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बैंक फ्रॉड मामला: भरपाई के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं, इस कोर्ट ने सुनाया फैसला
उपभोक्ता अदालत ने कहा कि बैंक ग्राहकों को अपने एटीएम कार्ड के विवरण या बैंक खाते के विवरण किसी के साथ साझा नहीं करने की पर्याप्त चेतावनी देते हैं। न केवल बैंकों ने नोटिस बोर्ड पर दिशा-निर्देश चस्पा किए हैं बल्कि सतर्कता संदेश भी प्रसारित किए हैं।
नई दिल्ली: बैंक धोखाधड़ी के मामले में गुजरात के अमरेली की एक उपभोक्ता अदालत ने एक आदेश जारी किया है। जिसमें अदालत ने कहा है कि बैंक खाते से धोखे से पैसे निकलने जैसे बैंक फ्रॉड के लिए बैंक दोषी नहीं हैं। फैसले में कहा गया है कि ऐसी गलती उपभोक्ता (Consumer) की वजह से होती है तो उसके नुकसान की भरपाई के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं है।
बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं
अमरेली में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Consumer Disputes Redressal Commission Amreli) ने धोखाधड़ी के एक पीड़ित को मुआवजा देने से इनकार किया। पीड़ित के साथ 41,500 रुपए की धोखाधड़ी हुई थी। अदालत का मानना है कि धोखाधड़ी व्यक्ति की अपनी लापरवाही के कारण हुई है। इसलिए बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है।
कुछ मामले में NCDRC ने बैंकों को भी माना जिम्मेदार
एक मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC, एनसीडीआरसी) ने कहा था कि बैंक अनधिकृत लेनदेन के मामलों में अपने ग्राहकों को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। एनसीडीआरसी के मुताबिक बैंक अपनी देनदारी के 'गलत तरीके' से बचने के लिए नियमों और शर्तों की आड़ नहीं ले सकते हैं। वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, यदि लेन-देन किसी तीसरे पक्ष के उल्लंघन के कारण होता है और ग्राहक तीन दिन के भीतर बैंक को इसकी सूचना दे देता है। तब ग्राहक जिम्मेदार नहीं होता है।
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ये है पूरा मामला
सेवानिवृत्त शिक्षक कुर्जी जाविया लॉ प्रैक्टिस करते हैं। 2 अप्रैल 2018 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के प्रबंधक बताने वाले किसी व्यक्ति ने उन्हें बुलाया था। घोटालेबाज ने जाविया के एटीएम कार्ड की डिटेल मांगी। उन्होंने बैंक प्रबंधक समझ कर डिटेल दे दी। अगले दिन जाविया के खाते में 39,358 पेंशन आई। तभी किसी व्यक्ति ने उनके खाते से 41,500 रुपए निकाल लिए। उन्होंने बैंक को फोन किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
बाद में पता चला कि जालसाजों ने पैसे का इस्तेमाल ऑनलाइन शॉपिंग में किया है। उनके मुताबिक तत्काल बैंक को सूचना दी थी। यदि बैंक तुरंत एक्शन लेता तो नुकसान को रोका जा सकता था। इसी आधार पर उन्होंने एसबीआई के खिलाफ मामला दायर किया था।
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आखिर क्यों नहीं माना गया बैंक को दोषी
उपभोक्ता अदालत ने कहा कि बैंक ग्राहकों को अपने एटीएम कार्ड के विवरण या बैंक खाते के विवरण किसी के साथ साझा नहीं करने की पर्याप्त चेतावनी देते हैं। न केवल बैंकों ने नोटिस बोर्ड पर दिशा-निर्देश चस्पा किए हैं बल्कि सतर्कता संदेश भी प्रसारित किए हैं। बैंक ग्राहकों को यह सूचित करते हैं कि कोई भी बैंक कर्मचारी कभी भी एटीएम कार्ड विवरण नहीं मांगेगा। अदालत के मुताबिक याचिकाकर्ता जाविया ने ठीक वही किया जो बैंकों ने ग्राहकों को न करने की सलाह दी थी। इसका मतलब है कि लापरवाही बैंक की ओर से नहीं थी।
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