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Mission 2024: यूपी में भाजपा चल सकती है यह बड़ी चाल!, विरोधी होंगे बेहाल, जानिए क्या है इसके पीछे खास

Mission 2024: जब 2019 में भाजपा ऐसा नहीं कर पाई तो इस समय तो विपक्ष उस समय की तुलना में मजबूत ही दिख रहा है। तो ऐसे में 80 में 80 जीतना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। अगर भाजपा को यूपी में 80 सीटें जीतनी है तो उसके लिए अपने विचारधारा के छोटे दलों के साथ गठबंधन करना होगा।

Ashish Pandey
Published on: 19 Jun 2023 5:45 PM IST
Mission 2024: यूपी में भाजपा चल सकती है यह बड़ी चाल!, विरोधी होंगे बेहाल, जानिए क्या है इसके पीछे खास
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लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में भाजपा का प्लान, विरोधी होंगे परास्त जानिए क्या है रणनीति: Photo- Social Media

Mission 2024: जिस तरह से विपक्ष एकजुट होता दिख रहा है उससे भाजपा के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव आसान नहीं दिख रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत से गदगद कांग्रेस के नेता अब जहां पीएम मोदी को लेकर हमलावर हो रहे हैं तो वहीं विपक्ष भी एकजुट होने के लिए आपसी मतभेद भुला कर एकजुट होने की कोशिशों में लगा है। वहीं भाजपा के लिए भी मुश्किलें कम नहीं हैं। यूपी मेें भाजपा भले ही 80 सीटों में 80 पर जीत की बात कर रही है, लेकिन यह आसान नहीं है? जब 2019 में भाजपा ऐसा नहीं कर पाई तो इस समय तो विपक्ष उस समय की तुलना में मजबूत ही दिख रहा है। तो ऐसे में 80 में 80 जीतना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। अगर भाजपा को यूपी में 80 सीटें जीतनी है तो उसके लिए अपने विचारधारा के छोटे दलों के साथ गठबंधन करना होगा।

छोटे दलों का साथ है जरूरी-

यूपी में लोकसभा की 80 सीटों में 80 के लिए भाजपा को छोटे दलों का साथ लेना पड़ेगा। तभी यूपी से भाजपा का सपना हकीकत में बदल सकता है। सूबे में बीजेपी जिस तरह से अपना दल एस और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन कर रखी है। उसी तरह का गठबंधन उन्हें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी सुभासपा, रालोद और अन्य दलों के साथ करना होगा। यहां आइए जातने हैं कि अगर भाजपा इनसे गठबंधन कर लोकसभा का चुनाव लड़ती है तो उसको क्या फायदा होगा...

राजभर मजबूरी और जरूरी भी-

सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का अखिलेश की सपा से अब गठबंधन नहीं है। वह अब अखिलेश और उनकी सपा पर तो हमलावर हैं, लेकिन वहीं भाजपा के प्रति नरम भी दिख रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि राजभर को भी भाजपा की जरूरत है। सुभासपा का पूर्वांचल के गाजीपुर, जौनपुर, देवरिया, बलिया, बनारस, आजमगढ़ सहित कई सीटों पर अच्छा जनाधार है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो राजभर भी इस कोशिश में हैं कि भाजपा से उनकी पार्टी का गठबंधन हो जाए और उन्हें लोकसभा की तीन से चार सीटें भाजपा दे दे। सुभासपा और भाजपा के बीच गठबंधन की संभावनाओं की चर्चा इस समय जोरों पर हैं और इसका कारण है पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की वाराणसी में हुई मुलाकात। राजनीतिक जानकार इस मुलाकात को भाजपा और सुभासपा दोनों के लिए हितकर बता रहे हैं। उनका कहना है कि अगर इन दोनों ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा तो भाजपा को निश्चित ही इसका लाभ मिलेगा।

निषाद पार्टी-

निषाद पार्टी वर्तमान में यूपी की भाजपा सरकार में शामिल है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद यह जरूर चाहेंगे की भाजपा उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में कम से कम दो सीटें जरूर दे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने संतकबीरनगर सीट निषाद पार्टी को दी थी यहां से संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद पार्टी से सांसद हैं। गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, महराजगंज में निषाद विरादरी की संख्या काफी है।

अनुप्रिया का साथ भी है जरूरी-

अपना दल एस की अध्यक्ष, मिर्जापुर से सांसद और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी का भाजपा से गठबंधन है। इस गठबंधन से भाजपा और अपना दल दोनों को फायदा है। 2024 में भी यह गठबंधन जारी रहेगा ऐसी संभावनाएं हैं। जिसका फायदा भाजपा को मिलना निश्चित है। यूपी में पटेल यानी कुर्मी विरादरी की संख्या अच्छी खासी है। लोकसभा की कई ऐसी सीटें हैं जहां पर इनका दबदबा है और किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को जिताने का दम रखते हैं। बस्ती, मिर्जापुर, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, हरदोई, लखीमपुर-खीरी, सीतापुर सहित कई और ऐसे जिले हैं जहां पर कुर्मियों की संख्या अधिक है और यह जीत के लिए निर्णायक भूमिका में हैं।

जयंत से गठबंधन भी हो सकता है फायदे का?

राजनीति में कोई किसी का स्थाई दुश्मन और दोस्त नहीं होता। रालोद मुखिया जयंत चैधरी राज्यसभा सदस्य हैं। वह राज्यसभा अखिलेश की मदद से पहुंचे हैं। अखिलेश की सपा और जयंत के रालोद में गठबंधन है। इन दोनों ने यूपी विधानसभा 2022 का चुनाव मिलकर लड़ा था। अब जब की 2024 में लोकसभा का चुनाव होने वाला है तो ऐसे में हर दल अपनी गणित लगाने में जुटा है। रालोद का पहले भाजपा के साथ गठबंधन रहा है और हो सकता है कि फिर से इन दोनों के बीच गठबंधन हो जाए। इस गठबंधन का फायदा भाजपा और रालोद दोनोें को मिलेगा। रालोद की पश्चिमी यूपी में मजबूत पकड़ है। जाट वोटों को रालोद का वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में अब रालोद और भाजपा में क्या गठबंधन होगा। यह तो समय बताएगा, लेकिन इतना तो तय है कि अगर रालोद भाजपा के साथ गठबंधन करता है तो रालोद को फायदा होगा। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर जयंत को मंत्री पद भी दिया जा सकता है।

2024 का लोकसभा चुनाव अब होने में साल भर से भी कम समय रह गया है। इसकी तैयारियां भी हर पार्टी ने शुरू कर दी है। जिस तरह से विपक्ष एकजुटता की बात कह रहा है उससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसे में भाजपा भी विरोधियों को मात देने में पीछे नहीं हटेगी।



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Ashish Pandey

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