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जीडीपी के मामले में चीन ने कैसे सभी को पछाड़ा, कौन देश कितना गिरा, यहां जानिए सबकुछ
कोरोना महामारी का असर भारत की जीडीपी पर नजर आने लगा है। अप्रैल से जून की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट देखने को मिली है।
नई दिल्ली: कोरोना महामारी का असर भारत की जीडीपी पर नजर आने लगा है। अप्रैल से जून की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट देखने को मिली है।
कई विश्लेषकों ने कोरोना संकट की वजह से जीडीपी में गिरावट की आशंका बहुत पहले ही जता दी थी लेकिन सोमवार को जो रिपोर्ट आई वो उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली थी।
जानकारों की मानें तो अर्थव्यवस्था की हालत पहले से ही खराब थी लेकिन कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लगाया गया देशव्यापी लॉकडउन और भी ज्यादा नुकसानदायक साबित हुआ।
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पीएम नरेंद्र नरेंद्र की फोटो(साभार सोशल मीडिया)
लॉकडाउन की वजह से मांग और निवेश में भारी गिरावट
कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से मांग और निवेश में भारी गिरावट आई है। वर्ष 1996 से हर तीन महीने पर भारत ने जीडीपी का डेटा जारी करना शुरू किया था। उसके बाद से यह अब तक की सबसे निचले स्तर पर है।
बता दें कि भारत आज विश्व की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और पीएम नरेंद्र मोदी का सपना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5 ट्रिलियन डॉलर का हो जाए।
हालांकि, पहली तिमाही के आंकड़े काफी निराश करने वाले हैं। अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 फीसदी की रिकॉर्ड गिरावट आई है। अभी भारत को माइनस 24 से शून्य तक आने में ही अधिक वक्त लग सकता है।
उसके बाद शून्य ऊपर उठना भी आसान नहीं होगा। विश्व भर के देशों की अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी का कितना बुरा असर पड़ा है, आइए जानते हैं-
कोरोना की जांच करते स्वास्थ्यकर्मी की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)
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यहां देखें कौन देश है कितने नम्बर पर
फ्रांस
फ्रांस की जीडीपी में अप्रैल-जून महीने की तिमाही में रिकॉर्ड 13।8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
कनाडा
अप्रैल-जून महीने की पहली तिमाही में कनाडा की जीडीपी में 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यहां भी कोविड-19 की वजह से उपभोक्ता व्यय, निवेश, आयात और निर्यात में कमी जैसी वजहें रहीं।
जर्मनी
मालूम हो कि जर्मनी में जब से जर्मनी ने तिमाही जीडीपी का डेटा जारी करना शुरू किया है, उसके बाद से लेकर अब तक की ये सबसे बड़ी गिरावट रही है।
इस साल की दूसरी तिमाही में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले जर्मनी की जीडीपी में 10.1 फीसदी की कमी आई।
जापान
साल 2020 की अप्रैल-जून तिमाही में जापान की अर्थव्यवस्था में भी रिकॉर्ड 9.9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)
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अमेरिका
अमेरिका कोरोना वायरस की बुरी तरह से चपेट में आ गया है। सबसे ज्यादा कोरोना के कारण नुकसान यही पर हुआ है और इस महामारी की चपेट में उसकी अर्थव्यवस्था भी आई है। कोरोना वायरस की महामारी से पहले अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर जी-7 देशों में सबसे ज्यादा थी।
अमेरिका की जीडीपी में साल 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में 32.9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। अमेरिकी जीडीपी में 1947 के बाद से ये किसी तिमाही में सबसे बड़ी गिरावट है।
यूके
यूके में कोरोना महामारी के कारण सेवा, उत्पादन और निर्माण क्षेत्र सुस्त पड़े रहे। साल 2020 की दूसरी तिमाही में ब्रिटेन की जीडीपी में 20।4 फीसदी की गिरावट आई। ये ब्रिटेन की जीडीपी में लगातार दूसरी तिमाही में गिरावट है।
इटली
जीडीपी के आंकड़े जारी करने वाली इटली की सरकारी एजेंसी ने कहा, पहली तिमाही में 5.4 फीसदी की गिरावट दर्ज होने के बाद दूसरी तिमाही में अप्रत्याशित नुकसान हुआ है।
इटली की जीडीपी में अप्रैल-जून तिमाही में 12.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। साल 1995 की पहली तिमाही के बाद से ये सबसे बड़ी गिरावट है। इसके पीछे कोविड-10 की हेल्थ इमरजेंसी है।
चीन कैसे है सबसे बेहतर
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत भारत के पड़ोसी देश चीन हुई थी। लेकिन चीन अब इस महामारी के साथ-साथ आर्थिक संकट से भी पार पा चुका है। चीन ही एक ऐसा बड़ा देश है जिसकी जीडीपी ग्रोथ कोरोना काल में ही सबसे अच्छी रही है।
अमेरिका, जापान समेत तमाम देशों की जीडीपी ग्रोथ माइनस में है। कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में यानी इस साल की पहली तिमाही में चीन की जीडीपी में भी 6।8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।
साल 1992 के बाद से पहली बार ऐसा हुआ था कि चीन की जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि, पहली तिमाही में लड़खड़ाने के बाद चीन ने खुद को संभाल लिया और दूसरी तिमाही में जीडीपी में 3.2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज कराई।
चीन की अर्थव्यवस्था में रिकवरी के और भी कई संकेत दिख रहे हैं। जून महीने में चीन के मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आई है और उसका आयात और निर्यात भी बढ़ा है।
क्या कहते हैं अर्थशास्त्री
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीन ने दूसरे देशों के मुकाबले लॉकडाउन के नियमों में जल्दी ढील देना शुरू कर दिया था। चीन ने सिर्फ वुहान में ही पूरी तरह से लॉकडाउन लगाया था जबकि ज्यादातर इलाकों में आर्थिक गतिविधियां चल रही थीं। जब पूरी दुनिया लॉकडाउन की तरफ बढ़ रही थी तो चीनी निर्यात को वैश्विक बाजार में ज्यादा मौके मिले।
एशिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की बात करें तो भारत की स्थिति सबसे खराब दिखती है।
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