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बिहार: स्ट्रॉबेरी की खेती देखने पहुंचे आरके श्रीवास्तव और उनके इंजीनियर स्टूडेंट्स

बहियारा में आद्या ऑर्गेनीक कृषि फार्म देखने पहुचे वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर आरके श्रीवास्तव । पटना से करीब 40 लकिलोमीटर दूर भोजपुर जिले के बहियारा गांव में कृषि के क्षेत्र में नई क्रांति की शुरुआत हुई है। इस गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की गई है और वह भी जैविक तरीके से।

Ashiki
Published on: 26 Jan 2021 2:59 AM GMT
बिहार: स्ट्रॉबेरी की खेती देखने पहुंचे आरके श्रीवास्तव और उनके इंजीनियर स्टूडेंट्स
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बिहार: स्ट्रॉबेरी की खेती देखने पहुंचे आरके श्रीवास्तव और उनके इंजीनियर स्टूडेंट्स

पटना: बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं। बहियारा में आद्या ऑर्गेनीक कृषि फार्म देखने पहुचे वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर आरके श्रीवास्तव ।

तैयार होने वाली है स्ट्रॉबेरी की फसल

राजधानी पटना से करीब 40 लकिलोमीटर दूर भोजपुर जिले के बहियारा गांव में कृषि के क्षेत्र में नई क्रांति की शुरुआत हुई है। इस गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की गई है और वह भी जैविक तरीके से। स्ट्रॉबेरी की फसल अब तैयार होने वाली है। बाजार में शाहाबाद का स्ट्रॉबेरी मिलें तो चौंकने की जरूरत नहीं है। यह शुरुआत की है पूर्व सांसद और भाजपा के संस्थापक सदस्य आर के सिन्हा ने। बहियारा उनका पैतृक गांव है। सिन्हा एशिया की सबसे बड़ी निजी सुरक्षा एजेंसी एसआईएस समूह के अध्यक्ष भी हैं।

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देशी गायों की विशाल गौशाला

राजनीति और व्यवसाय की दुनिया मे परचम लहराने के बाद वे लौटकर अपने गांव आये और यहां देशी गायों की विशाल गौशाला खोली। गौशाला के साथ साथ जैविक कृषि की भी शुरुआत की। मकसद लोगों को प्राचीन परम्पराओ की तरफ ले जाना और बीमारियों से दूर रखना है। देशी गायों की गौशाला से वे लोगों को दुग्ध से होने वाले फायदे की बात बताना चाहते हैं। वही जैविक कृषि से विष रहित खेती का संदेश भी देना चाहते हैं। आरम्भ में सिन्हा ने पुणे से कृषि वैज्ञानिक दीपक नरवाड़े को बहियारा बुलाकर एक सप्ताह तक ग्रामीणों को जैविक कृषि का प्रशिक्षण दिलाया। अब सिन्हा का लक्ष्य यहां दुर्लभ फलों की खेती कराने का है।

आद्या ऑर्गेनीक कृषि फार्म की भी स्थापना

इसी सिलसिले में बहियारा में आद्या ऑर्गेनीक कृषि फार्म की भी स्थापना हुई। इसी कृषि फार्म में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। लोगों की मान्यता थी कि महाराष्ट्र और अन्य राज्यो में ही स्ट्रॉबेरी की फसल उपजाई जा सकती है। इस मिथक को यहां झटका लगा है। बहियारा के आद्या ऑर्गेनीक कृषि फार्म में स्ट्रॉबेरी की फसल तैयार है। व्यापारी आद्या ऑर्गेनिक कृषि फार्म से उत्पादित स्ट्रॉबेरी के फल को खरीदने के लिए काफी संख्या में पहुंचने लगे हैं। आद्या ऑर्गेनीक कृषि फार्म में स्ट्रॉबेरी की खेती का कार्य देख रहे धर्मेन्द्र पाण्डेय बताते हैं कि क्वालिटी बहुत ही बेहतर है। एक फल को लगाने की कीमत करीब ग्यारह रुपये आती है। एक पौधे में लगभग दो किलो स्ट्रॉबेरी निकलती हैं।

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व्यापारी 600 रुपये किलो ले जाने को तैयार हैं। खुदरा व्यापारियों द्वारा बाजार में स्ट्रॉबेरी को 800 से 1000 रुपये किलो बेचा जा सकता है। यह स्ट्रॉबेरी पूरी तरह जैविक कृषि पर तैयार है और इसकी मांग भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में है। स्ट्रॉबेरी की खेती से सिन्हा ने किसानों को संदेश दिया है कि वे परम्परागत खेती से अलग स्ट्रॉबेरी जैसे फलों की खेती शुरू कर अपनी आय को कई गुणा बढ़ा सकते हैं। यह काफी मुनाफे की खेती है। स्ट्रॉबेरी इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला फल है जिसकी मांग पूरी दुनिया मे तेजी से बढ़ती जा रही है।

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