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जानें माथे पर तिलक लगाने का राज, किस उंगली का करना चाहिए इस्तेमाल

तिलक को आमतौर पर किसी भी पूजा के बाद माथे पर लगाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार तिलक हमेशा दोनों भौहों के बीच आज्ञाचक्र पर लगाया जाता है। चंदन या कुमकुम का तिलक लगाना शुभ माना गया है। इसके अलावा तिलक हल्दी-कुमकुम का भी अच्छा माना जाता है।

suman
Published on: 10 May 2020 3:17 AM GMT
जानें माथे पर तिलक लगाने का राज, किस उंगली का करना चाहिए इस्तेमाल
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जयपुर: तिलक को आमतौर पर किसी भी पूजा के बाद माथे पर लगाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार तिलक हमेशा दोनों भौहों के बीच आज्ञाचक्र पर लगाया जाता है। चंदन या कुमकुम का तिलक लगाना शुभ माना गया है। इसके अलावा तिलक हल्दी-कुमकुम का भी अच्छा माना जाता है। पुरुष को माथे पर चंदन और महिला को कुमकुम लगाना चाहिए। कहते हैं कि तिलक के बिना तीर्थ स्नान, जप कर्म, दान कर्म, यज्ञ, होमादि, पितर के लिए श्राद्ध कर्म और देवों की पूजा-अर्चना ये सभी कर्म निष्फल हो जाते हैं।

मस्तक पर तिलक लगाना शुभ और मंगलकारी होता है। मस्तिष्क के मध्य ललाट (भौंहों के बीच) में जिस स्थान पर तिलक (टीका) लगाया जाता है वह भाग आज्ञा चक्र है। शास्त्रों का मत है कि पीनियल ग्रंथि को उद्दीप्त किया जाता है तो मस्तिष्क के अंदर एक प्रकाश की अनुभूति होती है। ऋषि-मुनियों ने इसे कहा है कि पीनियल ग्रंथि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा।आज्ञाचक्र पर ध्यान केंद्रित करने पर भी साधक को पूर्ण शक्ति का आभास होने लगता है। इसे ‘चेतना’ केंद्र भी कहते हैं। सम्पूर्ण ज्ञान तथा चेतना का संचालक इसी ग्रंथि से होता है। ‘आज्ञाचक्र’ ही तृतीय नेत्र है। इसे दिव्य नेत्र से संबोधित किया जाता है। तिलक लगाने से आज्ञाचक्र जागृत होता है तथा मानसिकता से धार्मिकता में परिवर्तित हो जाता है।

कई लोग ऐसा सोचते हैं कि तिलक क्यों लगाया जाता है? किस अंगुली से तिलक लगाने के क्या लाभ बताए गए हैं। साथ ही इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण क्या हैं?

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अंगूठा: इस उंगली ग्रह इस संसार के जीवन शक्ति का प्रतीक है। इसलिए अंगूठे से तिलक लगाने से आरोग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

तर्जनी: यह उंगली अंगूठे के बाद वाली होती है। वेदों में तर्जनी अंगुली से तिलक लगाने को मोक्ष से जोड़कर देखा गया है। यानि तर्जनी अंगुली से तिलक लगाने पर मोक्ष प्राप्ति की मान्यता है। इसलिए तर्जनी अंगुली से तिलक लगाया जाता है।

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मध्यमा: यह हथेली की बीच वाली उंगली होती है। जिसे मिडिल फिंगर के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस उंगली से तिलक लगाने से आयु की वृद्धि होती है।

अनामिका: यह मध्यमा उंगली के बाद आती है। कहते हैं कि इस उंगली से तिलक करने से जीवन में शांति आती है। मन शांत रहता है। साथ ही यश की भी प्राप्ति होती है।

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