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बस लगने वाला है ग्रहण, इस दौरान न करें SEX, जानें इस पर क्या कहता है धर्म-विज्ञान
बस कुछ देर में सूर्य ग्रहण लग जाएगा। इस दौरान हम लोग सूतक में है सूर्य ग्रहण में स्नान दान पूण्य और जाप ध्यान का बड़ा महत्व है। इसलिए ग्रहण की समाप्ति पर स्नान के बाद दान की परंपरा है। मान्यता है कि ग्रहण के पश्चात दान करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दौरान किया गया दान राहु, केतु और शनि के दोष का निवारण करता है। इस तरह के दान से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
जयपुर : बस कुछ देर में सूर्य ग्रहण लग जाएगा। इस दौरान हम लोग सूतक में है सूर्य ग्रहण में स्नान दान पूण्य और जाप ध्यान का बड़ा महत्व है। इसलिए ग्रहण की समाप्ति पर स्नान के बाद दान की परंपरा है। मान्यता है कि ग्रहण के पश्चात दान करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दौरान किया गया दान राहु, केतु और शनि के दोष का निवारण करता है। इस तरह के दान से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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ग्रहण के बाद दान
*ग्रहण के पश्चात किया गया दान कई गुना फल प्रदान करता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु का स्थान पैरों में माना गया है। इसलिए ग्रहण के दौरान जूते दान करने से स्थिरता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
*पितरों को प्रसन्न करने के लिए किसी गरीब या जरूरतमंद को चमड़े के काले या भूरे रंग के जूते दान करें।
*कारोबार में उन्नति के लिए और बीमारी से निजात के लिए काले और भूरे रंग का कंबल दान करें। एक बात का विशेष ख्याल रखें, यदि आपका शनि खराब है तो सूर्य ग्रहण के समय छाते का दान करें, लेकिन अन्न का दान न करें। ग्रहण के पश्चात गाय को हरा चारा, हरी सब्जियां खिलाएं।
नदी में न करें स्नान तो इस मंत्र का करें जाप
ग्रहण काल शुरू होने एवं समापन के बाद अगर संभव हो तो शुद्ध जल से स्नान करें। किसी पवित्र नदी का जल है तो यह उत्तम है। यह जल गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी, मानसरोवर, तापी, बिंदु सरोवर आदि धार्मिक दृष्टि से पवित्र नदियों व जल संरचना का होना चाहिये। नहीं तों "गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिम कुरु...।" हाथ में जल लेकर मंत्रोच्चार करें और जल को संपूर्ण जल पात्र में मिला दें। इससे समस्त नदियों में स्नान का पुण्य प्राप्त होगा।
ग्रहण के दौरान मंत्र
ग्रहण के दौरान दीपक जलाकर गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें। ये जाप आपके संकटों को दूर कर देगा। सूर्य ग्रहण के समय “ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:” और “ऊँ घृणि: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करते रहें।
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धर्म और विज्ञान का तर्क
शास्त्रों के नियमानुसार ग्रहण के दौरान भोजन, मल-मूत्र त्याग, मैथुन अशुभ माना गया है। देखें शास्त्रों और पुराणों में ग्रहण के समय इन चीजों की मनाही क्यों है और इसके क्या परिणाम हैं।
भोजन नहीं करना
आमतौर पर कहा जाता है कि ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए। पुराणों के अनुसार इससे अगले जन्म में व्यक्ति को उदर रोग से परेशानी रहती है। कुछ वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि इससे अपच की शिकायत होती है क्योंकि चन्द्र की किरणों से भोजन दूषित हो जाता स्कंदपुराण में कहा गया है कि ग्रहण के समय दूसरों का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्रित पुण्य नष्ट हो जाता है। जबकि देवीभागवत पुराण में बताया गया है कि ग्रहण के समय खाने से मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है उसे उतने वर्षों तक अरुतुन्द नाम के नरक को भोगना पड़ता है।
शौच निषेध
ऐसे व्यक्ति जब धरती पर जब पैदा होता है तो उसे उदर रोग, गुल्मरोग और दांतों की परेशानी होती है। ग्रहण के समय सोना शास्त्रों के अनुसार शुभ नहीं होता। इससे व्यक्ति रोगी होता है। ग्रहण के दौरान जप और ध्यान करना शुभ फलदायी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय मल-मूत्र के त्याग से बचना चाहिए। इसके पीछे शास्त्रों का यह तर्क दिया जाता है कि इससे धन की तंगी होती है।
पाप करना
किसी को धोखा देना और ठगना पाप माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण के समय जो लोग दूसरों को धोखा देते हैं या छल कपट करते हैं उन्हें अगले जन्म में सर्प योनी में जन्म लेना पड़ता है।
संभोग
ग्रहण के दौरान सेक्स को वर्जित माना गया है। पुराणों में कहा गया है कि इससे व्यक्ति अगले जन्म में सूअर होता है ग्रहण के समय मसाज करवाना भी अशुभ फलदायी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इससे कुष्ट रोग और चर्म रोग की परेशानी होती है।