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Lok Sabha Elections 2024: बिहार में भाजपा ने तय किया सीटों का फार्मूला, 30 पर लड़ने की तैयारी, समझें गणित ?
Lok Sabha Elections 2024: नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू ने राजद से हाथ मिला लिया है। इस कारण भाजपा की ओर से बिहार में अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई हैं।
Lok Sabha Elections 2024: 2024 की सियासी जंग में भाजपा ने बिहार पर भी विशेष रूप से नजरें गड़ा रखी हैं। 2019 में एनडीए की जीत में बिहार की भूमिका काफी अहम रही थी मगर इस बार सियासी हालात बदले हुए हैं। नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू ने राजद से हाथ मिला लिया है। इस कारण भाजपा की ओर से बिहार में अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई हैं। पार्टी नेतृत्व की ओर से राज्य में सीट बंटवारे का फार्मूला भी तय कर लिया गया है। भाजपा नेतृत्व की ओर से राज्य की 35 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
बिहार में तय किए गए फार्मूले के मुताबिक राज्य की 40 में से 30 सीटों पर भाजपा अपने उम्मीदवार उतारेगी। दस लोकसभा सीटों पर सहयोगी दलों को चुनाव लड़ने का मौका दिया जाएगा। लोजपा के दोनों धड़ों को छह सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा जबकि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल को दो सीटें और जीतन राम मांझी की पार्टी हम को एक सीट देने का फैसला किया गया है। एक सीट पर फैसला बाद में लिया जाएगा।
2019 में एनडीए को मिली थी बड़ी जीत
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए ने बिहार में बहुत बड़ी जीत हासिल की थी। एनडीए ने किशनगंज को छोड़कर राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करते हुए राजद और अन्य दलों को करारा झटका दिया था। उस समय नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी एनडीए में शामिल थी। भाजपा ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए सभी पर जीत हासिल की थी जबकि जदयू को 16 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। लोजपा ने भी सभी छह लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का चमत्कार दिखाया था।
राज्य में सिर्फ किशनगंज लोकसभा सीटों पर एनडीए को हार मिली थी। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी जावेद अशरफ ने जदयू उम्मीदवार को हरा दिया था। 2019 में राजद, रालोसपा, हम और वीआईपी का सूपड़ा साफ हो गया था।
अब बदल चुके हैं सियासी हालात
वैसे बिहार में अब सियासी हालात काफी बदल चुके हैं क्योंकि जदयू और राजद के एक मंच पर आ जाने से महागठबंधन को काफी मजबूती मिली है। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की एकजुटता से बिहार में इस बार भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसी कारण भाजपा नेतृत्व की ओर से राज्य में सीटों का फार्मूला तय करते हुए चुनावी तैयारी शुरू कर दी गई है।
बिहार में सीटों का फार्मूला
तय किए गए फार्मूले के मुताबिक भाजपा राज्य की 30 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि लोजपा को 2019 की तरह छह लोकसभा सीटें दी जाएंगी। लोजपा के दोनों धड़ों के नेताओं चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच इन दोनों घमासान छिड़ा हुआ है। यदि चुनाव के पहले दोनों धड़ों के बीच एकजुटता कायम नहीं हो पाई तो दोनों धड़ों को तीन-तीन सीटें आवंटित की जा सकती हैं। राज्य में दलित समीकरण को साधने के लिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व दोनों धड़ों को साथ लेकर चलना चाहता है।
चिराग और पारस के बीच इन दिनों हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी घमासान छिड़ा हुआ है। दोनों नेताओं की ओर से इस सीट पर दावेदारी की जा रही है। मौजूदा समय में इस सीट से पशुपति पारस सांसद हैं मगर हाजीपुर लोकसभा सीट से लंबे समय तक रामविलास पासवान के जुड़ाव को देखते हुए भाजपा नेतृत्व की ओर से चिराग पासवान को प्राथमिकता दी जा सकती है।
कुशवाहा के हिस्से में सिर्फ दो सीटें
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक जनता दल नाम से अलग पार्टी का गठन किया है। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कुशवाहा भाजपा के साथ थे और उस चुनाव में कुशवाहा की पार्टी रालोसपा को तीन सीटें दी गई थीं। तीनों सीटों पर रालोसपा की जीत के बाद उपेंद्र कुशवाहा को केंद्र में मंत्री बनने का मौका भी मिला था।
हालांकि बाद के दिनों में उन्होंने अपनी सियासी राहें एनडीए से अलग कर ली थीं। अब वे एक बार फिर एनडीए में शामिल हो गए हैं और इस बार उनकी पार्टी को दो ही सीटें देने का फैसला किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम भी एनडीए के साथ आ गई है और उसे एक सीट देने की तैयारी है। हम के प्रत्याशी को भाजपा के सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
भविष्य की रणनीति को देखते हुए एक सीट अभी खाली रखी गई है। जानकारों का मानना है कि वीआईपी के आने वाले दिनों में एनडीए में शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। वीआईपी के एनडीए में शामिल होने की स्थिति में उसे एक सीट पर चुनाव लड़ने का मौका दिया जा सकता है।
नीतीश कुमार से हिसाब चुकाने की तैयारी
2024 की सियासी जंग में भाजपा नेतृत्व की ओर से बिहार को काफी अहमियत दी जा रही है और पार्टी ने यहां पर 35 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा की ओर से राज्य में आंतरिक सर्वे भी कराया गया है और दो सीटों पर छोड़कर अन्य सभी सीटों पर पार्टी को अच्छे नतीजे मिलने की संभावना है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद भाजपा यहां नीतीश से अपना हिसाब चुकाने की कोशिश में भी जुटी हुई है। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के गठन में भी नीतीश कुमार की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है।
नीतीश कुमार से बदला लेकर भाजपा नेतृत्व यह संदेश देना चाहता है कि भाजपा के साथ होने के कारण ही वे बिहार में ताकतवर बने हुए थे। बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जदयू से ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समय-समय पर इस बात का विशेष रूप से उल्लेख करते रहे हैं। हाल में एनडीए सांसदों की बैठकों के दौरान पीएम मोदी ने भाजपा की ओर से सहयोगी दलों को सम्मान देने की नजीर के तौर पर इस तथ्य का उल्लेख किया था।
जदयू को झटका दे सकती है भाजपा
भाजपा की ओर से बिहार में जदयू को झटका देने की भी तैयारी है। जानकार सूत्रों का कहना है कि जदयू के आधा दर्जन सांसद भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं। इन सांसदों को राजद और जदयू के बीच गठबंधन के कारण अपनी सीट गंवाने का खतरा महसूस हो रहा है। बिहार में कोसी और सीमांचल की लोकसभा सीटों पर राजद और कांग्रेस ने भी नजरें खड़ा रखे हैं। इस कारण ही इन सांसदों के लिए खतरा पैदा हुआ है।
इसके साथ ही कई जदयू सांसद बिहार के नए गठबंधन को लेकर भी सहज नहीं महसूस कर रहे हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा उपचुनाव से बचने के लिए इन सांसदों ने अभी चुप्पी साध रखी है मगर आने वाले दिनों में वे सियासी धमाका कर सकते हैं।