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चौंकायेंगे बंगाल के नतीजे, भाजपा बढ़ी लेकिन टीएमसी का जनाधार बरकरार

पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं का रुझान तृणमूल और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में दिखाई दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की लहर पर सवार भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में मतदाताओं ने बढ़ चढक़र समर्थन किया।

Chitra Singh
Published on: 20 Feb 2021 10:47 AM GMT
चौंकायेंगे बंगाल के नतीजे, भाजपा बढ़ी लेकिन टीएमसी का जनाधार बरकरार
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चौंकायेंगे बंगाल के नतीजे, भाजपा बढ़ी लेकिन टीएमसी का जनाधार बरकरार

अखिलेश तिवारी/योगेश मिश्र

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं। प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का तेजी से उभार हुआ है। वह सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को बराबर की चुनौती दे रही है। लेकिन पिछले 10 साल से बंगाल में पैर जमाए ममता बनर्जी का जनाधार अभी तक बरकरार है। भाजपा के आक्रामक रुख से प्रदेश में कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। इनका मतदाता टीएमसी की ओर जा सकता है। पश्चिम बंगाल में सरकार का फैसला मुस्लिम मतदाता करेंगे। इसलिए एआईएमआईएम सरीखे राजनीतिक दल भी घात लगाए हुए हैं। अगर मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा को रोकने के लिए टीएमसी के पाले में एक तरफा फैसला सुना दिया तो सारा चुनावी प्रबंधन फेल हो जाएगा।

लगातार गलतियां कर रही है भाजपा

चुनाव के शुरूआती दौर में भाजपा ने बेहद तेज़ी से बढ़ती बना ली था। पर जैसे जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं वैसे वैसे भाजपा लगातार गलती करती जा रही है। जबकि ममता बनर्जी अपनी ग़लतियों को ठीक करती जा रही हैं। लिहाज़ा ममता ने दोबारा बढ़त बना ली है। ममता के लोगों को भाजपा ज्वाइन कराने के दांव एक दो मामलों को छोड़ कर उलटे पड़ते नजऱ आ रहे हैं।

भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में नहीं

पश्चिम बंगाल के लोगों के मन टटोलने की कोशिश न्यूज़ ट्रैक/अपना भारत ने की और इसके लिए दस जनवरी से दस फऱवरी के बीच पश्चिम बंगाल के एक लाख से अधिक लोगों से राय शुमारी की गयी। हर विधानसभा क्षेत्र के तकऱीबन पाँच सौ लोगों से बात करने की कोशिश हमारी टीम ने की है।

सर्वे टीम के हाथ लगे निष्कर्ष बताते हैं कि आज भी भाजपा ममता बनर्जी की सरकार को अपदस्थ कर पश्चिम बंगाल में भगवा सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। भाजपा को अधिकतम 128 सीटें हाथ लग सकती हैं। जबकि ममता बनर्जी का अधिकतम सीटों का आँकड़ा 161 सीटों का हो सकता है। न्यूनतम सीटों की बात की जाये तो भाजपा के लिए तीन डिजिट में प्रवेश कर लेना बड़ी बात होगी। जबकि ममता का आंकड़ा इस लिहाज़ से भी 130 सीटों के आस पास रहेगा। भाजपा के लिए 2019 के लोकसभा चुनावों के आँकड़े जुटा पाना कठिन होगा।

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गठबंधन के प्रति लोगों के मन में कोई उत्साहजनक रुचि नहीं

कांग्रेस व वाम गठबंधन के प्रति लोगों के मन में कोई उत्साहजनक रुचि नहीं देखी गयी। इन दोनों के लिए अपना पुराना प्रदर्शन दुहरा पाना भी संभव नहीं होगा। दोनों के गठबंधन को पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए गले के नीचे उतार पाना मुश्किल हो रहा है। 60 फ़ीसदी लोगों का मानना है कि यह गठबंधन ममता के वोट काटने का काम कर सकता है। जबकि बीस फ़ीसदी लोग मानते हैं कि यह निष्प्रभावी होगा। दस फ़ीसदी लोगों ने इस पर अपनी राय ज़ाहिर नहीं की। जबकि दस फ़ीसदी लोगों का यह भी मानना रहा कि यह गठबंधन भाजपा के वोटों में सेंध लगा सकता है।

TMC-BJP

सीएम के रूप में ममता ही पसंद

ममता बनर्जी मुख्यमंत्री के तौर पर 65 फ़ीसदी लोगों की पसंद बन कर उभरी । जबकि 28 फ़ीसदी लोगों की पसंद सुवेंदु अधिकारी रहे। ममता बनर्जी की सरकार बनने के पीछे 78 फ़ीसदी लोग भाजपा के पास मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं होने को मानते हैं। जबकि 20 फ़ीसदी लोग इस सवाल को तवज्जो देना ज़रूरी नहीं समझते।

