×

कोरोना का अंत करीबः बुझते दिये सा रहा फड़फड़ा, ये है आखिरी दिन

भारत के सन्दर्भ में देखा जाए तो 24 जनवरी को "शनि" का मकर राशि मे प्रवेश हुआ। यहां पहले से ही विराजमान सूर्य से शनि की नैसर्गिक शत्रुता है। इसी कारण महामारी का पहला मामला 30 जनवरी को सूदूर दक्षिण के राज्य केरल में दिखाई देता है।

SK Gautam
Published on: 1 April 2020 4:28 PM IST
कोरोना का अंत करीबः बुझते दिये सा रहा फड़फड़ा, ये है आखिरी दिन
X

प. देवेन्द्र भट्ट गुरुजी

बड़ी खबर कोरोना वायरस अब देश में कुछ ही दिन का मेहमान है। यह कहना है प्रख्यात ज्योतिर्विद पं. देवेंद्र भट्ट गुरूजी का। उनका कहना है कि 30 मार्च को " गुरू" मकर राशि मे आ गया है। गुरू शुभ ग्रह है। 2 अप्रैल को शुभ ग्रह चन्द्रमा कर्क राशि मे है एवं उसकी पूर्ण दृष्टि गुरू, शनि और मंगल पर होगी। अतः शुभ संकेत मिलेंगे। देवेंद्र भट्ट ये भी बता रहे हैं कि किस तारीख को कोरोना मुक्त हो जाएगा भारत

ग्रहो के स्थान परिवर्तन के पश्चात फल प्रदान करने मे कुछ समय लगता है। अर्थात् एक सप्ताह पश्चात 8 अप्रैल से सकारात्मक परिणाम दिखने लगेंगे। इसके साथ ही 13 अप्रैल रात्रि से सूर्य राशि परिवर्तन करके मेष राशि मे उच्च का होगा। सूर्य को देवताओं का चिकित्सक भी माना गया है एवं आकाशगंगा मे विराट ऊर्जा का स्रोत है। इसके साथ ही 15 अप्रैल को शुभ ग्रह चन्द्रमा भी मकर राशि मे प्रवेश करेगा। इस तिथि से कोरोना संक्रमण के नये मामले प्रकाश मे आना रुक जाएँगे। स्थिति सुधार की तरफ बढे़गी। जनजीवन सामान्य होने लगेगा। बाजार और कार्यालयों मे रौनक शुरू हो जाएगी।

क्या कहती रही है ज्योतिषीय गणनाएं

दरअसल जब भी हमारे देश में किसी आपदा या महामारी की दस्तक होती है लोगों के बीच में धार्मिकता और आध्यात्मिकता कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। लोग उस पराशक्ति की निकटता प्राप्त कर संकट से मुक्ति पाने के जतन में जुट जाते हैं। ऐसा ही कुछ ज्योतिषीय गणनाओं को लेकर भी सवाल खड़ा होता है। जिसमें सवाल होता है कि ऐसा होना था तो किसने क्या कुछ कहा था।

वर्तमान में कोरोना संकट के दौर में भी इसी तरह के सवाल उठ रहे हैं। जिस पर लोग अपने अपने ढंग से जवाब भी दे रहे हैं। इस सिलसिले में हमने जब जांच की तो पता चला कि पाया

ह्रषिकेष पंचांग में विषाणुजनित महामारी की बात कही गई थी

इसी तरह ठाकुर प्रसाद पंचांग में भी महामारी के संकेत के बारे में कहा गया है।

न्यूजट्रैक ने इस संबंध में पाठकों की आ रही जिज्ञासाओं के समाधान के लिए ज्योतिषाचार्यों से बात करने का निश्चय किया और इस कड़ी पं. देवेन्द्र भट्ट (गुरू जी) से मिली जानकारी प्रस्तुत है। उम्मीद है पाठकों को पसंद आएगी

पं. देवेन्द्र भट्ट (गुरुजी)

विश्व समुदाय का एक बड़ा हिस्सा, संक्रामक बीमारी के दौर से गुजर रहा है। आर्याव्रत मे इस महायारी का पहला मामला, 30 जनवरी को केरल राज्य मे दिखता है। फरवरी माह मे कुछ मामले आए, पुनः मार्च के प्रारम्भ से अखिल जम्बूद्वीप मे इस महामारी ने पाँव पसार लिया। इस विषय पर क्या कहते हैं सितारे, उसका विश्लेषण प्रस्तुत कर रहा हूँ। आदि काल से ही यवनों, कुषाणो, शकों पारसी आदि ने भारतीय ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता स्वीकार की है।

