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कल्पना ने सच किया बचपन का सपना, अंतरिक्ष में रोशन किया देश का नाम
कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थी। बचपन से ही कल्पना को अंतरिक्ष की दुनिया काफी पंसद थी। यही राह चुनते हुए कल्पना ने इसी के अनुरूप अपनी पढ़ाई शुरू की। फिर कल्पना ने नासा के रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया।
नई दिल्ली। अंतरिक्ष के इतिहास में नाम रचने वाली कल्पना चावला आज हर बेटी के लिए प्रेरणा हैं। वैसे तो कल्पना एक ऐसा नाम जिसका मतलब ही विचार या सोच है और उन्होंने नाम के मुताबिक ही काम भी कर दिखाया। ये कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थी। बचपन से ही कल्पना को अंतरिक्ष की दुनिया काफी पंसद थी। यही राह चुनते हुए कल्पना ने इसी के अनुरूप अपनी पढ़ाई शुरू की। फिर कल्पना ने नासा के रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया और सन् 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के रूप में सम्मिलित हो गई।
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उड़ने की इच्छा बचपन से
भारत की बेटी कल्पना चावला 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में पैदा हुई थी। किसे पता था कि ये बेटी एक दिन अपने परिवार अपने शहर अपने देश का नाम रोशन करेगी। कल्पना अपने घर में चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी।
जब कल्पना छोटी थी, तो उस समय करनाल में एविएशन क्लब(AVIATION CLUB) था। जिसमें छोटे-छोटे पुष्पक विमान उड़ा करते थे। और इन्ही पुष्पक विमानों को देखकर कल्पना की भी उड़ने की इच्छा होती थी। एक दिन कल्पना के पिता उनको एविएशन क्लब ले गए और उसे हवाई सफर कराया।
एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम.ए.
कल्पना ने चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की थी। फिर इसके बाद 1982 में कल्पना अमेरिका चली गई। यहां आने के बाद कल्पना ने अपनी आगे की पढ़ाई टेक्सास विश्वविद्यालय से की। यहां से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम.ए. किया।
फोटो-सोशल मीडिया
सन् 1988 से ही कल्पना चावला ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। जहां से 1995 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया। फिर उन्होंने फ़्रांसीसी जीन पियर से शादी की थी।
कल्पना का पहला अन्तरिक्ष मिशन
शादी के सन् 1991 में कल्पना को अमेरिका की नागरिकता मिल गई। नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल होने के बाद कल्पना का पहला अन्तरिक्ष मिशन 19 नवम्बर 1997 को छह-अन्तरिक्ष यात्रीयों के साथ अन्तरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-87 से शुरू हुआ।
बता दें, कल्पना अपने पहले मिशन पर 360 से अधिक घंटे बिताये। उन्होंने पहले मिशन में 10.67 मिलियन किलोमीटर का सफ़र तय कर पृथ्वी की 252 परिक्रमायें की थी। यहां से सन् 2002 में कल्पना चावला को दूसरी अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया।
16 जनवरी 2003 को कोलंबिया पर चढ़ कर ये एसटीएस-107 मिशन का आरंभ किया गया। और यही कल्पना की दूसरी और आखिरी उड़ान थी। मिशन की ये 16 दिन की उड़ान थी। जिसे आज भी याद करके सभी की आंखे भर आती हैं।
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16 मिनट और टल जाता
16 दिन बाद 1 फरवरी की सुबह अंतरिक्ष यान कोलंबिया को वापस पृथ्वी पर कैनेडी स्पेस सेंटर पर उतरना था। लेकिन लॉन्च के दौरान ताप को नियंत्रित करने वाले इन्सुलेशन का एक अटैची के आकार का टुकड़ा टूट गया था और उसी समय शटल की थर्मल संरक्षण प्रणाली को नुकसान पहुंचा था, जो कि शटल को गर्म होने से बचाती है।
ये पूरा वाकया एक मिनट के अंतराल में हो गया और अन्तरिक्ष यान में सवार सभी अन्तरिक्ष यात्रियों की मौत हो गयी थी। सब यही कहते हैं कि यदि यह हादसा 16 मिनट और टल जाता तो सभी यात्री वापस सुरक्षित उतर जाते।
वहीं इस बारे में कुछ रिपोर्टस के अनुसार, कोलंबिया अंतरिक्ष यान के उड़ान भरते ही पता चल गया था कि अब यह धरती पर कभी नहीं लौटेगा। और इस बात की जानकारी कल्पना और उसके साथियों को नहीं थी। जिसके बारे में खुलासा कोलंबिया के प्रोग्रामिंग मैनेजर ने दी थी।
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