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RCP Singh in BJP: बीजेपी में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह, नीतीश कुमार के रहे हैं बेहद करीबी
RCP Singh in BJP: सिंह आज बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में दिल्ली स्थित पार्टी दफ्तर में भगवा खेमे में विधिवत रूप से शामिल हो गए। आरसीपी सिंह दो दशक से अधिक समय तक सीएम नीतीश के साथ काम कर चुके हैं।
RCP Singh in BJP: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता की मुहिम लिए एक तरफ जहां देशभर के विपक्षी नेताओं के दरवाजे पर दस्तक देते फिर रहे हैं, वही, बीजेपी एक-एक करके उनके पुराने सहयोगियों को अपने पाले में करने में जुटी हुई है। इस कड़ी में ताजा नाम है नौकरशाह से नेता बने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह का। न्यूजट्रैक ने तीन फरवरी को ही इसकी भविष्यवाणी कर दी थी।
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सिंह आज बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में दिल्ली स्थित पार्टी दफ्तर में भगवा खेमे में विधिवत रूप से शामिल हो गए। आरसीपी सिंह दो दशक से अधिक समय तक सीएम नीतीश के साथ काम कर चुके हैं। इससे पहले जदयू के पूर्व तेजतर्रार प्रवक्ता अजय आलोक बीजेपी में शामिल हुए थे। आलोक को पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था।
सीएम नीतीश के काफी करीबी रहे हैं आरसीपी
किसी जमाने में बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार तक पहुंचेने की सीढ़ी आरसीपी सिंह हुआ करते थे। एक ही जिला और एक ही जाति होने के कारण नीतीश उनपर आंख मूंदकर भरोसा करते थे। एनडीए सरकार के दौरान केंद्र में मंत्री रहने के दौरान उन्होंने आरसीपी को अपना विशेष सचिव बनाया था। 2005 में जब वे बिहार के सीएम बने तो सिंह को यूपी से लाकर उन्हें अपना प्रमुख सचिव बनाया था।
बताया जाता है कि आरसीपी सिंह के साल 2010 में वीआरएस लेकर राजनीति में प्रवेश करने के फैसले के पीछे भी नीतीश कुमार ही थे। उन्हें उसी साल जदयू कोटे से राज्यसभा सांसद बनाया गया था। 2016 में उन्हें फिर से राज्यसभा भेजा गया। 2020 में तो नीतीश ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जब जदयू कोटे से मंत्री बनने की बारी आई तो उसमें भी मौका आरसीपी के हिस्से ही आया और वे केंद्रीय इस्पात मंत्री बने।
पटना से दिल्ली जाते ही रिश्ते में पड़ गई दरार
आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने को लेकर सियासी हलकों में कई तरह की थ्योरियां हैं। मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जैसे नेताओं का कहना था कि वे नीतीश कुमार की मर्जी के बगैर केंद्र में जाकर मंत्री बने। हालांकि, इतना तो स्पष्ट है कि पटना से दिल्ली पहुंचते ही आरसीपी और नीतीश के संबंधों में दरार आने लगी। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद नीतीश बीजेपी के खिलाफ अंदर ही अंदर उबल रहे थे। वहीं, आरसीपी बीजेपी के प्रति कुछ ज्यादा ही सौम्य हो रहे थे। वे पीएम मोदी की मुक्त कंठ से प्रशंसा किया करते थे।
सीएम नीतीश कुमार के दिल में अब तक आरसीपी के लिए स्नेह खत्म हो चुका था। नीतीश के शह पर पार्टी के कुछ नेता उनके खिलाफ बोलने लगे थे। 2022 में जब उनका राज्यसभा कार्यकाल पूरा हुआ और जदयू से उन्हें जब तीसरी बार उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो उन्हें जुलाई में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उसी के बाद तय हो गया था कि अब जदयू में उनके गिनती के दिन शेष रह गए हैं। ऐसा हुआ भी जदयू ने जब उन पर भष्टाचार का आरोप लगाया तो उन्होंने पार्टी छोड़ने में देर नहीं लगाई।
नालांदा से लड़ सकते है चुनाव
कभी एक दूसरे के बेहद करीबी रहे नीतीश और आरसीपी की राह जब जुदा हुई तो दोनों ने एक – दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। आरसीपी सिंह पूरे राज्य का दौरा कर नीतीश कुमार पर हमला बोलते रहे। जवाब में नीतीश ने भी उनके खिलाफ काफी कुछ ऐसा कहा जो उनके आचरण के बिल्कुल विपरीत था। सीएम नीतीश और आरसापी सिंह दोनो एक ही जाति कुर्मी से आते हैं और साथ ही एक ही जिले नालंदा से भी आते हैं। ऐसे में अटकलें है कि बीजेपी उन्हें नालंदा से लोकसभा चुनाव में उतार सकती है।
यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं आरसीपी
आरसीपी सिंह साल 1984 बैच के यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं। साल 2005 में बिहार में जदयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार बनने के बाद उन्हें यूपी से यहां बुला लिया गया था। फिर यहीं उन्होंने वीआरएस लेकर राजनीति में एंट्री मारी। परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी लिपि साल 2016 बैच की तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी हैं और उन्हें बिहार में लेडी सिंघम तक कहा गया है। लिपि सिंह के पति सुहास भगत आईएएस अधिकारी हैं और फिलहाल औरंगाबाद जिले के डीएम हैं।