राहु इसे मजबूत लोकतंत्र प्रदान करता है

आचार्यो ने स्वतंत्र भारत को कर्क राशि और वृष लग्न का माना है। स्थिर लग्न मे उपस्थित राहु इसे मजबूत लोकतंत्र प्रदान करता है। पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण, जिसका अधिपति शनि है, का होने के कारण भारतीय गणराज्य के एकीकरण को बल मिला कारण कि शनि इसका भाग्येश भी है और भाग्येश मे जन्म लेने वाले जातक या संस्थान, शुभ फलदायी होते हैं।

पराक्रम स्थान मे पाँच ग्रहो की युति ने इसे दक्षिणी एशिया के देशो मे , प्रभावशाली स्थान दिलाया है। यही वजह है कि तमाम झंझावातो से गुजरता हुआ भारत वर्तमान मे सभी राष्ट्रो के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वर्तमान मे आयी महामारी से भी भारत सफलता पूर्वक बाहर निकल आएगा।

ये भी देखें: कोरोना: पलायन कर गांव आने वाले लोगों की सूचना देने पर महिला को गोलियों से भूना

सितारो की दृष्टि से राष्ट्र हो या संस्थान, उसकी प्रगति एवं आपदा में गोचरीय दशाओं को सर्वप्रमुख माना गया है। यहा यह भी उल्लेखनीय है कि अक्षांश और देशान्तर की भिन्नता के कारण अलग अलग राष्ट्रो मे गोचरीय दशाएँ भिन्न भिन्न होते है।

भारत के सन्दर्भ में अगर देखा जाय तो

भारत के सन्दर्भ मे देखा जाए तो 24 जनवरी को "शनि" का मकर राशि मे प्रवेश हुआ। यहां पहले से ही विराजमान सूर्य से शनि की नैसर्गिक शत्रुता है। इसी कारण महामारी का पहला मामला 30 जनवरी को सूदूर दक्षिण के राज्य केरल में दिखाई देता है। माह फरवरी मे कोई बडा़ गोचरीय परीवर्तन ना होने के कारण, इस आपदा के लक्षण थोडे़ बहुत ही दिखाई देते हैं।

ध्यान देने योग्य यह है कि 22 मार्च को पाप ग्रह मंगल, उच्च का होकर मकर मे प्रवेश करता है। उसी दिन आपदा के मद्देनजर प्रधानमंत्री जी ने जनता कर्फ्यू की घोषणा की। एक दो दिनो मे मंगल के कुछ अंश चलते ही स्थिति राष्ट्रीय महामारी का रूप धारण कर लेती है और 21 दिन के लिए देश भर मे लाकडाऊन घोषित कर दिया जाता है।

ये भी देखें: पूरी होती हैं मनोकामनाएं: राजा कर्ण ने 2000 वर्ष पूर्व बनवाया था मां कर्णा देवी का मंदिर

शुभ संकेत मिलेंगे, दिखेंगे सकारात्मक परिणाम

30 मार्च को " गुरू" भी मकर राशि मे आ गया है। गुरू शुभ ग्रह है। 2 अप्रैल को शुभ ग्रह चन्द्रमा कर्क राशि मे है एवं उसकी पूर्ण दृष्टि गुरू, शनि और मंगल पर होगी। अतः शुभ संकेत मिलेंगे। ग्रहो के स्थान परिवर्तन के पश्चात फल प्रदान करने मे कुछ समय लगता है। अर्थात् एक सप्ताह पश्चात 8 अप्रैल से सकारात्मक परिणाम दिखने लगेंगे।

15 अप्रैल के बाद सामान्य होगा जनजीवन

दिनांक 13 अप्रैल रात्रि से सूर्य , राशि परिवर्तन करके मेष राशि मे उच्च का होगा। सूर्य को देवताओ का चिकित्सक भी माना गया है एवं आकाशगंगा मे विराट उर्जा का स्रोत है। इसके साथ ही 15 अप्रैल को शुभ ग्रह चन्द्रमा भी मकर राशि मे प्रवेश करेगा। इस तिथि से करोना संक्रमण के नये मामले प्रकाश मे आना रुक जाएँगे। स्थिति सुधार की तरफ बढे़गी। जनजीवन सामान्य होने लगेगा। बाजार और कार्यालयों मे रौनक होने लगेगी।

ये भी देखें: खुशखबरी: फिर साथ आए कपिल और सुनील, इस दिन से टीवी पर आएंगे नजर

दिनाँक 5 मई को मंगल, मकर राशि मे भ्रमण की अपनी अवधि पूर्ण कर लेगा एवं कुम्भ मे प्रवेश कर जाएगा। फलस्वरूप भारत सरकार यह आधिकारिक घोषणा कर सकेगी कि भारत ने इस महामारी पर पूर्ण रूप से नियंत्रण स्थापित कर लिया है। अखिल विश्व की मंगल कामना के साथ...

(ग्रह शोधक—वास्तुविद)



SK Gautam

SK Gautam

Next Story