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अगर करते हैं पीतल के बर्तन का इस्तेमाल, तो ये खबर आपके लिए है, पढ़ें जरूर

शास्त्रों के अनुसार घर मेंपीतल के बर्तन रखना शुभ होता है। सेहत की दृष्टि से पीतल के बर्तनों में बना भोजन स्वादिष्ट होता है और इससे  बीमारी नहीं होती है। पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है जिससे ऊर्जा की बचत होती है। पीतल के बर्तन दूसरे बर्तन से ज्यादा मजबूत होते हैं।

suman
Published on: 13 Jun 2020 2:07 AM GMT
अगर करते हैं पीतल के बर्तन का इस्तेमाल, तो ये खबर आपके लिए है, पढ़ें जरूर
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जयपुर शास्त्रों के अनुसार घर में पीतल के बर्तन रखना शुभ होता है। सेहत की दृष्टि से पीतल के बर्तनों में बना भोजन स्वादिष्ट होता है और इससे बीमारी नहीं होती है। पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है जिससे ऊर्जा की बचत होती है। पीतल के बर्तन दूसरे बर्तन से ज्यादा मजबूत होते हैं।

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शास्त्रोंनुसार...

ब्रास अथवा पीतल एक मिश्रित धातु है। पीतल का निर्माण तांबा व जस्ता धातुओं के मिश्रण से किया जाता है। पीतल शब्द पीत से बना है तथा संस्कृत में पीत का अर्थ पीला होता है तथा धार्मिक दृष्टि से पीला रंग भगवान विष्णु को संबोधित करता है। सनातन धर्म में पूजा-पाठ व धार्मिक कर्म हेतु पीतल के बर्तन का ही उपयोग किया जाता है। वेदों के खंड आयुर्वेद में पीतल के पात्रों को भगवान धन्वं‍तरि का अतिप्रिय बताया गया है। शास्त्र महाभारत में वर्णित एक वृत्तांत के अनुसार सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षय पात्र वरदानस्वरूप दिया था जिसकी विशेषता थी कि जब तक द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दे, खाना घटता नहीं था।

कर्मकांड में

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह की शांति के लिए पीतल का उपयोग किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह शांति व ज्योतिष अनुष्ठानों में दान हेतु भी पीतल के बर्तन दिए जाते हैं। पीतल के बर्तनों का कर्मकांड में अत्यधिक महत्व है। वैवाहिक कार्य में वेदी पढ़ने हेतु व कन्यादान के समय पीतल का कलश प्रयोग किया जाता है। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने हेतु भी पीतल के कलश का उपयोग किया जाता है तथा बगलामुखी देवी के अनुष्ठानों में मात्र पीतल के बर्तन ही प्रयोग लिए जाते हैं।

सेहत...

सेहत की दृष्टि से पीतल के बर्तनों में बना भोजन स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्धक होता है पीतल पीले रंग का होने से हमारी आंखों के लिए टॉनिक का काम करता है। पीतल का उपयोग थाली, कटोरे, गिलास, लोटे, गगरे, हंडे, देवताओं की मूर्तियां व सिंहासन, घंटे, अनेक प्रकार के वाद्ययंत्र, ताले, पानी की टोंटियां, मकानों में लगने वाले सामान और गरीबों के लिए गहने बनाने में होता है।

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पीतल से लाभ

*भाग्योदय के लिए पीतल की कटोरी में चना दाल भिगोकर रातभर सिरहाने रखें व सुबह चना दाल पर गुड़ रखकर गाय को खिलाएं।

*अटूट धन प्राप्ति हेतु पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण पर शुद्ध घी से भरा पीतल का कलश चढ़ाकर निर्धन विप्र को दान करें।

* लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए वैभवलक्ष्मी का पूजन कर पीतल के दीये में शुद्ध घी का दीपक करें।

* दुर्भाग्य से मुक्ति पाने हेतु पीतल की कटोरी में दही भरकर कटोरी समेत पीपल के नीचे रखें।

* सौभाग्य के लिए पीतल के कलश में चना दाल भरकर विष्णु मंदिर में चढ़ाएं। पीतल के बर्तन में खट्टे पदार्थ कभी भी न रखें।

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