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Bihar Politics: लालू के बयानों से गरमाई सियासत, नीतीश की राह में बो रहे कांटे,तेजस्वी के लिए माहौल बनाने की कोशिश

Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में चल रही महागठबंधन की सरकार में भीतरी तौर पर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के हाल में दिए गए बयानों से इन दिनों राज्य की सियासत गरमाई हुई है।

Anshuman Tiwari
Published on: 25 Aug 2023 7:36 AM GMT
Bihar Politics: लालू के बयानों से गरमाई सियासत, नीतीश की राह में बो रहे कांटे,तेजस्वी के लिए माहौल बनाने की कोशिश
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Bihar Politics (Photo: Social Media)

Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में चल रही महागठबंधन की सरकार में भीतरी तौर पर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के हाल में दिए गए बयानों से इन दिनों राज्य की सियासत गरमाई हुई है। लालू प्रसाद यादव ने हाल के दिनों में सक्रियता बढ़ाई है और वे सियासी पिच पर खुलकर बैटिंग करते हुए दिख रहे हैं। पहले विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के संयोजक पद पर नीतीश कुमार की तैनाती तय मानी जा रही थी मगर लालू यादव ने यह कहकर सियासी हल्कों में नई बहस छेड़ दी कि विपक्ष के गठबंधन में कई संयोजक हो सकते हैं।

अब उन्होंने अपने बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के लिए भी बड़ा बयान देकर नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उनका कहना है कि बिहार की जनता नीतीश कुमार की जगह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। लालू यादव के बयानों का सियासी मकसद भी आसानी से समझा जा सकता है। इन बयानों के जरिए लालू ने नीतीश को झटका देने के साथ ही अपने बेटे की सियासी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश की है। हालांकि नीतीश इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं और अभी तक उनकी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

कई संयोजक के बयान के क्या हैं सियासी मायने

विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की बैठक जल्द ही मुंबई में होने वाली है। पटना और बेंगलुरु की बैठक के बाद 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने वाली इस बैठक को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि इस बैठक में गठबंधन का संयोजक तय किए जाने की उम्मीद है।
विपक्षी दलों से जुड़े सूत्र अभी तक संयोजक पद पर नीतीश कुमार की ताजपोशी को तय बताते रहे हैं मगर लालू यादव ने यह कहकर सियासी तापमान बढ़ा दिया है कि गठबंधन में कई संयोजक बनाए जा सकते हैं। लालू यादव के इस बयान के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं क्योंकि उनके बयान के पहले इस तरह की कोई बात सामने नहीं आई थी।

लालू के निशाने पर नीतीश कुमार

वैसे तो नीतीश कुमार ने कभी विपक्षी गठबंधन का संयोजक बनने की इच्छा नहीं जताई मगर विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए उनकी ओर से किए गए प्रयासों के कारण उनकी ताजपोशी को अभी तक तय माना जा रहा था। लालू यादव को भी यह बात बखूबी पता है कि नीतीश के प्रयासों के कारण ही पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक संभव हो सकी थी मगर फिर भी उनकी ओर से कई संयोजकों की तैनाती संबंधी बयान दिए जाने से साफ हो गया है कि उनके और नीतीश के बीच कुछ खींचतान जरूर चल रही है। उनके बयान से साफ हो गया है कि उनके निशाने पर नीतीश कुमार ही हैं और इसी रणनीति के तहत लालू ने यह बयान दिया है।

तेजस्वी की राह आसान बनाने में जुटे लालू

बिहार के सियासी हल्कों में लंबे समय से यह चर्चा सुनी जाती रही है कि नीतीश कुमार दिल्ली में विपक्षी गठबंधन की कमान संभालेंगे जबकि बिहार में मुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव की ताजपोशी होगी। राजद नेता भी समय-समय पर तेजस्वी यादव को राज्य की कमान सौंपने की मांग करते रहे हैं।
हालांकि नीतीश कुमार के अभी सियासी रूप से मजबूत होने के कारण इसके लिए अभी तक दबाव नहीं बनाया जा सका है। इस बीच लालू यादव ने यह बयान देकर सियासी माहौल गरमा दिया है कि बिहार की जनता नीतीश कुमार की जगह तेजस्वी को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। इस बयान से साफ हो गया है कि लालू अब तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने में ज्यादा विलंब नहीं चाहते।

