×

समोसे में आलू बरकरार मगर लालू नदारद, राजद के पोस्टरों में सिर्फ तेजस्वी ही छाए

चुनाव प्रचार के दौरान राजद के पोस्टर और होर्डिंग से से लालू का चेहरा गायब होने से लोगों को लालू युग का अंत होने की आहट सुनाई देने लगी है।

Newstrack
Published on: 26 Sep 2020 5:08 AM GMT
समोसे में आलू बरकरार मगर लालू नदारद, राजद के पोस्टरों में सिर्फ तेजस्वी ही छाए
X

अंशुमान तिवारी

पटना: समोसे में आलू तो बरकरार है मगर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए लगाए जा रहे राजद के पोस्टरों में लालू नदारद दिख रहे हैं। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कभी बिहार की सियासत में अपनी प्रासंगिकता को अनिवार्य बताते हुए कहा था कि जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू। आलू के बिना तो समोसे की कल्पना ही नहीं की जा सकती। मगर लालू अपनी ही पार्टी के पोस्टरों और होर्डिंग्स से गायब होते जा रहे हैं। राजद की ओर से चुनाव प्रचार में तेजस्वी यादव ही फ्रंट फुट पर बैटिंग करते नजर आ रहे हैं।

कहीं लालू युग के अंत की आहट तो नहीं

चुनाव प्रचार के दौरान राजद के पोस्टर और होर्डिंग से से लालू का चेहरा गायब होने से लोगों को लालू युग का अंत होने की आहट सुनाई देने लगी है। जिस पार्टी को लालू यादव ने खुद खड़ा करके बिहार की बड़ी सियासी ताकत बना दिया, उसी के पोस्टरों से लालू के गायब होने पर सवाल उठाना तो लाजिमी ही है।

ये भी पढ़ें- भारतीयों के लिए वीजा फ्री देश :घूमने का रखते हैं शौक तो कोरोना के बाद जरूर करें इनकी सैर

RJD Poster RJD के पोस्टरों से लालू गायब (फाइल फोटो)

दरअसल सियासी जानकारों का कहना है कि लालू प्रसाद यादव का चेहरा सामने आते ही पूरी लड़ाई नीतीश बनाम लालू में तब्दील हो जाती है। लड़ाई के नीतीश बनाम लालू के तब्दील होते ही सत्ता पक्ष लालू-राबड़ी राज को जंगलराज और भ्रष्टाचार का युग बताते हुए हमलावर हो जाता है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद को सुशासन बाबू साबित करने में आसानी से कामयाब भी हो जाते हैं।

नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं

RJD के पोस्टरों से लालू गायब (फाइल फोटो)

इतने लंबे समय तक राज्य की सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी पर बैठे होने के बावजूद अभी तक नीतीश कुमार पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपने परिवार को भी सियासत से दूर रखा है। ऐसे में उन्हें मतदाताओं को प्रभावित करने में कामयाबी मिल जाती है। सियासी जानकारों का कहना है कि इसी कारण राजद की ओर से अब सिर्फ तेजस्वी यादव का चेहरा सामने रखकर सियासत की जा रही है।

ये भी पढ़ें- मनमोहन सिंह जन्मदिन ख़ास: शांत पूर्व PM की रोचक बातें, नहीं जानते होंगे ये किस्से

राजद की ओर से उन्हें बिहार का भविष्य बताया जा रहा है। इसके पीछे सोच यह भी है कि इस रणनीति के जरिए लालू-राबड़ी के 15 साल के दौर का दाग भी छुड़ाया जा सकता है। पोस्टरों पर केवल तेजस्वी के छाए रहने को लेकर भाजपा ने हमला भी किया है और इसे तेजस्वी की निजी महत्वाकांक्षा बताया है।

तेजस्वी यादव ही असली सेनापति

Tejaswi RJD के पोस्टरों से लालू गायब (फाइल फोटो)

राजद की ओर से सिर्फ तेजस्वी का चेहरा सामने किए जाने पर पार्टी का कहना है कि इस पूरी सियासी लड़ाई में तेजस्वी यादव ही असली सेनापति हैं और इस कारण उनकी तस्वीर को ही सामने रखा जा रहा है। पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सफाई देते हुए कहा कि पार्टी तो अभी भी लालू प्रसाद यादव की विचारधारा पर ही चल रही है। इसलिए इस मामले को तूल देने का कोई मतलब नहीं है।

ये भी पढ़ें- देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 85362 नए मामले सामने आए, 1089 मरीजों की मौत

राजद के चुनावी पोस्टरों से लालू सिर्फ गायब ही नहीं हो रहे हैं बल्कि राजद की राजनीति का तरीका भी बदल रहा है। लालू ने मुस्लिम-यादव गठजोड़ (एम-वाई) के जरिए राजद को बिहार की बड़ी सियासी ताकत बनाया। मगर अब इस गठजोड़ में जेडीयू और कई और छोटे दलों में भी सेंध लगा दी है। इस सेंधमारी के बाद तेजस्वी यादव सभी वर्गों का समर्थन लेने के लिए मजबूर हुए हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में लगा झटका

Tejaswi RJD के पोस्टरों से लालू गायब (फाइल फोटो)

पिछले लोकसभा चुनाव से पहले सवर्ण आरक्षण का विरोध करके तेजस्वी यादव लालू की राह पर ही चले थे मगर चुनावी नतीजों ने तेजस्वी यादव को बड़ा झटका दिया। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान राजद बिहार में एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं रही।

ये भी पढ़ें- देश में अब तक 59,03,933 लोग कोरोना से संक्रमित, 93,379 मरीजों की मौत

इसी के बाद तेजस्वी यादव ने भूल सुधार करते हुए अब सवर्ण बिरादरी पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है। इसी रणनीति के तहत जगदानंद सिंह को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। राजद की ओर से कोशिश की जा रही है कि तेजस्वी यादव पर जातीय राजनीति का ठप्पा न लगे।

मतदान से पहले भी कई चुनौतियां

Tejaswi RJD के पोस्टरों से लालू गायब (फाइल फोटो)

हालांकि अभी यह देखने वाली बात होगी कि तेजस्वी यादव सभी वर्गों का समर्थन पाने में कामयाब हो पाते हैं कि नहीं। अभी तो उनके सामने चुनाव मैदान में उतरने से पहले महागठबंधन को सहेजने की ही बड़ी जिम्मेदारी है। सीट शेयरिंग का मुद्दा न सुलझ पाने के कारण महागठबंधन से दलों की नाराजगी बढ़ती जा रही है।

ये भी पढ़ें- बेहद गरीब अनिल अंबानी: वकीलों को देने के लिए पैसे नहीं, गहनें बेचकर दे रहे फीस

जीतन राम मांझी के बिदकने के बाद अब रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने भी अलग रास्ता चुन लिया है। ऐसे में तेजस्वी यादव को अभी मतदान से पहले कई और चुनौतियों का भी सामना करना है।

Newstrack

Newstrack

Next Story