×

कम खर्चा और ज्यादा बचत से चीन परेशान

ज्होंगयन रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक सर्वे में निकाल कर आया है कि 1990 के बाद पैदा हुये 57 फीसदी उपभोक्ता भविष्य में बहुत सोच समझ कर खर्च करने का इरादा रझते हैं। 1995 के बाद पैदा हुये 63 फीसदी युवाओं की यही राय है।

राम केवी
Published on: 27 May 2020 10:11 AM GMT
कम खर्चा और ज्यादा बचत से चीन परेशान
X

नई दिल्ली। चीन की सरकार जनता में बचत की बढ़ती प्रवृत्ति से परेशान है। चीन की आर्थिक मजबूती में लोगों की खर्चा करने और उपभोग की ताकत का बहुत बड़ा हाथ रहा है। 2019 में देश की आर्थिक बढ़ोतरी में 60 फीसदी योगदान लोगों के उपभोग का था। लेकिन महामारी के कारण कंज़्यूमर आइटम्स की खुदरा बिक्री साल की पहली तिमाही में 19 फीसदी घट गई जो चिंता का कारण बन गई है। पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि लॉकडाउन खुलने के बाद लोग जम कर ख़रीदारी करेंगे लेकिन ये उम्मीद ध्वस्त हो गई है।

स्कीम बेअसर लोगों का भरोसा बचत में

सरकार ने कंज़्यूमर आइटम्स की बिक्री बढ़ाने के लिए तरह तरह के उपाय भी किए हैं। ‘कंजंप्शन कूपन’ जारी किए गए। 2.8 मिलियन डालर कीमत के इन ई-कूपनों को लोग मनोरंजन और पर्यटन में खर्च कर सकते थे। ये स्कीम 25 शहरों और प्रान्तों में चलायी गई। लेकिन साथ ही साथ लोगों में बचत की भावना भी बढ़ती गई।

नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के अनुसार 2020 की पहली तिमाही में लोगों ने पिछले साल की तुलना में 6.6 फीसदी ज्यादा रकम अपने खातों में जमा की। 34 हजार लोगों के बीच किया गए एक अध्ययन से पता चला कि आधे से ज्यादा लोग कम खर्चा और ज्यादा बचत की योजना बना रहे हैं। महामारी ने ये सबक सिखा दिया है।

इसे भी पढ़ें- बौखलाई पाकिस्तानी सेना: LoC पहुंच गए कमर जावेद बाजवा, कही ऐसी बड़ी बात

कोविड-19 महामारी से पहले चीनी युवा शॉपिंग, विदेश यात्रा और लक्जरी आइटम्स पर दिल खोल के खर्च करते थे। अब महामारी के साथ आए आर्थिक संकट ने एक नई सोच को जन्म दिया है।

जो बड़ी कंपनियों या सरकारी उपक्रमों में काम करते हैं वो वेतन कटौती और छटनी से बच गए लेकिन अपने इर्द गिर्द की घटनाओं ने युवाओं को पैसे बचाने की ओर जबर्दस्त तरीके से प्रेरित किया है। लंबे समय तक लॉकडाउन में घर में बंद रहने के साथ युवाओं ने कम में जीना सीख लिया है।

सरकारी नौकरी फिर भी बचत जरूरी

27 वर्षीय सॉन्ग लेवेन कहती हैं कि पहले मुझे कभी पैसे की कोई चिंता नहीं रहती थी। मैं एक सरकारी कारखाने में काम करती हूँ और मुझे करीब एक हजार डालर हर महीने मिलते हैं। मुझ पर कोई संकट नहीं आया है लेकिन मैं सोचती हूँ कि अगर मैं सरकारी कंपनी में नहीं होती तो क्या होता। मैं कई महीनों तक बिना आमदनी के रहने को मजबूर हो जाती। इससे मुझे पैसे बचाने की प्रेरणा मिली। लॉक डाउन के दो महीनों में मैंने घर पर खाना बना कर और कोई फालतू शॉपिंग न करके करीब डेढ़ हजार डालर बचा लिए।

इसे भी पढ़ें-पाकिस्तान-चीन साथ हुए: भारत को लेकर की ये हरकत, सरकार हुई अलर्ट

सिर्फ सॉन्ग लेवेन ही नहीं ये सोच अब ज़्यादातर चीनी युवाओं में उपजी है। पश्चिमी देशों की तरह चीन के युवा भी मौज मस्ती एशो आराम में पैसा उड़ाने के लिए मशहूर हैं। लेकिन कोविड-19 से बड़ा बदलाव आया है। शंघाई यूनिवर्सिटी के एक सर्वे के अनुसार 21 से 30 वर्ष की आयु वाले 45 फीसदी युवाओं का कहना है कि महामारी के दौर में उनकी आय घाटी है।

ज्होंगयन रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक सर्वे में निकाल कर आया है कि 1990 के बाद पैदा हुये 57 फीसदी उपभोक्ता भविष्य में बहुत सोच समझ कर खर्च करने का इरादा रझते हैं। 1995 के बाद पैदा हुये 63 फीसदी युवाओं की यही राय है।

नीलमणिलाल की रिपोर्ट

राम केवी

राम केवी

Next Story