बीस से बाइस ऐसी सीटें हमारे हाथ ऐसी लगीं जिनके बारे में पूर्वानुमान लगा पाना मुश्किल है। क्योंकि इन सीटों पर जीत हार का अंतर पाँच सात सौ वोटों के बीच ही होगा। 82 फ़ीसदी मुसलमान ओवैसी व उनके जैसी दूसरी पार्टियों को केवल वोट कटवा मानते हैं। लोगों का यह मानना भी है कि भाजपा जिस तरह तृणमूल के नेताओं को ज्वाइन करा रही है उसके बहुत अच्छा नतीजों उसे नहीं प्राप्त होंगे।

क्या कहते है बंगाल के चुनाव के नतीजे

पश्चिम बंगाल के चुनाव के नतीजे मतुआ, राजवंशी महतो व बावरी जातियों के वोटों पर निर्भर करेंगे। लोकसभा में इन चारों जातियों ने भाजपा के पक्षों बढ़ चढ़ कर वोट किया था। इस बार के विधानसभा चुनाव में ममता इनमें तीस चालीस फ़ीसदी तक सेंध लगाने में कामयाब हो रही है। भाजपा के वोट दो फ़ीसदी बढ़ सकते हैं। जबकि ममता के वोटों में भी एक फ़ीसदी के आसपास इज़ाफ़ा दिख रहा है। यह बढ़ोतरी लोकसभा के वोटों के लिहाज़ से देखी जानी चाहिए। पश्चिम बंगाल में चुनाव आपने सामने भाजपा व तृणमूल के बीच ही सीधी लड़ाई में होंगे। कांग्रेस वामपंथ गंठबंधन को अपनी ज़मीन गँवानी पड़ सकती है। पश्चिम बंगाल में नतीजों के दृश्य काफ़ी कुछ बिहार की तरह ही दिख रहे हैं।

लोकसभा चुनाव में चली थी मोदी लहर

बता दें कि पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं का रुझान तृणमूल और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में दिखाई दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की लहर पर सवार भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में मतदाताओं ने बढ़ चढक़र समर्थन किया। उसे कुल 40.64 प्रतिशत मत मिले। उसे 18 सीटों पर जीत मिली इसमें भी 16 सीट ऐसी हैं जिन पर पहली बार किस्मत का ताला खुला। भाजपा के वोट बैंक में भी 22.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

मोदी लहर के बावजूद तृणमूल कांग्रेस का जनाधार न केवल अपनी जगह पर स्थिर बना रहा है बल्कि उसके जनाधार में 3.48 प्रतिशत की वृद्धि भी हुई। कुल 43.69 प्रतिशत मतदाताओं ने टीएमसी को वोट किया और उसे 22 सीटों पर जीत मिली। भाजपा का उभार और कांग्रेस व माकपा के वोटबैंक में आई कमी की वजह से हालांकि 2014 के चुनाव के मुकाबले उसे 12 सीटों का नुकसान हुआ है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस को 4.09 प्रतिशत और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) को 16.72 प्रतिशत मतों का नुकसान हुआ। इससे दोनों ने अपने कब्जे की दो-दो सीटों को गंवाया है।

pm modi

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स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा का बोलबाला

2018 के बंगाल के स्थानीय निकाय चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का पलड़ा बहुत भारी रहा उसने भारतीय जनता पार्टी के 5,779 ग्राम पंचायतों में जीत के मुकाबले 38,118 ग्राम पंचायत में जीत हासिल की। लेफ्ट फ्रंट को 1713 और कांग्रेस को 1066 ग्राम पंचायतों में जीत मिली। जिला परिषद में टीएमसी को 793 सीटों को जीतने का मौका मिला वही बीजेपी 22, लेफ्ट फ्रंट एक और कांग्रेस केवल 6 सीट जीतने में कामयाब हो सके।

पिछले असेम्बली चुनाव में टीएमसी को मिले थे 44.91 फीसदी वोट

बता दें कि 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को दो करोड़ 45 लाख 64523 मतदाताओं वोट दिया। यह कुल मतदाताओं का 44.91 प्रतिशत था। 293 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली टीएमसी को 211 सीटों पर जीत मिली और उसके मत प्रतिशत में 6 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इसका फायदा उसे पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 27 नई सीटों पर जीत के तौर पर मिला। 2016 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा नुकसान सीपीएम को हुआ। उसके 10.35 प्रतिशत मतदाता साथ छोड़ कर चले गए। 148 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद माकपा को केवल 26 सीटों पर जीत मिली और उसे 14 सीटों पर नुकसान हुआ और कुल मतदाताओं की संख्या 1,08,02,058 रही।

नए मतदाताओं के जुडऩे का फायदा कांग्रेस को मिला

कांग्रेस को 67 लाख 12.25 प्रतिशत मतदाताओं का साथ मिला। 3.15 प्रतिशत नए मतदाताओं के जुडऩे का फायदा कांग्रेस को मिला और केवल 92 सीटों पर चुनाव लडऩे वाली कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी। पिछले चुनाव के मुकाबले उसे 2 सीटों पर फायदा हुआ भारतीय जनता पार्टी को 2016 के विधानसभा चुनाव में 55 लाख 55 हजार मतदाताओं ने वोट किया उसका कुल मत प्रतिशत 10.16 रहा। पिछले चुनाव में भी उसे लगभग दोगुने का फायदा हुआ है। उसके नए मतदाता 5.56 प्रतिशत रहे हैं। 291 सीटों पर चुनाव लडऩे के बावजूद भारतीय जनता पार्टी को 2016 के चुनाव में केवल 3 सीटों पर जीत मिली। हालांकि यह तीनों सीट उसने पहली बार जीती है।