लालू के बयान का बड़ा सियासी मकसद

राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के इन बयानों की टाइमिंग भी महत्वपूर्ण है। सियासी जानकारों का मानना है कि उन्होंने यह बयान विपक्षी गठबंधन की बैठक से तुरंत पहले काफी सोची समझी रणनीति के तहत दिया है। अपने बयान के जरिए उन्होंने विपक्षी गठबंधन में कई संयोजक बनने का नया शिगूफा छोड़ दिया है जबकि अभी तक एक संयोजक बनाए जाने की चर्चा सुनी जाती रही है। लालू के बयान से साफ हो गया है कि वे नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन का सर्वेसर्वा नहीं बनने देना चाहते।

नीतीश कुमार अगर अकेले विपक्षी गठबंधन का संयोजक बनने में कामयाब हो जाते हैं तो निश्चित रूप से राष्ट्रीय स्तर पर उनका सियासी कद बढ़ेगा। पीएम मोदी के समानांतर उनका भी नाम लिया जाएगा और लालू यादव यह बात स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। बिहार की सियासत में नीतीश और लालू ने भले ही हाथ मिला लिया हो मगर यह बात सर्वविदित है कि ये दोनों नेता लंबे समय तक एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं। ऐसे में नीतीश का शीर्ष पर पहुंचना लालू यादव को कभी मंजूर नहीं होगा।

दिल्ली यात्रा के जरिए नीतीश का बड़ा संदेश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हाल में दिल्ली यात्रा भी बड़ा संदेश देने वाली थी। अपनी इसी यात्रा के दौरान नीतीश कुमार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। हालांकि इस यात्रा के दौरान उन्होंने विपक्ष के किसी भी नेता से मुलाकात नहीं की। नीतीश कुमार की दो दिवसीय दिल्ली यात्रा को लेकर पटना के सियासी हल्कों में खूब चर्चा हुई। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस पर टिप्पणी करते हुए यहां तक कह डाला कि नीतीश कुमार काफी चतुर राजनीतिज्ञ हैं और उन्होंने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के जरिए भाजपा से हाथ मिलाने की खिड़की अभी भी खोल रखी है।

हालांकि नीतीश ने पटना लौटने पर मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि उनका पहले से ही विपक्ष के किसी भी नेता से मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं था। नीतीश ने अटल की शान में खूब कसीदे तो पढ़े मगर उनकी ही सरकार के मंत्री और लालू के बेटे तेज प्रताप ने पटना में अटल के नाम पर बने पार्क का नाम बदल दिया। इस मुद्दे पर नीतीश की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।

अब आसान नहीं होगी नीतीश की राह

जदयू के नेता और नीतीश सरकार में मंत्री जमा खान ने हाल में नीतीश को पीएम फेस बनाने की मांग की थी। उनका कहना था कि पीएम पद के लिए नीतीश से बेहतर कोई दूसरा उम्मीदवार विपक्ष के पास नहीं है। नीतीश खुद तो हमेशा पीएम पद की दावेदारी की बात को खारिज करते रहे हैं मगर उनकी पार्टी के नेता समय-समय पर उनका नाम पीएम पद के लिए उछालते रहे हैं।

वैसे इस मामले में भी नीतीश की राह अब आसान नहीं रह गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से भले ही बेंगलुरु की बैठक में कांग्रेस को सत्ता और पीएम पद की चाह न होने की बात कही गई हो मगर अब सियासी हालात बदल गए हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से राहुल गांधी को राहत मिलने के बाद उनके संसदीय भी बहाल हो गई है। ऐसे में कांग्रेस के तेवर भी अब बदले हुए नजर आ रहे हैं।

वैसे नीतीश कुमार सियासत के मजे हुए खिलाड़ी हैं और बिहार की सियासत में उनके अगले सियासी कदम का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। मुंबई की बैठक में सियासी तस्वीर काफी कुछ साफ होने की उम्मीद जताई जा रही है और ऐसे में मुंबई बैठक के दौरान नीतीश की रणनीति पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं।

Anshuman Tiwari

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