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बिहार चुनाव: क्‍या वापसी की तैयारी में नीतीश कर रहे हैं ऐसा

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार अगर सर्वाधिक सियासी युद्ध कोई लड़ रहा है तो वह अकेले नीतीश कुमार हैं। वह अपने विरोधियों से भी लड़ रहे हैं और अपनों से भी।

Newstrack
Published on: 6 Nov 2020 5:02 AM GMT
बिहार चुनाव: क्‍या वापसी की तैयारी में नीतीश कर रहे हैं ऐसा
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बिहार चुनाव: क्‍या वापसी की तैयारी में नीतीश कर रहे हैं ऐसा (Photo by social media)

अखिलेश तिवारी

पटना: बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव को अपना आखिरी चुनाव कहकर तो सभी को चौंकाया ही है लेकिन शाम को ही उन्‍होंने हाईकोर्ट मजार पर चादर चढ़ाकर सहयोगी भाजपा के नेताओं को भी चौंका दिया। ऐसे में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन नीतीश के मूव से सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या वह अब बिहार में एक बार और एकला चलो के मार्ग पर निकल पड़े हैं। क्‍या भाजपा से उनका रिश्‍ता पहले जैसा मजबूत आधार वाला नहीं रहा है।

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बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार अगर सर्वाधिक सियासी युद्ध कोई लड़ रहा है तो वह अकेले नीतीश कुमार हैं। वह अपने विरोधियों से भी लड़ रहे हैं और अपनों से भी। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन और आखिरी बेला में उनका यह कहना कि यह अंतिम चुनाव है, अंत भला सो सब भला। बड़े गूढ अर्थ संदेश छुपाए हुए है। इसी के अनुसार इसकी व्‍याख्‍या भी हो रही है।

विपक्षियों ने जहां इसे उनके हार मान लेने और थक जाने का संदेश बताया है वहीं समर्थक कह रहे हैं कि अपने सिद्धांत की राजनीति के लिए जाने-पहचाने गए नीतिश ने बिहार निर्माण के लिए पांच साल और मांगे हैं। उन्‍होंने साफ-सुथरी राजनीति की। वंशवाद को बढ़ावा नहीं दिया और भ्रष्टाचार को पूरी तरह दबाए रखा। ऐसे में उन्‍होंने जनता को अपनी भावी योजना भी बता दी है जिससे बाद में कोई यह न कहे कि बीस साल के बाद अब चुनाव में जाने का साहस नहीं है।

Bihar-Vidhansabha Bihar-Vidhansabha (Photo by social media)

मजार पर चादर चढ़ाकर नीतिश ने दूसरा झटका दिया

गुरुवार जिसे मुसलमानों में जुमा की शुरुआती रात होने की वजह से जुमेरात कहा जाता है। इस दिन मजारों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार खत्‍म होने के बाद फुलवारी शरीफ स्थित खानकाह मुजीबिया में पहुंचकर चादरपोशी की। उनके इस कदम ने भाजपा के कट्टर समर्थकों और कट्टर हिंदुत्‍व के अलंबरदार नेताओं को भी चौंका दिया है। अपने इस कदम से उन्‍होंने साफ संकेत दिया है कि वह पुराने वाले नीतीश कुमार ही हैं जिस पर बिहार का मुसलमान भी भरोसा करता रहा है। इससे पहले अपनी एक चुनावी सभा में भी उन्‍होंने मुसलमानों को आश्‍वस्‍त करते हुए कहा कि कौन हवा उड़ा रहा है कि लोगों को बाहर निकाल दिया जाएगा। अरे , सभी हिन्‍दुस्‍तान हैं कि सबका हिन्‍दुस्‍तान है। कोई यहां से कहीं नहीं जाएगा। यह झूठी अफवाह फैलाई जा रही है।

राजनीतिक चौसर पर घिरे हैं नीतिश

बिहार की चुनावी चौसर पर नीतिश सबसे ज्‍यादा घिरे हुए हैं। राजद की ओर से उन पर निशाना साधा जा रहा है तो भाजपा के सहयोगी होने का दावा करने वाले चिराग पासवान के समर्थक अलग ही राग अलाप रहे हैं कि अगली सरकार पासवान और भाजपा मिलकर बनाएंगे। इस राजनीति से नीतिश को सर्वाधिक नुकसान हुआ है। वह दोनों ही तरफ से खलनायक बना दिए गए हैं।

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उन्‍हें यह अहसास हो चला है कि अगर विधानसभा चुनाव में जदयू की सीटों की संख्‍या निर्णायक नहीं रही तो भाजपा के लोग उनका हाल शिवसेना जैसा ही कर सकते हैं। यही वजह है कि ऐन मौके पर उन्‍होंने भी अपना पुराना जमीनी आधार टटोलने की कोशिश की है। अगर उन्‍हें अपना पुराना आधार इस चुनाव में वापस मिल गया तो वह अपने सभी विरोधियों से एक साथ निपट लेंगे अन्‍यथा यह चुनाव उनका आखिरी ही होगा।

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