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Mission 2024: बिहार में 30 सीटों पर लड़ने की भाजपा की तैयारी, सहयोगी दलों को 10 सीटों पर मनाना आसान नहीं होगा
Mission 2024: सीट शेयरिंग के लिए तैयार किए गए फार्मूले के मुताबिक दस अन्य लोकसभा सीटें एनडीए में शामिल अन्य सहयोगी दलों को दी जाएंगी। वैसे यह काम आसान नहीं माना जा रहा है।
Mission 2024: आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा बिहार में मजबूत किलेबंदी करने की कोशिश में जुट गई है। भाजपा की ओर से राज्य के अंदर छोटे दलों को मिलाकर महागठबंधन के मुकाबले एनडीए को मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इनमें से भाजपा 30 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी में जुटी है। सीट शेयरिंग के लिए तैयार किए गए फार्मूले के मुताबिक दस अन्य लोकसभा सीटें एनडीए में शामिल अन्य सहयोगी दलों को दी जाएंगी। वैसे यह काम आसान नहीं माना जा रहा है।
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दिल्ली में हाल में हुई बिहार भाजपा की कोर कमेटी की बैठक के दौरान राज्य में भाजपा की चुनावी रणनीति पर गहराई से मंथन किया गया। इस बैठक के दौरान बिहार में सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग के फार्मूले पर भी लंबी चर्चा की गई। जानकार सूत्रों के मुताबिक बिहार भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े की मौजूदगी में हुई इस बैठक के दौरान सीट शेयरिंग के फार्मूले को अंतिम रूप दे दिया गया है।
नीतीश से हिसाब चुकाने की तैयारी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद से ही भाजपा ने नीतीश के खिलाफ जोरदार मुहिम छेड़ रखी है। पार्टी लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार से हिसाब चुकाने की कोशिश में जुटी हुई है। यही कारण है कि पार्टी की ओर से बिहार पर विशेष रूप से फोकस किया जा रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह बिहार की रणनीति को पुख्ता बनाने और नीतीश कुमार पर हमला करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। अब लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में जुट गई है। यदि मौजूदा समय की बात की जाए तो वर्तमान में भाजपा के पास सहयोगी दल के रूप में सिर्फ राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ही है । मगर पार्टी कुछ अन्य दलों को एनडीए में शामिल कराने की कोशिश में जुटी हुई है।
2014 में 30 सीटों पर लड़ी थी भाजपा
सूत्रों के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बिहार की 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि 10 सीटें सहयोगी दलों को दी गई थीं। उस समय एनडीए में सिर्फ दो सहयोगी दल लोजपा और रालोसपा ही शामिल थे। रामविलास पासवान की अगुवाई वाली लोजपा ने 7 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़कर 6 सीटों पर जीत हासिल की थी । जबकि उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली रालोसपा ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ कर दो सीटें जीती थीं। 2014 में भाजपा ने 30 सीटों पर चुनाव लड़कर 22 सीटों पर जीत हासिल की थी।
सीट शेयरिंग का क्या होगा फॉर्मूला
भाजपा इस बार भी वही फार्मूला अपनाने की कोशिश में जुटी हुई है। हालांकि इस बार राज्य के सियासी हालात बदले हुए हैं। लोजपा का पशुपति पारस गुट भाजपा के साथ है जबकि चिराग पासवान गुट के भी जल्द ही एनडीए में शामिल होने की उम्मीद है। मौजूदा समय में रालोजपा के पांच और लोजपा (रामविलास) के एक सहित कुल 6 सांसद हैं। दोनों पार्टियों का विलय होने की स्थिति में एकमुश्त छह और अलग-अलग रहने पर चार-दो या तीन-तीन के अनुपात में सीटें देने की तैयारी है।
उपेंद्र कुशवाहा को दो और जीतन राम मांझी की हम व मुकेश सहनी की वीआईपी को एक-एक सीट दी जा सकती है। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा की ओर से सीट शेयरिंग के इस फार्मूले पर सहयोगी दलों की क्या प्रतिक्रिया होती है।
सहयोगी दलों को मनाना आसान नहीं
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 29 जून को एक बार फिर बिहार के दौरे पर पहुंचने वाले हैं। इस बीच भाजपा की ओर से बिहार में एनडीए के स्वरूप को जल्द से जल्द आखिरी रूप देने की कोशिश की जा रही है। हम के मुखिया जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। अब मांझी के सामने एनडीए में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है। हालांकि मांझी की ओर से तीसरा फ्रंट बनाने की बात भी कही जा रही है। वैसे माझी की सियासी जमीन ज्यादा मजबूत न होने के कारण तीसरे फ्रंट की संभावना कम ही नजर आ रही है।
रालोजपा और लोजपा (रामविलास)के बीच भी सीट बंटवारे को लेकर खटपट दिख रही है। उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक जनता दल, मांझी की पार्टी हम और मुकेश सहनी की वीआईपी के जल्द ही एनडीए का हिस्सा होने की संभावना है मगर सीटों के बंटवारे पर सहयोगी दलों को मनाना भाजपा के लिए आसान साबित नहीं होगा।