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अब ममता भी खेल रहीं हिंदुत्व कार्ड, भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी

हिंदुत्व की डगर पर एक कदम और बढ़ाते हुए ममता ने महाशिवरात्रि के शुभ दिन अपनी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र भी जारी करने का एलान किया है।

Roshni Khan
Published on: 10 March 2021 4:43 AM GMT
अब ममता भी खेल रहीं हिंदुत्व कार्ड, भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी
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अब ममता भी खेल रहीं हिंदुत्व कार्ड, भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी (PC: social media)

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में कड़े चुनावी मुकाबले में फंसी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा को जवाब देने के लिए अब उसी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। पिछले चुनाव के मुकाबले ममता बनर्जी ने इस बार कम मुस्लिमों को टीएमसी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतारा है। इस बार उन्होंने सिर्फ 42 सीटों पर ही मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं।

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ममता बनर्जी ने इस बार अपने लिए नंदीग्राम की सीट चुनी है और इस सीट पर उन्हें भाजपा के शुभेंदु अधिकारी से बड़ा संग्राम लड़ना होगा। नंदीग्राम के संग्राम में चुनावी बिगुल फूंकते हुए ममता बनर्जी ने मंगलवार को मंच से ही दुर्गा सप्तशती का पाठ किया और भाजपा को चेतावनी देते हुए साफ शब्दों में कहा कि मुझे हिंदुत्व सिखाने की कोशिश न की जाए।

mamata-didi mamata-didi (PC: social media)

भाजपा के हथियार से उसी पर हमला

हिंदुत्व की डगर पर एक कदम और बढ़ाते हुए ममता ने महाशिवरात्रि के शुभ दिन अपनी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र भी जारी करने का एलान किया है। इन बातों से समझा जा सकता है कि ममता ने अब भाजपा का हथियार ही भाजपा पर चलाना शुरू कर दिया है।

इस बार कम मुस्लिमों को दिया टिकट

सियासी जानकारों का मानना है कि ममता बनर्जी इस बार के विधानसभा चुनाव में हिंदू मतों का ध्रुवीकरण रोकने की कोशिश में जुट गई है। उन्होंने पार्टी के 291 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है और इस सूची में भी इस बार सिर्फ 42 मुस्लिम उम्मीदवारों को ही चुनाव मैदान में उतारा है। मुस्लिम उम्मीदवारों की अपेक्षा ममता बनर्जी ने इस बार महिलाओं और नए चेहरों पर ज्यादा भरोसा किया है।

इस बार उन्होंने सिर्फ साढ़े 14 फ़ीसदी मुस्लिम उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है जबकि 2011 और 2016 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 20 फ़ीसदी मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। ममता बनर्जी खुद पर मुस्लिम परस्त होने के आरोपों को खारिज करने की कोशिश में भी जुटी हुई हैं और इसके लिए वे एक से बढ़कर एक सियासी चालें चलने में जुटी हुई हैं।

इसलिए खेल रहीं हिंदू कार्ड

ममता बनर्जी को यह भी पता है कि राज्य के अन्य विधानसभा सीटों की तरह ही नंदीग्राम के संग्राम में भी हिंदू मतों की गोलबंदी उनके लिए महंगी पड़ सकती है। नंदीग्राम के रणक्षेत्र में नामांकन करने के लिए ममता बनर्जी मंगलवार को ही अपने चुनाव क्षेत्र में पहुंच गईं और उन्होंने भाजपा को चेतावनी देते हुए साफ तौर पर कहा कि भाजपा के लोग मेरे साथ हिंदू कार्ड न खेलें। मैं भी हिंदू हूं और घर से चंडीपाठ करके निकलती हूं।

चंडीपाठ का लिया सहारा

नंदीग्राम के लोगों को सतर्क करते हुए उन्होंने यह भी कहा यहां बंटवारा करने की कोशिश की जाएगी। इसलिए हर किसी को सतर्क रहना होगा। ममता बनर्जी यहीं नहीं रुकीं बल्कि उन्होंने एक कदम और बढ़ाते हुए मंच से ही चंडी पाठ भी कर डाला। ममता बनर्जी के इस कदम को हिंदुत्व की डगर पर टीएमसी का बड़ा कदम माना जा रहा है।

ध्रुवीकरण रोकने का सियासी दांव

पश्चिम बंगाल में मां दुर्गा की पूजा का काफी महत्व है और दुर्गा पूजा को वहां सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। पश्चिम बंगाल के घर-घर में दुर्गा पूजा की काफी पहले से तैयारियां की जाती हैं और पूरे नवरात्र के दौरान राज्य में उत्सव का माहौल रहता है।

ममता बनर्जी जमीन से जुड़ी हुई राजनीतिज्ञ हैं और यही कारण है कि उन्होंने हिंदू मतों का ध्रुवीकरण रोकने के लिए बड़ा सियासी दांव चला है। देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले चुनाव में ममता के दावों का क्या असर होता है।

महाशिवरात्रि पर जारी करेंगी मेनिफेस्टो

इसके साथ ही हिंदुत्व की डगर पर एक बड़ा कदम उठाते हुए ममता बनर्जी ने महाशिवरात्रि के पवित्र दिन अपनी पार्टी का मेनिफेस्टो जारी करने का भी एलान किया है। ममता के इस कदम को भी सियासी नजरिए से देखा जा रहा है क्योंकि इसके जरिए भी वह भाजपा को जवाब देने की कोशिश में जुटी हुई हैं।

भाजपा की रणनीति का जवाब

सियासी जानकारों का मानना है कि ममता को यह बात समझ में आ गई है कि भाजपा जय श्रीराम के नारे के सहारे हिंदू मतों का ध्रुवीकरण करके अपनी चुनावी नैया को पार लगाने में जुटी हुई है।

BJP-TMC BJP-TMC (PC: social media)

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यही कारण है कि ममता बनर्जी भी भाजपा को उसी के हथियार से परास्त करने की कोशिश में जुट गई हैं। ममता की इन चालों का कितना असर होगा, इसका खुलासा 2 मई को चुनावी नतीजों के आने पर ही हो सकेगा।

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