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ऐसे ही नहीं उड़ती आंखों की नींद, महात्मा विदुर ने बताई है ये वजह
नींद आना एक सहज प्रक्रिया है और हर रात एक निश्चित समय पर हम सोने भी चले जाते हैं और हमें नींद आ जाती है। नींद अगर अच्छी हो तो अगला दिन आसानी से निकल जाता है लेकिन अगर रात की नींद ढ़ंग से पूरी ना हो तो अगला दिन ख़राब हो जाता है।
लखनऊ: नींद आना एक सहज प्रक्रिया है और हर रात एक निश्चित समय पर हम सोने भी चले जाते हैं और हमें नींद आ जाती है। नींद अगर अच्छी हो तो अगला दिन आसानी से निकल जाता है लेकिन अगर रात की नींद ढ़ंग से पूरी ना हो तो अगला दिन ख़राब हो जाता है।
नींद अमीर व गरीब नहीं देखती। कभी-कभी सारी सुविधाओं के बावजूद नींद आंखों से दूर रहती है और कभी देखते होंगे कि सड़क पर सोने वाला गरीब कैसे निश्चिंत होकर सोता है। नींद नहीं आने का कारण क्या है। महाकाव्य महाभारत के अनुसार, महाभारत के प्रमुख पात्रों में हस्तिनापुर सम्राट धृतराष्ट्र और महामंत्री विदुर से हर कोई परिचित है। एक तरफ जहां धृतराष्ट्र अपने स्वार्थ की पराकाष्ठा के कारण जाने जाते हैं, तो दूसरी तरफ विदुर जी का अपरिमित ज्ञान और नीतियों के लिए सम्माननीय हैं।
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धृतराष्ट्र को जब नींद नहीं आई
यह उस समय की बात है, जब पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध लगभग तय हो चुका था और पांडवों का संदेश लेकर सारथी संजय हस्तिनापुर वापस आ चुके थे। अगले दिन सुबह वे भरी सभा में पांडवों का उत्तर सुनाने वाले थे। इससे पहले की रात सम्राट धृतराष्ट्र के लिए अत्यंत कष्टकारी हो रही थी। वे किसी भी तरह सो नहीं पा रहे थे। हर तरह से विचलित होने पर उन्होंने महामंत्री विदुर को बुला भेजा। उनके आने पर धृतराष्ट्र ने कहा- विदुर जी! हर तरह से प्रयास कर लिया, पर नींद आती ही नहीं, उड़ ही गई है, चैन मिलता ही नहीं। क्या कारण है और निदान क्या है?
4 तरह के मनुष्यों को नींद नहीं आती
तब विदुर जी ने कहा-4 तरह के मनुष्यों को नींद नहीं आती। आप भी उनका विश्लेषण सुन लें और जान लें कि आप इनमें से कौन-से कारण से विचलित हैं। तब आप कारण और निदान दोनों जान जाएंगे, तो विचलित नहीं होंगे।
*जिस व्यक्ति ने अपने से अधिक शक्तिशाली शत्रु बना लिया हो, वह हर पल चिंतित रहता है कि शत्रु का अगला वार क्या होने वाला है। ऐसे व्यक्ति को कभी चैन की नींद प्राप्त नहीं हो सकती।
* एकमात्र स्थिति यही है कि किसी तरह उस शत्रु का नाश हो जाए, तभी वह व्यक्ति आराम पा सकता है।
*जिस व्यक्ति में काम भावना जाग गई हो, वह बिना इच्छापूर्ति किए चैन से नहीं सो सकता। अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए वह सही, गलत का अंतर तक भूल जाता है। अपनी इच्छाओं को संयमित किए बिना इस स्थिति से पार नहीं पाया जा सकता।
*जिस व्यक्ति का सब कुछ छीन लिया गया हो, वह दाह के कारण नहीं सो पाता। उसके मन में पूरे समय यही विचार चलता है कि कैसे अपना सब कुछ वापस पाऊं? जब वह अपना इच्छित वापस पा लेता है, बस, तभी वह चैन से सो पाता है।
* जिस व्यक्ति की प्रवृत्ति चोरी करने की होती है, वह जीवनभर चैन से नहीं सो पाता। वह रात में चोरी करता है और दिन भर चिंता में रहता है कि कहीं उसकी चोरी पकड़ी ना जाए। ऐसे व्यक्ति के लिए नींद ना आने का कोई निदान नहीं है।
इस बात सुनकर महाराज धृतराष्ट्र समझ आया कि पांडवों से अपने पुत्रों के संभावित संघर्ष की चिंता ही उन्हें सोने नहीं दें रही है। वे यह भी जानते थे कि इस युद्ध को टाला नहीं जा सकता और उनका मन जानता था कि परिणाम किस पक्ष में जाने की संभावना अधिक है। अब वे जान चुके थे कि आज ही क्या, अब वे कभी चैन की नींद नहीं सो पाएंगे।
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उपाय
नींद शांति, सुख और आराम देती है। अतः शरीर यदि विकारों से भरा हो तो ऐसे में नींद न आना स्वाभाविक है। विकार शारीरिक हों या मानसिक, नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। इसलिए रात का खाना हल्का खाएं। यह सोने से कम से कम दो घंटे पहले कर लेना चाहिए।
अल्कोहल, सिगरेट, चाय कॉफी आदि का प्रयोग कम से कम कर देना चाहिए। शारिरिक श्रम, व्यायाम, योग आदि को दिनचर्या का हिस्सा बनाये। शरीर को साफ सुथरा रखें। सम्भव ही तो शाम को भी स्नान करें। चिन्ता, बदले की भावना, ईर्ष्या जैसे नकारात्मक विचारों को यथा सम्भव दूर रहें।