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अपने नाम के अनुसार, इन 4 मंत्रों से करें शिवरात्रि की पूजा, भरेगा सुख-समृद्धि का भंडार

महाशिवरात्रि पर्व पर अलग-अलग राशि के लोगों के लिए विशेष पूजन के प्रकार का प्रावधान है। भगवान शिव यूं तो मात्र जल और बिल्वपत्र से प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन उनका पूजन अगर अपनी राशि के अनुसार किया जाए तो अतिशीघ्र फल की प्राप्ति होती है।

suman
Published on: 19 Feb 2020 2:48 AM GMT
अपने नाम के अनुसार, इन 4 मंत्रों से करें शिवरात्रि की पूजा, भरेगा सुख-समृद्धि का भंडार
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जयपुर: शिवरात्रि आने में बस दो दिन है ।21 फरवरी को महाशिवरात्रि है तो उससे पहले पर्व को लेकर थोड़ी बहुत जानकारी और तैयारी कर लेना चाहिए। महाशिवरात्रि पर्व पर अलग-अलग राशि के लोगों के लिए विशेष पूजन के प्रकार का प्रावधान है। भगवान शिव यूं तो मात्र जल और बिल्वपत्र से प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन उनका पूजन अगर अपनी राशि के अनुसार किया जाए तो अतिशीघ्र फल की प्राप्ति होती है।

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मेष- रक्तपुष्प से पूजन करें और अभिषेक शहद से करें। 'ॐ नम: शिवाय' का जप करें।

वृषभ- श्वेत पुष्प और दुग्ध से पूजन-अभिषेक करें। महामृत्युंजय का मंत्र जपें।

मिथुन- अर्क, धतूरा और दुग्ध से पूजन-अभिषेक करें। शिव चालीसा पढ़ें।

कर्क- श्वेत कमल, पुष्प और दुग्ध से पूजन-अभिषेक करें। शिवाष्टक पढ़ें।

सिंह- रक्त पुष्प और पंचामृत से पूजन-अभिषेक करें। शिव महिम्न स्त्रोत पढ़ें।

कन्या- हरित पुष्प, भांग और सुगंधित तेल से पूजन-अभिषेक करें। शिव पुराण में वर्णित कथा का वाचन करें।

तुला- श्वेत पुष्प तथा दुग्ध धारा से पूजन-‍अभिषेक करें। महाकाल सहस्त्रनाम पढ़ें।

वृश्चिक- रक्त पुष्प तथा सरसों तेल से पूजन-‍अभिषेक करें। शिव जी के 108 नामों का स्मरण करें।

धनु- पीले पुष्प और सरसों तेल से पूजन-‍अभिषेक करें। 12 ज्योतिर्लिंगों का स्मरण करें।

मकर- नीले-काले पुष्प तथा गंगाजल से पूजन-‍अभिषेक करें। शिव पंचाक्षर मंत्र का जप करें।

कुंभ- जामुनिया-नीले पुष्प औरजल से पूजन-‍अभिषेक करें। शिव षडाक्षर मंत्र का 11 बार स्मरण करें।

मीन- पीले पुष्प और मीठे जल से पूजन-‍अभिषेक करें। रावण रचित शिव तांडव का पाठ करें।

खासतौर पर ध्यान दें, पूजन में पहले ध्यान, आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, पंचामृत स्नान, शुद्धोदक जल स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, उपवस्त्र, चंदन, अक्षत, पुष्प, पुष्प माला, धूप-दीप, नैवेद्य नीराजन, पुष्पांजलि,परिक्रमा, क्षमा-प्रार्थना इत्यादि मूल मंत्र का प्रयोग करें।

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भोलेनाथ को बिल्वपत्र, भांग, अर्क पुष्प, धतूरे के पुष्प-फल भी चढ़ाए जाते हैं। जो वस्तु कम हो, उस वस्तु की जगह अक्षत का प्रयोग करें।

शिव पंचाक्षरी मंत्र- नम: शिवाय।

शिव षडाक्षरी मंत्र- ॐ नम: शिवाय।

मृत्युंजय मंत्र- ॐ जूं स:।

महामृत्युंजय मंत्र-

ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे, सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्।

उर्वारु‍कमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

suman

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