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Ganga Jal: गंगा का पानी सड़ता क्यों नहीं है, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Ganga Jal: भारत में नदियों को माँ के रूप में माना जाता हैं। हिंदू धर्म में नदियों में उतरने से पहले जल को प्रणाम करके, नदी के पैर पड़ने के बाद नदी में उतरते हैं। नदियाँ भारतीयों के लिए जीवनदायिनी कही जाती है। सब नदियों में में गंगा नदी को सबसे पवित्र माना जाता है। गंगा जल के बारे में ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी का जल कभी खराब नहीं होता है।

Akshita Pidiha
Published on: 28 Jun 2023 3:12 PM GMT
Ganga Jal: गंगा का पानी सड़ता क्यों नहीं है, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
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गंगा का पानी सड़ता क्यों नहीं है, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण : Photo- Social Media

Ganga Jal: भारत में नदियों को माँ के रूप में माना जाता हैं। हिंदू धर्म में नदियों में उतरने से पहले जल को प्रणाम करके, नदी के पैर पड़ने के बाद नदी में उतरते हैं। नदियाँ भारतीयों के लिए जीवनदायिनी कही जाती है। सब नदियों में में गंगा नदी को सबसे पवित्र माना जाता है। गंगा जल के बारे में ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी का जल कभी खराब नहीं होता है।

हम अपने बुजुर्गों से भी यही सुनते आ रहे हैं कि गंगा नदी का जल कभी नही सड़ता है। यहाँ तक कि इस जल में किसी तरह के कोई कीड़े मकोड़े भी नहीं होते हैं और यह जल अपनी शुद्धता को हमेशा बरकरार रखता है। इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश करते हैं ।

वैज्ञानिकों का मानना है कि गंगा के पानी के कभी ख़राब न होने की वजह इसमें पाए जाने वाले वायरस हैं। वैजानिक ने शोध में बताया है कि गंगा जल में कुछ ऐसे वायरस पाए जाते हैं, जो इसके पानी को सड़ने नहीं देते हैं। ये वायरस ही गंगा के जल को लंबे समय तक पवित्र बनाए रखने में मदद करते हैं। इस जल में बैट्रियाफोस नामक एक बैक्टीरिया पाया जाता है, जो पानी के अंदर उत्पन्न होने वाले अवांछनीय पदार्थों को ख़त्म करता रहता है। इससे जल शुद्ध बना रहता है। इसके आलावा गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा मौजूद रहती है, इसलिए भी यह खराब नहीं होता। एक और तथ्य यह है कि जिस जगह से गंगा की उत्पत्ति हिमालय पर्वत से होती है। इस जगह पर कई तरह की जड़ी-बूटियां और खनिज लवण पाए जाते हैं। यही वजह है कि गंगा के पानी में चमत्कारिक गुण पाए जाते हैं।

इतिहास भी कुछ कहता है

इतिहासकार के अनुसार सम्राट अकबर भी गंगा जल का सेवन अपने और अपने दरबार में आए हुए लोगों के लिए करते थे। इसके अलावा अंग्रेज़ जब कलकत्ता से वापस अपने देश इंग्लैंड जाते थे, तो पीने के लिए जहाज में गंगा का पानी ले जाते थे, क्योंकि वह कभी भी खराब नहीं होता था। जबकि अंग्रेज जब भी सामान्य पानी ले जाते थे वो जल्द ही खराब हो जाता था। इस बात से साफ़ ज़ाहिर होता है कि गंगा जल लंबे समय तक खराब न होने की वजह से अपनी पवित्रता बनाए रखता है।गंगाजल की एक सबसे बडी विशेषता यह भी है कि गंगाजल को पापों को शुद्ध करने और मोक्ष प्रदान करने के साथ-साथ लोगों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए जाना जाता है।

हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार गंगा जल को घर में रखने के नियम कुछ नियम बनाए गए हैं। जिस कमरे में गंगाजल रखा जाता है, वहां मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए।प्लास्टिक की बोतलों या डिब्बे में रखे जाने पर गंगाजल अपने गुणों को खो देता है, इसलिए इसे रखने के लिए सबसे अच्छा बर्तन कांच या तांबे का बर्तन माना जाता है।

इतना पवित्र जल होने के बाद भी आज गंगा जल के अस्तित्व पर दाग लग गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार कानपुर, वाराणसी और इलाहाबाद का गंगा जल आज पीने योग्य नहीं रह गया है। कई वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा का पानी फसलों की सिंचाई करने के योग्य भी नहीं है।

वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा में अनेक गुण हैं। गंगा दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को सोखने की क्षमता 15 से 20 गुना अधिक होती है। गंगा नदी अपने एक किलोमीटर के बहाव में जितनी गंदगी साफ करती है, दूसरी नदियां उतनी गंदगी 15-20 किलोमीटर में साफ करती हैं।

Akshita Pidiha

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