क्या है वर्तमान राजनीतिक माहौल

2014 से 2019 के बीच में पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। तृणमूल कांग्रेस के सरकार के कामकाज से नाराज लोगों की तादाद बढ़ी है । वामपंथी दलों और कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं का आधार कमजोर हुआ है। 2019 के चुनाव में मोदी फैक्टर भी प्रभावी रहा।

विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य बातें

भारतीय जनता पार्टी का बड़े राजनीतिक दल के तौर पर प्रदेश की राजनीति में उभार हुआ है। विरोधी दलों के नेताओं को भाजपा से मिल रहा सहारा और शरण भी नया गुल खिला सकते हैं। पश्चिम बंगाल में भी राजनीतिक विचार के मुकाबले जातिवादी राजनीति का उभार हो रहा है ।

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चुनाव के प्रमुख मुद्दे

टीएमसी सरकार का खराब कामकाज और राजनीतिक विवाद।

शरणार्थियों को नागरिकता का मुद्दा टीएमसी सरकार में भ्रष्टाचार।

टीएमसी में राजनीतिक चेहरों का बदलाव।

ममता बनाम मोदी फैक्टर।

संभावित चुनाव परिणाम

कुल सीट - 297

तृणमूल कांग्रेस - अधिकतम 158, न्यूनतम 119

भाजपा - अधिकतम 146, न्यूनतम 107

कांग्रेस - 13

वामपंथ 21

अन्य - 3

मुस्लिम मतदाता होंगे निर्णायक

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में 37.06 प्रतिशत, उत्तर दिनाजपुर में 49.92 प्रतिशत, मालदा में 51.27 प्रतिशत, मुर्शिदाबाद में 66.88 प्रतिशत और साउथ 24 परगना में 35.57 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। इन 5 जिलों में पश्चिम बंगाल की 96 सीटें आती हैं। 20 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाताओं वाली सीटों में कूचबिहार की 9 सीट आती हैं जहां 25.54 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं।

muslim vote

जिलों में कुल सीटों की संख्या 118

इसी तरह पूर्वी बर्धमान की 16 सीटों पर 20.73 प्रतिशत मतदाता, पश्चिम बर्धमान की 10 सीटों पर 20.73 प्रतिशत मतदाता, दक्षिण दिनाजपुर की 6 सीटों पर 24.63 प्रतिशत मतदाता, हावड़ा की 16 सीटों पर 26.20 प्रतिशत, कोलकाता की 11 सीटों पर 20.60 प्रतिशत, नदिया की 17 सीटों पर 26.76 प्रतिशत, उत्तर परगना की 33 सीटों पर 25.82 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम समुदाय से आता है। इन जिलों में कुल सीटों की संख्या 118 है।

भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ेगा

सीएनएक्स के सर्वे में कहा गया है कि भाजपा को पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार ज्यादा वोट मिलेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोटिंग परसेंटेज बढक़र 40 फीसदी हो गया है। भाजपा के वोट बैंक में साल 2016 के विधानसभा चुनाव के अनुपात में 26 फीसदी की वृद्धि देखी जा रही है। एबीपी -सीएनएक्स सर्वे के अनुसार टीएमसी का वोट बैंक 41.09 फीसदी है जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत 36.64 फीसदी, कांग्रेस और लेफ्ट का 17.14 फीसदी और एआईएमआईएम को 1.1 5 फीसदी मत मिलने की संभावना है। इसी क्रम में टीएमसी को 151 से 5 कम या ज्यादा सीटें मिल सकती हैं जबकि भाजपा को 117 सीटें मिल सकती है। कांग्रेस और वामपंथी गठबंधन को 24 सीटें मिलने की संभावना है।

-क्षेत्रवार सर्वे के अनुसार नार्थ बंगाल की 56 सीटों में टीएमसी को 15 और भाजपा को 32 सीटें मिल सकती हैं वहीं कांग्रेस और लेफ्ट को 7 सीट मिल सकती हैं। अन्य के खाते में 2 सीटें जा सकती हैं।

-साउथ ईस्ट बंगाल की 84 सीटों में टीएमसी को 53 और भाजपा को 16 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेसी लेफ्ट गठबंधन को 15 सीटों की संभावना है।

-ग्रेटर कोलकाता की 35 सीटों में टीएममसी को 26 और भाजपा को 9 सीटें मिल सकती हैं। यहां कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन का खाता खुलने की उम्मीद नहीं है।

-साउथ वेस्ट बंगाल की 119 सीटों में टीएमसी को 57 और भाजपा को 60 सीटें मिलती दिख रही हैं। कांग्रेस और लेफ्ट यहां 2 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती हैं। पिछले 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने बंगाल के 294 सीटों में से 194 सीटें जीती थी 2016 में विधानसभा चुनाव में टीएमसी मजबूत हुई और उसने 211 सीटों पर जीत दर्ज की।

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