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Vat Purnima Ka Mahatva : वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व क्या है ,जानिए इस दिन भद्राकाल में होगी या नहीं

Vat Savitri Purnima Ka Mahatava: वट सावित्री का व्रत ज्येषठ माह की अमावस्या और पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करे सुहाग की कामना की जाती है ,जानते हैं इसकी महिमा

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 3 Jun 2023 2:30 AM IST (Updated on: 3 Jun 2023 1:57 PM IST)
Vat Purnima Ka Mahatva : वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व क्या है ,जानिए इस दिन भद्राकाल में होगी या नहीं
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Vat Savitri Purnima Ka Mahatava

Vat Savitri Purnima Ka Mahatava Kya Hai: वट सावित्री अमावस्या की तरह ही वट सावित्री पूर्णिमा व्रत करने से भी अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, बीच में विष्णु और आगे के भाग में शिव रहते हैं। है। बरगद का पेड़ स्वर्ग से आया देव वृक्ष है। देवी सावित्री भी इस वृक्ष में निवास करती हैं। कथानुसार, वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुन: जीवित किया था, तब से ये व्रत 'वट सावित्री' के नाम से जाना जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अखंड सौभाग्य के लिए वट की पूजा करती हैं। वट की परिक्रमा में 108 बार कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा कर कथा सुनती हैं। सावित्री की कथा सुनने से पति के संकट दूर होते हैं। इस दिन सुहागन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष, सावित्री और सत्यवान की पूजा करती हैं, जिससे पति की आयु लंबी होती है। दांपत्य जीवन खुशहाल होता है।

वट सावित्री के दिन व्रत रखकर सुहागिनें वट वृक्ष की पूजा करती हैं। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास रहता है। वट वृक्ष कभी ना क्षय होने वाला पेड़ है जो सदियों तक रहता है। इस वृक्ष के नीचे सबसे अधिक ऑक्सीजन मिलता है। सावित्री ने इस वृक्ष के नीचे अपने मृत पति सत्यवान को लिटाया था और अपने सूझबूझ और धैर्य से यमराज से सुहाग की रक्षा की थी और जान बचाई थी। कहते हैं कि जब सत्यवान को यमराज ने जीवित कर दिया तब सावित्री ने बरगद के पेड का फल खाकर इस दिन जल से व्रत तोड़ा था, तभी से यह व्रत मनाया जाता है और वट की पूजा की जाती है।

  • लाल रंग को अग्नि, रक्त और मंगल ग्रह का भी प्रतीक माना जाता है। क्योंकि इन सब का रंग भी लाल ही होता है।
  • उत्साह, सौभाग्य, उमंग, साहस और नए जीवन का प्रतीक लाल रंग को माना जाता है। वैसे ज्योतिषशास्त्र में लाल रंग को उग्रता का भी प्रतीक माना गया है। जिस कारण अधिक क्रोध करने वाले लोगों को लाल रंग के कपड़े नहीं या कम पहनने की सलाह दी जाती है।
  • लाल रंग प्रकृति का भी प्रतिक माना जाता है। यूँ तो दुनिया में कई रंग -बिरंगे फूल मौजूद हैं लेकिन देखा जाए तो इनमें से अधिकतर फूल लाल रंग के होते हैं।
  • - प्रकृति की अजीब माया है। जीवन में रौशनी भरने वाले सूरज के सूर्योदय और सूर्यास्त का भी रंग लाल और केसरिया ही है।
  • - मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी को लाल रंग बेहद पसंद है। इसलिए मां लक्ष्मी के वस्त्र भी लाल हैं औरवे लाल रंग के कमल पर शोभायमान रहती हैं। यहाँ तक के उनके पूजनके दौरान भी लाल रंग का कपड़ा बिछाकर ही उस पर उनकी प्रतिमा रखकर पूजा की जाती है।
  • - रामभक्त हनुमान को भी लाल और सिन्दूरी रंग अति प्रिय माना जाता हैं। बता दें कि हनुमान जी के पूजन में उन्हें सिन्दूर अर्पित करना बेहद शुभ होता है।
  • -शक्ति की प्रतिक मां दुर्गा के मंदिरों में भी लाल रंग का ही उपयोग सबसे ज्‍यादा किया जाता है। क्योंकि लाल रंग शक्ति का भी प्रतीक माना जाता है।
  • - पौराणिक कथाओं के अनुसार लाल रंग चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग होता है।
  • - हिंदू धर्म में शादी के जोड़े के रूप में दूल्‍हा-दुल्हन के लिए लाल रंग को ही प्रमुखता दी जाती है. मान्यता है कि यह रंग उनके भावी जीवन को खुशियों से भर देगा।



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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