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बंगाल में अब फूड पॉलिटिक्स, गरीबों को लुभाने के लिए ममता का बड़ा सियासी दांव
हालांकि इस फूड पॉलिटिक्स को लेकर ममता बनर्जी से सवाल भी पूछे जाने लगे हैं। ममता से पूछा जा रहा है कि उन्हें अपने लंबे कार्यकाल के दौरान चुनाव के समय ही गरीबों के पेट की याद क्यों आई।
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा की चुनौतियों का सामना करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सधी हुई चालें चलनी शुरू कर दी हैं। तृणमूल कांग्रेस की मुखिया की ओर से शुरू की गई मां की रसोई योजना को बड़ी सियासी चाल माना जा रहा है। चुनाव की तारीखों के एलान से पहले ममता बनर्जी ने पांच रुपए में भरपेट भोजन योजना की शुरुआत करके गरीबों को लुभाने की बड़ी चाल चली है।
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हालांकि इस फूड पॉलिटिक्स को लेकर ममता बनर्जी से सवाल भी पूछे जाने लगे हैं। ममता से पूछा जा रहा है कि उन्हें अपने लंबे कार्यकाल के दौरान चुनाव के समय ही गरीबों के पेट की याद क्यों आई। इसे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दलितों और मतुआ समुदाय के लोगों के घरों पर भोजन का जवाबी वार भी माना जा रहा है।
लुभावनी योजनाओं का खोला पिटारा
बंगाल में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही ममता सरकार ने भी लोक लुभावनी योजनाओं का पिटारा खोल दिया है। राज्य सरकार के बजट में भी इस बार गरीबों को लुभाने के लिए अनेक योजनाओं का एलान किया गया था।
mamata-didi (PC: social media)
अब ममता बनर्जी ने गरीबों को लुभाने के लिए मां की रसोई योजना शुरू की है। उनका कहना है कि मात्र पांच रुपए में राज्य के गरीब लोगों को भरपेट भोजन मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने इस कड़ी में मां की रसोई योजना की सोमवार को शुरुआत की।
पांच की थाली पर 15 रुपए की सब्सिडी
मुख्यमंत्री ने सोमवार को डिजिटल तरीके से मां योजना की शुरुआत करते हुए कहा कि राज्य सरकार गरीबों के प्रति संवेदनशील है और इसी कारण इस योजना की शुरुआत की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत सरकार की ओर से निर्धन लोगों को पांच रुपए के किफायती मूल्य पर भोजन मुहैया कराया जाएगा।
राज्य सरकार की ओर से प्रति प्लेट 15 रुपए सब्सिडी का खर्च वहन किया जाएगा। पांच रुपए की थाली में गरीबों को चावल, दाल, एक सब्जी और अंडा करी मुहैया कराई जाएगी।
बजट में पहले ही कर दिया था प्रावधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि रोज दोपहर में एक बजे से तीन बजे तक स्वयं सहायता समूह इन रसोइयों का संचालन करेंगे। धीरे-धीरे इन रसोइयों का विस्तार पूरे राज्य में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से यह नई पहल आम लोगों के लिए की गई है। हालांकि हम मुफ्त राशन देते हैं, लेकिन हमें पता है कि अभी भी पके हुए भोजन की भारी मांग है।
यही कारण है कि सरकार की ओर से सामुदायिक रसोई शुरू की गई है। इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री की ओर से पेश किए गए बजट में इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।
कीमतों में बढ़ोतरी पर बोला हमला
ममता बनर्जी ने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर भी केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हर दिन रसोई गैस और ईंधन की कीमतें बढ़ा रही हैं। इसके कारण गरीब और संकट में फंसता जा रहा है। केंद्र सरकार को गरीबों की चिंता नहीं है और वह केवल चुनाव से पहले झूठे वादे करने में जुटी हुई है।
उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल अपने लोगों को मुफ्त राशन, मुफ्त स्वास्थ्य की देखभाल और मुफ्त शिक्षा प्रदान करने वाला एकमात्र राज्य है। राज्य में 10 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य साथी कार्ड दिया गया है।
ममता की नई योजना पर उठे सवाल
bengal politics (PC: social media)
हालांकि ममता बनर्जी की नई योजना को लेकर सवाल भी खड़े किए जाने लगे हैं। भाजपा की ओर से भी इसे लेकर ममता पर हमले किए जा रहे हैं। पार्टी का सवाल है कि ममता को इतने दिनों तक गरीबों की याद क्यों नहीं आई।
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पार्टी का कहना है कि राज्य में जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों के कारण ही इस योजना की शुरुआत की गई है। तृणमूल कांग्रेस की नजर इस योजना के जरिए गरीबों का वोट पाने की है। पार्टी अपने मकसद में कभी कामयाब नहीं होगी क्योंकि राज्य के लोगों को तृणमूल कांग्रेस की हकीकत समझ में आ गई है।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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