×

कोरोना इफेक्ट : ‘बाल’ का बिजनेस हुआ साफ

भारत में बच्चों के संस्कार से लेकर अंतिम संस्कार तक में बाल मुंडवाने की प्रथा का काफी महत्व है। देश के कई मंदिरों में बाल चढ़ाने की प्रथा है जहां हर रोज सैकड़ों टन बाल चढ़ाए जाते हैं। इन बालों का बहुत बड़ा कारोबार भी होता है और ये निर्यात भी किए जाते हैं।

suman
Published on: 1 May 2020 8:44 PM IST
कोरोना इफेक्ट : ‘बाल’ का बिजनेस हुआ साफ
X

नई दिल्ली भारत में बच्चों के संस्कार से लेकर अंतिम संस्कार तक में बाल मुंडवाने की प्रथा का काफी महत्व है। देश के कई मंदिरों में बाल चढ़ाने की प्रथा है जहां हर रोज सैकड़ों टन बाल चढ़ाए जाते हैं। इन बालों का बहुत बड़ा कारोबार भी होता है और ये निर्यात भी किए जाते हैं।

लेकिन कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण यह सारा कारोबार बंद हो गया है। बालों से होने वाली मंदिरों की आय पर ग्रहण लग गया है, क्योंकि न तो श्रद्धालु मंदिर पहुंच पा रहे हैं और न ही अपना बाल दान कर पा रहे हैं।

यह पढ़ें....काशी वासियों के इस कदम से जिला प्रशासन के छूटे पसीने, फिर हुआ ये…

क्या होता है बालों का : भारतीय बालों की विदेशों में मोटी कीमत मिलती है। इन बालों का पहला सफर उस मंदिर से शुरू होता है, जहां ये चढ़ाए जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय बालों की अधिक कीमत मिलती हैं, क्योंकि इन्हें ‘वर्जिन हेयर’ (अछूते बाल) कहा जाता है। इन्हें वर्जिन कहने के पीछे भी ठोस वजह है। ज्यादातर भारतीय बालों को रंगने या मशीन से सुखाने से दूर रहते हैं। मंदिरों में बाल चढ़ाने वाले निम्न वर्गीय, मध्यम वर्गीय तो हेयर स्टाइलिंग भी नहीं कराते, इसलिए उनके बाल लगभग नैसर्गिक अवस्था में ही होते हैं। इसके अलावा बचपन से बढ़ाए गए बालों में केराटीन की मात्रा अधिक होती है। इस प्रोटीन की वजह से बाल स्वस्थ रहते हैं। इसीलिए इन्हें ‘वर्जिन हेयर’ कहा जाता है।

कठिन प्रोसेस : मंदिर में चढ़ाए गए बालों को प्रॉसेसिंग के लिए कारखाने में ले जाया जाता है। प्रॉसेसिंग के पहले चरण में इन्हें हाथों से सुलझाया जाता है। ये काफी कष्टकारी और समयसाध्य प्रक्रिया होती है। कारखाने में कामगार पतली सूइयों की मदद से इन्हें सुलझाते हैं, तब ये बाल अगले चरण के लिए तैयार हो पाते हैं। सुलझाए जाने के बाद इन बालों को लोहे के एक कंघे से झाड़कर साफ किया जाता है। इसके बाद इन बालों को उनकी लंबाई के अनुसार अलग-अलग बंडल में बांधा जाता है। उसके बाद बालों के बंडलों कीटाणुरहित बनाने के लिए नरम एसिड के घोल में डुबोया जाता है।

कई देशों को होता है निर्यात : साफ किए गए बालों में से सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले बालों को ऑस्मोसिस बाथ कराया जाता है, ताकि उनके क्यूटिकल्स नष्ट हुए बिना उनपर लगे दाग-धब्बे छूट जाएं। इन साफ और स्वस्थ बालों से महिलाओं और पुरुषों के लिए रंग-बिरंगे विग बनाए जाते हैं और उन्हें उन देशों को निर्यात किया जाता है, जहां इनकी काफी मांग होती है। पूरी दुनिया में इंसानी बालों का कुल कारोबार 22,500 करोड़ रुपयों का है।

एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक ये कारोबार हर साल लगभग 10 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। आंकड़े कहते हैं कि 2023 तक यह कारोबार 75,000 करोड़ का हो जाएगा। 2018 में अकेले भारत ने 250 करोड़ रुपये का बालों का कारोबार किया। यह दुनिया के कुल एक्सपोर्ट का लगभग आधा है। 2014 से लेकर अब तक इस कारोबार में लगभग 40 फीसदी इजाफा हुआ है।

यह पढ़ें...लखनऊ के सीडीआरआई, आईआईटीआर तथा बीएसआईपी में कल से शुरू होगी टेस्टिंग

तिरुपति बालाजी मंदिर : आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर से निकलने वाले बालों की हर साल करोड़ रुपये की बोली लगती है। 2016 की जनवरी में हुई नीलामी के दौरान बालों के लिए अधिकतम 5.6 करोड़ रुपये की बोली लगी थी। हर साल यहां से करीब 3 टल बाल निकलता है। इस मंदिर में रोजाना करीब 20 हजार लोग मुंडन कराते हैं। अच्छी क्वालिटी के बाल जहां 12 हजार रुपये किलो तक में बिकते हैं, वहीं कम क्वालिटी वाले 40 रुपये किलो में।



suman

suman

Next Story