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कांग्रेस के VIP उम्मीदवार: मतदान में प्रतिष्ठा लगी दांव पर, भविष्य पर फैसला आज
पिछले विधानसभा चुनाव में 71 में से 21 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। इस बार इन 21 में से 11 सीटों पर तो कांग्रेसी उम्मीदवारों को अपने परम्परागत प्रतिद्वंद्वी भाजपा का सामना करना पड़ रहा है।
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा के पहले चरण की जिन 71 सीटों पर मतदान हो रहा है। उसमें सबसे ज्यादा कांग्रस की प्रतिष्ठा दांव पर जुडी है। इन चरण के चुनाव में यदि पिछले 2015 के चुनाव की तुलना की जाए तो उस चुनाव की तुलना कांग्रेस, राजद और जदयू साथ मिलकर लड़े थे। जिनमें अधिकतर सीटों पर कांग्रेस और भाजपा में जोरदार टक्कर हुई थी। पर इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए समेत विभिन्न दलों के लिए सारे समीकरण बदल गए हैं। बदले समीकरण में कांग्रेस के लिए भी मुश्किलें हैं।
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विधानसभा चुनाव में 71 में से 21 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं
पिछले विधानसभा चुनाव में 71 में से 21 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। इस बार इन 21 में से 11 सीटों पर तो कांग्रेसी उम्मीदवारों को अपने परम्परागत प्रतिद्वंद्वी भाजपा का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा कांग्रेस को पिछले चुनाव में साथ रहे जदयू के सात उम्मीदवारों को कडा मुकाबला करना पड़ रहा है।
परन्तु इस बात पूरा राजनीतिक परिदृश्य ही बदलाव हुआ है। गठबन्धनों में षामिल कई दल अपना पाला बदल चुके हैं। पासवान के बेटे चिराग पासवान एनडीए से अलग है। कुशवाहा की रालोसपा भी अलग चुनाव लड़ रही है। इसलिए कांग्रेस को अपनी सीटे बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
दरअसल कांग्रेस के सामने पहले चरण के चुनाव में अपनी नौ सीटें बचाने की बड़ी चुनौती सामने होंगी। हालांकि इनमें आठ सीटें पिछले चुनाव में इसकी जीती हुई हैं। वहीं जदयू के विधायक मुन्ना शाही के कांग्रेस में आ जाने से एक सीटिंग सीट बढ़ गई।
कांग्रेस के खाते में गईं 21 सीटों में नौ वर्तमान विधायक पार्टी के सिम्बल पर चुनाव लड़ रहे हैं
इस बार पहले चरण में कांग्रेस के खाते में गईं 21 सीटों में नौ वर्तमान विधायक पार्टी के सिम्बल पर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें भी बरबीघा और गोबिन्दपुर में कांग्रेस उम्मीदवारों को पुरानी पार्टी से ही टक्कर लेना होगा। कांग्रेस की सिटिंग विधानसभा सीटों में दो कुटुम्बा और सिकन्दरा के उम्मीदवारों को इस बार जदयू के साथी दल हम से मुकाबला होगा। कहलगांव, बिक्रम, बक्सर, कुटुम्बा,औरंगाबाद और वजीरगंज में कांग्रेस के उम्मीदवारों को भाजपा के उम्मीदवारों से टक्कर लेनी होगी।
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कहीं पर लोकतांत्रक जनशक्ति पार्टी के अलावा रालोसपा के असर के चलते कांग्रेस प्रत्याशियों को मुश्किल खड़ी हो सकती हैं। ये दोनों दल पहले एनडीए के साथ थे। लेकिन, इस बार यह दोनो पार्टी महागठबंधन में भी नहीं है। और अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं जिससे वोटों का गणित गड़बड़ा सकता है और कांग्रेस को इसका बड़ा नुकसाना हो सकता है।
श्रीधर अग्निहोत्री
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