाह करने को कहीं। यह सुनकर साहूकार ने कहा, कि अभी उसे पढ़ने के लिए काशी भेजेंगे। इसके बाद ही उसकी शादी होगीं। उसने अपने पुत्र को मामा के साथ काशी भेज दिया। साहूकार ने अपने पुत्र से कहा, कि काशी जाते समय रास्ते में जिस स्थान पर रुकना वहां यज्ञ और ब्राह्मणों को भोजन करा कर ही आगे बढ़ना।

भोजन कराते हुए आगे बढ़ते रहें। आगे बढ़े पर मामा और भांजे ने रास्ते में देखा, कि एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था। राजकुमारी का विवाह जिस राजकुमार से हो रहा था वह एक आंख से काना था। जब राजकुमारी के पिता की दृष्टि उस राजकुमार पर पड़ी, तो उसके मन में यह विचार आया कि क्यों ना मैं अपनी पुत्री की शादी इस राजकुमार से कर दूं।

मन में आए इस विचार को उसने साहूकार के बेटे के मामा से कहा। यह सुनकर मामा मान गया और उसने अपने भांजे की शादी उस राजकुमारी से करवा दी। विवाह होने के पश्चात उसने राजकुमारी की चुनरी की पल्लू में पर लिखा तेरा विवाह मेरे साथ हुआ है, लेकिन यह राजकुमार के साथ तुम्हें भेजेंगे। यह लिखकर साहूकार का बेटा अपने मामा के साथ काशी के लिए चला गया। राजकुमारी ने जब अपनी चुनरी खोली, तो उसने लिखा हुआ देखा, तो उसने उस राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया।

उधर मामा और भांजा काशी पहुंच गए। एक दिन जब मामा अपने धर में ने यज्ञ करवा रहे थे, तभी अचानक भांजे की तबीयत काउी खराब हो गई। उस दिन वह कमरे से बाहर नहीं आया। मामा ने कमरे के अंदर जाकर देखा, तो भांजे के प्राण निकल चुके थे। लेकिन मामा ने यह बात किसी को नहीं बताई और यज्ञ का सारा काम समाप्त किया कर ब्राह्मणों को भोजन कराया।

इसके बाद वह रोना शुरू कर दिया। भगवान शिव और माता पार्वती उस वक्त उसी रास्ते से जा रहे थे। रोने की आवाज सुनकर माता पार्वती ने भगवान शिव जी से पूछा ‘हे प्रभु यह कौन रो रहा है? यह सुनकर भगवान शिव माता पार्वती से कहें यह वही साहूकार का बेटा है, जिसकी आयु 12 वर्ष तक की ही थी।

तब माता पार्वती ने शिवजी से व्यापारी के बेटे का जीवन दान देने को कहा। तब महादेव ने माता पार्वती से कहा इसकी आयु इतनी ही थी। भगवान शिव के इस वचन को सुनकर माता पार्वती बार-बार जीवन दान देने की आग्रह करने लगीं। तब भगवान शिव ने उसे साहूकार के बेटे को जीवनदान दे दिया। इसके बाद मामा और भांजा दोनों अपने घर को लौट गया।

रास्ते में उन्हें वहीं नगर मिला जहां साहूकार के बेटे का विवाह हुआ था। वहां जाने के बाद दोनों की खूब खातिरदारी हुई। राजकुमारी के पिता ने अपनी कन्या को साहूकार के बेटे के साथ खूब सारा धन देकर विदा कर दिया। उधर साहूकार और उसकी पत्नी यह सोचकर छत पर बैठे थे, यदि उनका पुत्र वापस नहीं आएगा, तो वह छत से कूदकर अपनी जान दे देंगे।

जब उन्हें पता चला, कि उनका पुत्र वापस उनके पास आ रहा है, तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। बाद में उन्होंने अपने बेटे और बहू का भव्य तरीके से स्वागत और भगवान शिव को बारंबार धन्यवाद दिया। रात में भगवान शिव ने साहूकार को स्वपन्न दिए और ‘कहा कि मैं तुम्हारे पूजा से बहुत प्रसन्न हूं। आज के बाद जो भी सोमवार व्रत में उसकी इस कथा को पढ़ेगा उसकी सभी मनोकामनाएं मैं अवश्य पूर्ण करूंगा।

सावन के सोमवार और व्रत

सावन महीने के सारे सोमवार को बहुत महत्‍व है क्‍योंकि साव में सोमवार भगवान शिव को समर्पित हैं। सावन सोमवार का व्रत करने और शिवलिंग की पूजा करने, शिवलिंग का जल और पंचामृत से अभिषेक करने, बेलपत्र-धतूरा आदि चढ़ाने से भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्त के सारे कष्ट हर लेते हैं..
मौना पंचमी - 7 जुलाई 2023
शुक्र प्रदोष व्रत - 14 जुलाई 2023 शुक्रवार
सावन शिवरात्रि -15 जुलाई 2023 शनिवार
सावन अमावस्या - 17 जुलाई 2023 सोमवार
रवि प्रदोष व्रत - 30 जुलाई 2023 रविवार
रवि प्रदोष व्रत (अधिकमास) -13 अगस्त 2023 रविवार
मासिक शिवरात्रि (अधिकमास) - 14 अगस्त 2023 सोमवार
नाग पंचमी - 21 अगस्त 2023 सोमवार
सोम प्रदोष व्रत - 28 अगस्त 2023 सोमवार
सावन पूर्णिमा - 31 अगस्त 2023
8 सोमवार पड़ेगा इस साव
सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त



Suman Mishra। Astrologer

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